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रंगीला बसंत, अलसी के फूलों ने लिया नीलापन...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार...चीन में पिछले 40 साल में 33 करोड़ से ज्यादा बच्चों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया गया। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 1971 से लेकर 2010 तक चीन में इतने अबॉर्शन हुए हैं। जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए चीन द्वारा उठाए गए कदम हमेशा विवादों के घेरे में रहे हैं और हालिया आंकड़ा चौंकाने वाला साबित हो सकता है। चीन ने पहली बार जब परिवार नियोजन संबंधी कडे़ कदम उठाए थे, ये आंकड़े तब से लेकर अब तक के हैं। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर ये आंकड़े जारी किए गए थे।लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ...

तुम----- - तुम----- अपने-अहम के बबूलों को सींचते रहे--- मेरे घर के गुलदानों को तोड...रंगीला बसंत - तेरी यादों की बालियाँ पक गयी हैं लहलहाने लगी हैं. आम पर लद रही है बौर जैसे संग है मेरा दर्द मुझे महकाता हुआ . अलसी के फूलों ने ले लिया है नीलापन .. आखिर मैं चाहती क्या हूँ - कभी कभी फ़ुर्सत के क्षणों में एक सोच काबिज़ हो जाती है आखिर मैं चाहती क्या हूँ खुद से या औरों से तो कोई जवाब ही नहीं आता क्या वक्त सारी चाहतों को लील गया है ...

रेल और जेल ........... - *रेल और जेल ........... भारतीय रेल और भारतीय जेल दोनों को पहली बार देखने पर कलेजा मुंह को आता है । दिल भारी हो जाता है और माथे पर पसीना चुहचुहाने लगता है ।...  .साईबर हमलों से निपटने को कितने तैयार हैं हम - प्रसिद्ध होलीवुड फिल्म डाई हार्ड फॉर के कथानक में एक ऐसी काल्पनिक समस्या का जिक्र किया गया है जब अमेरिका के इंटरनेट पर एक अपराधी समूह का कब्ज़ा होता है और...यथार्थ - कई बार आदमी जैसा सोचता है, वैसा हो नहीं पाता है. ये कहानी हरसहाय भाटिया और उनकी अर्धांगिनी सुनयना भाटिया की है, जिन्होंने जीवन की दौड़ जीरो से शुरु की थी ...

छत्तीसगढ़ की वाचिक परम्परा में इतिहास और संस्कृति" विषय पर आयोजित सेमीनार - डॉ.रमेन्‍द्रनाथ मि‍श्र राहुल सिंह श्री राहुल सिंह जी का आधार व्‍यक्‍तव्‍य डॉ;सुशील त्रि‍वेदी का अभि‍भाषण डॉ.रमेन्‍द्रनाथ मि‍श्र के वि‍चार ...जीने का अधिकार मिला है - एकाकी कक्षों से निर्मित, भीड़ भरा संसार मिला है, द्वन्दों से परिपूर्ण जगत में, जीने का अधिकार मिला है ।। सोचा, मन में प्यार समेटे, बाट जोहते जन होंगे, ...दस लाख डॉलर प्रतीक्षा में हैं - इस चिट्ठी में, रीमैन अनुमान के महत्व की चर्चा है। यह चित्र मेरा नहीं है पर इनके चिट्ठे से लिया गया है गणितज्ञों का सबसे महत्वपूर्ण अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन ...  

होली है ! - होली है ! लो फिर आ गया रंगों का त्योहार उमंगों-तरंगों में डूबने का वार पर न जाने किसने रोक रखी है भीनी फुहार ललक नहीं दिखती गाल रंगाने की ... होली न सुहाय - ना कर जोरा जोरी सांवरे छोटा लालन रोवत है भए लाल गाल गुलाल से नन्हां देवरिया डरपत है | मैं तेरे रंग में रंगी भीगी चूनर सारी फिर काहे की जोरा जोरी ना ..पलाश से संवाद ! - . ... 

मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय !! - मोटापे को लेकर कई लोग परेशान रहतें हैं और इससे छुटकारा पाना चाहतें हैं ! कुछ उपाय ढूंढकर उनको प्रयोग में लातें हैं लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि हर उपाय... कुण्डलिया - बूढ़े-बूढ़े शेर - घिसे दाँत के बाघ हों, बूढ़े-बूढ़े शेर। तो गीदड़ काहे नहीं, करता फिरे अँधेर॥ करता फिरे अँधेर, लोमड़ी का घरवाला, छापें सब अखबार, झूठ भर मिर्च-मसाला। ...मेरठ का हूं, औकात पर आ गया तो... - *मेरठ का हूं, औकात पर आ गया तो कुकड़गांव बना दूंगा..*. जॉली एलएलबी फिल्म में ये डॉयलॉग सुना तो अपने शहर मेरठ का मिजाज़ बड़ी शिद्दत के साथ याद आ गया....

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......


निपटा दो ऽ ऽ ऽ ----ब्लॉग4वार्ता, ललित शर्मा

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ललित शर्मा का नमस्कार, एक अरसे के बाद ब्लॉग वार्ता लिखने का अवकाश मिल पाया है. व्यक्तिगत कार्यों के बीच वार्ता लिखने का समय ही नहीं मिल पाया। संध्या जी का आभार है कि उन्होंने वार्ता की निरंतरता को बनाये रखा। एक दीप जो जलाया था प्रकाश के लिए उसकी लौ टिमटिमाते हुए भी राहगीरों को मंजिल दिखा रही है। वार्ता दल के अन्य वार्ताकार भी मेरे जैसे ही जिजीविषा में लगे हुए है। आशा  है कि समय मिलने पर वे भी वार्ता की तरफ ध्यान देंगे। अस्तु समय मिलेगा तो फिर वार्ता लेकर उपस्थित होऊंगा। अब चलते हैं आज वार्ता पर प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक्स ......

कहानी - भाग्य अपने हिस्से का ! - "सॉरी, गोंट टु गो, आई वेस्टेड सो मच आफ योर टाइम।" हल्की सी कराह खुद में समेटे ये भारी-भरकम स्वर जब कानो में पड़े तब जाकर यह अहसास हुआ कि साथ में कोई ..होली, आसाराम और गाली !!! - एक हैं आसाराम बापू। वैसे तो ये संत हैं, पर ज्यादातर चर्चा अपने विवादास्पद कार्यों और बयानों को लेकर रहते हैं। उनके आश्रमों की अव्यवस्था को लेकर खबरें आएं... वाह वाह ताऊ क्या लात है? में श्री अरविंद मिश्र - हाय...अंक्ल्स...आंटीज... भैयाज एंड दीदीज...मैं मिस रामप्यारी, *"ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल" *के दर्शकों का बादाम बजा लाती हूं. बडे ही हर्ष का विषय है ... 

एक दिन "लेखनी सानिध्य" में ... - मार्च ख़तम होने को है पर इस बार लन्दन का मौसम ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा। ठण्ड है कि कम होने को तैयार नहीं और ऐसे में मेरे जैसे जीव के लिए बहुत कष्टका... हम दास्ताँ अपनी , दीवारों को सुनाने लगे . - जब गीत तिरंगे की शान में गाने लगे, कुछ लोग सियासत की आग भड़काने लगे. जब पूछा गया शहीदों का नाम और पता, चोर - उचक्के ...इटली की हेकड़ी - भारतीय कोर्ट में हत्या के मुक़दमे का सामना कर रहे इटली के नौसैनिकों के मामले में जैसे इटली ने अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला ..

मत्तगयन्द सवैया - कौन यहाँ सबसे बलवाला - बात चली जब जंगल में - "पशु कौन यहाँ सबसे बलवाला"। सूँड़ उठा गजराज कहे - "सब मूरख, मैं दम से मतवाला"। तो वनराज दहाड़ पड़े - "बकवास नहीं, बस मैं ..मैं विरह “विदग्धा” हूँ................ - विरह “विदग्धा” हूँ मैं !!! तुम्हारे लिए। संशयान्वित न होना प्रेयस भरोसा करो मेरा हृदय से। आज विक्षुब्ध हूँ तुम्हारे, विवेचन से की मैं, समस्त वचन भूल गई। ...हास्यकवि अलबेला खत्री का वीडियो एल्बम हमारा गुजरात - दी ग्रेट इंडियन लाफ्टर फेम हास्यकवि अलबेला खत्री की लोकप्रिय एवं बहुचर्चित कविता हमारा गुजरात पर आधारित गरवी गुजरात का एक शानदार वीडियो एल्बम *अलबेला खत...

बरसों का साथ - बरसों का साथ बहुत कुछ देकर सदा के लिए छीन लेता है आपसी संवाद स्थायी संबंधों की सामाजिक रुपरेखा जीवित रहती है पर शब्द खो जाते है शेष रह जाती है औपचारिकता..विज्ञापन - अर्थ का अनर्थ* **कभी आपने सोचा है कि वो कौन सी चीज है जो सुबह आँखे खुलने से लेकर एकदम बेसुध हो कर सो जाने तक भी आपका पीछा नहीं छोड़ती ..... नि:संदेह वो इकलौती चीज है विज्ञापन ! ....श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४७वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: ग्यारहवाँ अध्याय (विश्वरूपदर्शन-योग-११.३५-४६) संजय: राजन, केशव वचनों को ...  

ठिठक गयी कोयल की कूक - ठिठक गयी कोयल की कूक मुरझाई सी आम्र मंजरी ठिठक गयी कोयल की कूक, जाने कौन निगोड़ी आकर गई कान में उसके फूँक ! कैसे घोलें रंग अनूठे भीगा-भीगा .पत्रकारिता याने ‘निपटा दो स्सा ऽ ऽ ऽ ले को’ - 17 मार्च रविवार को, *‘जनसत्ता’* में, *‘अनन्तर’* स्तम्भ में *श्री ओम थानवी *के, *‘अक्ल बड़ी या भैंस’* शीर्षक आलेख के, तीसरे पैराग्राफ के पहले दो वाक्यों *...बिहार को विशेष राज्य का दर्जा पर, होती राजनीतिक धींगा-मुश्ती - *हरेश कुमार* पिछले रविवार 17 मार्च 2013 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर जोर देने के लिए दिल्ली के .....


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वार्ता को देते हैं विराम ……… मिलते हैं अगली वार्ता में, राम राम......

कलयुग का वाणप्रस्‍थ .. ब्‍लॉग4वार्ता ... संगीता पुरी

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आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में फिल्म स्टार संजय दत्त को तगड़ा झटका दिया। कोर्ट ने संजय दत्त की माफी की दलील ठुकराते हुए उन्हें पांच साल की सजा सुनाई। टाडा कोर्ट से दत्त को छह साल की सजा मिली थी। इसके खिलाफ अपील की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सजा एक साल कम तो कर दी, लेकिन उनके खिलाफ गंभीर टिप्पणी की। अब संजय दत्त को जेल जाना होगा। उन्हें कम से कम साढ़े तीन साल और जेल में बिताने होंगे क्योंकि संजय करीब डेढ़ साल पहले ही जेल में काट चुके हैं। अदालत का फैसला आते आते जवान बूढे हो चुके होते हैं .. अपराधी शरीफ हो चुके होते हैं और शरीफ पागल बन चुके होते हैं .....


रिश्तों की उलझनें - कभी-कभी मन इतना उलझ जाता है कि कोई एक सिरा ढूँढे नहीं मिलता। मानवीय सम्बन्ध बहुत जटिल होते हैं। बस दोस्ती का रिश्ता ऐसा होता है, जहाँ सब कुछ सहज ही होता जा...आना चाहते हो ना इस पार - सुनो आना चाहते हो ना इस पार मेरे गमों को मेरे दर्द को अपने जीने की वजह बनाने को तो ध्यान से आना यहाँ बुझी चितायें भी शोलों सी भभकती हैं अरे रे रे सं...कल्पवृक्ष - काश ! होता एक ऐसा भी कल्पवृक्ष जिसकी शाख पर लटकी होती अनगिनत इच्छाएँ और उन इच्छाओं को तोडने के लिए सींचना पड़ता उसको प्यार और संवेदना के जल से...लोरी - *ये मेरी डायरी का वो पन्ना है जिसे मैं शायद फिर कभी न पढना चाहूँ.....दिल बेशक गुनगुनाता रहेगा !!!* (कविता दिवस पर -कुछ पंक्तियाँ उन्हें समर्पित जिन्होंने उँ...


श्याम रंग में भीगा अंतर - श्याम रंग में भीगा अंतर रंग डाला किस रंग में तूने कान्हा रंग रसिया है मन का, राधा रंगी थी मीरा जिसमें हुआ सुवासित कण-कण तन का ! श्याम रंग म...रंगों के दोहे , - *रंगों के दोहे ,* परदेशी के प्यार का ,नया निराला रंग रंग डूबी चिट्ठियाँ ,भिजवा दी बैरंग !१! देखी जब से रंग के ,चहरे पर मुस्कान, रंग ,कबीरा,जायसी ,रंग ह... 'प्यार' त्रिभुज का चौथा कोना चुप सा बैठा है - "मेरे पास सवाल तुम्हारे पास उत्तर थे हम हमेशा एक -दूसरे की प्रतीक्षा में रहे मिले तो मिले परीक्षा में अंक पत्रों की समीक्षा में और फिर मिले ही नहीं प्रतीक्षा... मानवाधिकार? - मूल रूप से मनुष्य भी एक जानवर ही है. असभ्यता के दौर में वे सारी विषमताएं रही होंगी जो आज भी हम जंगली जानवरों में देखते हैं. समाज के गठन के बाद एक दूसरे के. 


छत्तीसगढ़ी हाना - वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय में संस्कृति का ढ छत्तीसगढ़ी हाना - वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय में संस्कृति का ढ... ...छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय का वेबसाईट अब हिन्‍दी मय - छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधिपति माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह जी के पदभार ग्रहण करते ही छत्‍तीसगढ़ के न्‍यायालयीन कार्यो में ते... परियोजनाएं, विकास और रूकावट - देश में विकास के नए नए सपने दिखाने वाली लगभग सात लाख करोड़ रुपयों की परियोजनाएं विभिन्न कारणों से मंज़ूरी के लिए इंतज़ार कर रही हैं ज...



Pahal gaon to Sheshnag lake पहलगाँव, चन्दनवाड़ी से शेषनाग झील होकर अमरनाथ गुफ़ा की ओर - अमृतसर-अमरनाथ-श्रीनगर-वैष्णों देवी यात्रा-03 जब एक फ़ौजी ने हमारी बस को रोका तो हमें लगा कि रात में कोई आतंकवादी वारदात हुई है जिस कारण सेना के जवान वाहन च... .एन्‍ड्रायड में हिन्‍दी टायपिंग - गूगल इनपुट हिन्‍दी से - खासकर फेसबुक व ट्विटर पर लोग रोमन में हिन्‍दी संदेश लिखते हैं जिसे पढ़ने के लिए दिमाग को काफी मशक्‍कत करनी होती है। इसके समाधान के लिए गूगल बाबा नें एक   ...साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस - साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस के बारे में भी अब तक समीक्षा-समालोचना के स्तर पर लिखा जा चुका है। इधर बाजार के आँकड़े प्रमाण देते हैं कि फिल्म ने अब तक लाग..

कार्टून :- कलयुग का वानप्रस्थ

   
 मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .......

मिस्टर लाल हर हाल में बेहाल...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार..."शहीद दिवस पर भारतमाता के तीनो सपूतों शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को हमारा शत-शत नमन...." चूमकर पेशानी सारा ग़म पीने वाले छीनकर सारी उदासी लबों को हंसी देने वाले तेरा शुक्रि‍या...... कि रहम है मौला का तमाम दुश्‍वारि‍यों के बावजू़द एक अदद कांधा तो बख्‍शा जहां सर रखकर ग़ुबार दि‍ल का निकाल सकें मायुसि‍यों की गर्द झाड़ सुकूं पा सके सीने में उसके सर रखकर रूठी नींद को मना सकें कि बेरहम दुनि‍या में एक नाम तो ऐसा है जो जैसा भी है हर हाल में मेरा हैतेरा शुक्रि‍या......लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........ 

उम्मीदें - काश ये ऐसा हो जाता, काश वो ऐसा हो जाये। पर ये, वो क्यों नहीं? पर वो, ये क्यों नहीं? सबके मन में एक तूफ़ान फड़कता रहता है कि जो वो चाहे वैसा हो। *"उम्मीद" एक...सखी री ............बस ऐसो फाग खिला दे - * *सखी सुना है फाग है आया पर मेरा मन न हर्षाया प्रीतम मेरे पास नही हैं कहो कैसे फाग मनाऊँ प्रीत की होरी में सखी री कौन सा रंग भरूँ जो रच बस जाए उनके अंतरपट...चलो चलें ... - वो अब हमेशा के लिए मौन रहता हैथोड़े ही वक्त में मेरी भाषा सीख गया.. मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ...वादा किया था ...

क्षणिकायें - (१) ज़िन्दगी की क़िताब पीले पड़ गए पन्ने चाहता हूँ पढ़ना एक बार फ़िर. लगता है डर पलटने में पन्ने, कहीं बिखर न जायें भुरभुरा कर और बिखर जाये... पुस्तकें और पाठक .. 3 - एक रचनाकार ने किसी पुस्तक में बेशक अपनी व्यक्तिगत भावनाओं, अनुभूतियों और चिंतन को अभिव्यक्ति दी है , लेकिन जब वह कला के माध्यम से अभिव्यक्त हुई है .फॉसिल बनने की क्या जल्दी है-- - कुछ समय से एक भी ब्लॉग पोस्ट नहीं लिख पा रहे हैं हम। सच तो यह है कि कोई आइडिया ही नहीं आ रहा। लगता है जैसे थॉट ब्लॉक हो गया है। पहले जहाँ नित नए आइडिया ... 

ऐसी प्रताड़ना सबको मिले - नहीं। मुझे मिली इस अनूठी प्रताड़ना को आप तक पहुँचाने के लिए मैं शब्दों की कोई सजावट नहीं करूँगा। सब कुछ, वैसा का वैसा ही रख दूँगा जो मेरे साथ हुआ।..बिन पानी सब सून ! - समयाभाव के कारण आज सिर्फ इतना सा ; 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने 22 मार्च को अन्तराष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस घोषित किया था , उसी सिलसिले में चार लाइने;... मिस्टर लाल हर हाल में बेहाल - . .....

जन्म दिन तुम्हारा - याद है मुझे वह अमूल्य पल जब तुम सी बेटी पा अपना भाग्य सराहा | किलकारियां गूंजी धर के आँगन में महकी क्यारी क्यारी प्यार के उपवन में | स्नेह तुम पर...कल्पवृक्ष - काश ! होता एक ऐसा भी कल्पवृक्ष जिसकी शाख पर लटकी होती अनगिनत इच्छाएँ और उन इच्छाओं को तोडने के लिए सींचना पड़ता उसको प्यार और संवेदना के जल से...तुम्हें पुकारती .......!! - राग के भाव ...मन के भाव कितने विचित्र हैं ...इतनी सुंदर राग बसंत में सुख और दुःख एक साथ कैसे गाया जा सकता है ....?आप खुद भी सोचिये.. .......

लहू के रंगझाडू हाथ में थमा उसे दश्त के हवाले कर दी चिराग हांथो से छिनकर सूरज को रात के हवाले कर दी उसकी बस्ती में कोई आता जाता नहीं उसकी कश्ती को मौजों के हवाले कर दी आसमान सिकुड़ गया कबका चाँद को अंधेरो के हवाले कर दी मौसमों को क्या पता था कि बादल सूख जायेंगें..मैं बाहर थीजब तुम बुझा रहे थे अपनी आग, मै जल रही थी. मैं जल रही थी पेट की भूख से मैं जल रही थी माँ की बीमारी के भय से मैं जल रही थी बच्चों की स्कूल फीस की चिंता से . जब तुम बुझा रहे थे अपनी आग, मै जल रही थी. *******तलाश फिर भी जारी है.......कितने चेहरे हैं आस -पास इन चेहरों की भीड़ में तलाश , एक अपने से जाने पहचाने चेहरे की तलाश एक पहचानी सी मुस्कान की जो मिले ,लिये आँखों में वही जान -पहचान तलाश पूरी कब होती है समय बदलता है चेहरे बदल जाते हैं .....

वह एकमुश्त कबीर थे और हम सभी किश्तों में कबीर हैं - *"*कबीर विद्रोही थे ...सत्यवादी थे ...बिना लाग लपेट के सच बोलते थे ...उनका व्यक्तित्व संत तुल्य था यह सभी बातें ठीक हैं ...पर कबीर ने 120 वर्षों की आयु में... लाइनेक्‍स के प्रति आग्रह - पिछले दिनों भिलाई के स्‍वामी श्री स्‍वरूपानंन्द सरस्‍वती महाविद्यालय में लाईनेक्स इंडिपेन्डेंट वर्क स्टेशन विषय पर एक कार्यशाला आयोजित किया गया था जिसमे...बिरवा शब्द का....संभव है वह भूल जाए लेकिन मैंने संभाल रखा है तुम न पहचानो मगर बेखटके आता-जाता है मेरी कविताओं में उसका वह एक शब्द ... देखना एक न एक दिन मैं तुम्हारे मन में ... 

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दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

सुनिए ब्लॉग़वुड के मुख्य होली समाचार... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार...आपको और आपके पूरे परिवार को वार्ता परिवार की ओर से होली की बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनायें......ये ब्लॉगवुड का सीजी रेडियो है, अब आप स्वामी ललितानंद शास्त्री सेब्लॉग़वुड के मुख्य होली समाचारसुनिए। ब्लॉगर्स को पैट्रोल में छूट, भारत सरकार के पैट्रोलियम मंत्रालय ने होली पर घोषणा की है कि हिन्दीं ब्लॉगर्स को पैट्रोल के दामों में 50% की छूट दी जाएगी तथा महिला ब्लॉगिंग को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें प्रतिवर्ष 6 गैस सिलेंडर फ़्री दिए जाएगें। इसके लिए पुरुष एवं महिला ब्लॉगर्स को अपने ब्लॉग़ का पंजीयन पैट्रोलियम मंत्रालय की अधिकारीक साईट पर करना होगा। जो पति और पत्नी दोनो ब्लॉगर है उन्हे अत्यधिक लाभ होगा। सरकार के इस कदम का महिला ब्लॉगर्स शिखा वार्ष्नेय, अदा जी, संगीता स्वरुप...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........ 


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उमड़त घुमड़त विचार *होली की हार्दिक शुभकामनाएं * *जय जोहार……। *...कैसे मनाऊँ होली तुम बिन साजन - कैसे मनाऊँ होली तुम बिन साजन मन में तो तल्खियों के भंवर पड़े हैं जो शूल से उर में गड़े हैं तुम साथ हो फिर भी मन में फैली मीलों की दूरी कहो कैसे मिटाऊँ सा....होली है - काका बौराते फिरे काले करके बाल कोई नवयौवना रंग दे अबके साल बत्तीसी सेट किये काकी रही मुसकाय फागुन सजी फुहार देवर नाही आय ससुराल साली बसे वे जीजा मालामाल .... 

कौन सा रंग तोहे भाये मोहे समझ न आये - सांवरे कौन सा रंग तोहे भाये मोहे समझ न आये मैं तो जानूं सिर्फ प्रेम को नाता तुम ही तो अडचनें लगाये सांवरे कौन सा रंग तोहे भाये लोभ मोह अहंकार की ...नसीम बानो के साथ होली - मंटो - *सआदत हसन मंटो के मीना बाजार से होली का एक प्रसंग। यह प्रसंग परी चेहरा नसीम बानो से लिया गया है। यहां नसीम के बहाने मंटो ने होली का जिक्र किया है। ..होली की चुटकी - आओ आज होली की बात करें। कुछ नई शुरुआत करें। पुरानी बातों को याद करें। वे बात जब इस दिन क्षेत्र के जाने माने व्यक्तियों को कुछ टाइटल दिये जाते थे। ...



क्या खाली पीली होली ? - *क्या खाली पीली होली ? नहीं नहीं खा ली और पी ली होली क्या खा ली क्या पी ली भांग खा ली और ठंडई पी ली बस इत्ती सी होली? नहीं नहीं ली थोड़ी गुलाल मुंह पर..2013 होली : संक्षिप्त - हाथ गोड़ बचा के रंग खेलिये। भाँग में सुरा मिला कर पीजिये 'मत', अलग अलग के लिये डॉक्टर से सलाह लीजिये। होठों का रस पीने पिलाने के लिये स्वयं को तैयार रखिये... 

छत्‍तीसगढ़ी होली गीत - छत्‍तीसगढ़ की माटी की महक फागुन के महीने कैसी होती है मुंबई में अपनी प्रति‍भा का जादू बि‍खेरते अंचल के कलाकार अर्नब चटर्जी ...हुये तुम मेरे मै तुम्हारी होली… - *होली मुबारक हो आप सभी को...* * **रंगों की होली सजायें रगोंली* *हुये तुम मेरे मै तुम्हारी होली…* * **आओ मिटा दें दूरियाँ दिलों से* *ज़िंदगी सजा दें आज रंगों...होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाए ! - * ** ** ** ** ** ** ** ** ** ** ** ** **भले ही हुकूमत * *बेइंतहा भ्रष्ठ, निक्कमी और ढीली हो,* *सल्तनत में भी * *न कहीं नजर आती कोई तबदीली हो।* *मंदी का तम *...



होली व्यंगिकाएं - *घोटालों की होली* ** यूपीए तोड़ रही है, भ्रष्टाचार के रिकार्ड सारे, क्या अफसर, क्या नेता, भष्ट ...होली आई रे... - ** * * * * * * * * * * * * * * * * * * *भावना और ममत्व की बयार हो,* *गुझिया और दही-बड़े से प्यार हो,* *अबीर-गुलाल से मुख लाल हो,* *ऐसा खूबसूरत और सुकून ...  चश्मे पे जब हो जाये , रंगों की बौछार--- - 1) होली के हुडदंग में, भांति भांति के रंग रंगों की बौछार में , मस्ती लाये भंग । मस्ती लाये भंग की , इक छोटी सी गोली, कि शर्मा जी की घरवाली , वर्मा जी संग ...

गुटखा ले लेगा उसकी जान, कर दो सभी को सावधान ! - * गुटखा ये पाउच वाला, जिसने भी मुंह में डाला * *गुटखा ले लेगा उसकी जान, कर दो सभी को सावधान !*   ....होली हैं ..... - कुंहू -कुंहू बोले कोयलियाँ होली संग खेले सावरियां ! नीले -पीले और गुलाबी रंग भरे पिचकारियाँ ! गाल गुलाबी हो या लाल आज रंगेगी दिलवालियाँ ! बुरा न मानो...हाइकु .....बसंत ......पर ......................!! - फाल्गुनी रंग ...... निर्झर बहे धारा ... मिले किनारा ,,,,, रंग बिरंगी .... बसंत की सौगातें ... फूलों की बातें .... रंग गुलाबी ... 



इस होली में - (जीवन की सोच के हर रंग का मिला जुला सा असर ) इस होली में रंगों की टोली रोशनी का उमड़ता हुआ सैलाब बनी फिर भी रुकावट के लिए खेद है क्यों कि देश को बचाने ..फागुन में - फागुन में तन मेरा महुआ हुआ जाता है फागुन में, हर घाव मरहम हुआ जाता है फागुन में. ये खुमारी ये सिहरन अजब सी हवा में, नशा भांग को हुआ जाता है फागुन में. ...होली... संध्या शर्मा - *होली के रंग आपके जीवन को नए हर्ष और उल्लास से भर दें. होली की बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनायें .... (होली खेलें लेकिन जीवन दायिनी अमृत रुपी **... 

"नाच मेरी बुलबुल" की दूसरी सेमी फ़ाईनलिस्ट मिस. दराला कुमारी - प्यारे दर्शकों, ताऊ टीवी के होली कार्यक्रम* "नाच मेरी बुलबुल" प्रतियोगिता *मे अभी भी कुछ प्रतियोगियों का परफ़ार्मेंस बाकी बचा है. प्रतियोगियों को विश्वा..होली में. - *होली में * बहकी बहकी कली खिली है होली में महकी महकी हवा चली है होली में, उन्मादों कि घटा घनेरी घिर आई मलय पवन में चंवर झली है होली में, अमरैय्या में... "ब्लाग टाइटिल" जोगीरा सररर.... गाने पर लगी रोक ! - आज की सबसे बड़ी खबर यही है कि गृह मंत्रालय के अलर्ट के बाद देश के पांच बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकता, चेन्नई और बंगलोर में होली से ठीक 24 घंटे पहले या...  



 
 
मेरी पसंद का एक गीत...

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार......

आज की एतिहासिक वार्ता में कोई भी ब्लागर बचा नहीं सब के चिट्ठे दर्ज़ हैं यहां..

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सवाल : दो माइक क्यों
जवाब : जब सियासी मामला हो तो मुंह दो जाते हैं


    समीरलाल समीर ने एक लम्बी ज़द्दो-ज़हद के बाद ब्लागर्स की एक सियासी पार्ती की घोषणा अंतत: आज़ जबलपुर आकर कर ही दी . उनका अचानक जबलपुर आगमन हुआ.आज़ अल्ल सुबह 5:30 बजे उड़न-रक़ाबी ने जबलपुर के रामपुर एम.पी.ई.बी. की पहाड़ियों जैसे ही लैण्ड किया वैसे ही उधर मौज़ूद जबलपुरिया ब्लागर्स   सह फ़ेसबुकिये क्रमश: विजय तिवारी, बवाल, राजेश दुबे अनूप शुक्ल जी ने सुबह सवेरे टाइप का स्वागत किया. किसी के हाथ में लोटा और पानी से लबालब बाल्टी लिये था, तो कोई नीमिया दातून लिये था. बवाल चाय खौलाते पाए गए.
पोण्ड में नहाने के इरादा था पर मुईं
गाजरघासों से डरे डरे शुक्ला जी

बवाल ने जब प्रात: कालीन औपचारिकाओं के निपटान के बाद चाय पेश की तो समीर लाल यह कहते पाए गये- "कौन टाइप की चाय बनाने लगे ?"- समीर का यह स्टेटमेंट सुन बवाल ने कहा-"जौन टाइप की चाय चाह रहे हो बो शाम को मिलेगी !" इस वाक्य को सुन कर अनूप शुकल जी दूर तलछटी में पानी परे पौंड में  खड़े खड़े मंद-मंद मुस्कान बिखेरेते हुए मौज लेने लगे. यूं तो वे विद्योत्तमा की तलाश में बावरे कालिदासों.  को लेकर भी चिंतित थे पर समीरलाल को लेकर कुछ अधिक भावुक भी लगे जैसा समीरलाल के लिये उनका आदि काल से रवैया रहा है...  इस बीच  उनके सेल पर एक फ़ोन आया जो सम्भवत: दिल्ली से था कालर थे सोचने वाले गधों के मित्र अविनाश वाचस्पति अविनाश जी को  पता नहीं किधर से समीरलाल के अत्यंत गोपनीय दौरे की भनक लगी कि बस वे लगे कि कोई जबलपुर से कन्फ़र्म कर दे कि समीर आ गये तो वे हर गोपनीय को ओपनीय करने का कारोबार आरम्भ करें. किंतु जबलपुरिया हैं कि माई नरबदा की कसम खाए बैठे है कोऊ कछु बतातई नईं आंय .. उनके दिल की हालत ... बहुत अजीब सी थी तभी हमाए फ़ोन पे फ़ोन आया रायपुर से कि हम चंगोरा भाटा से लौटकर ………… सीधे जबलईपुर आवेंगे. व्यवस्था ठीक ठाक रखना . 
सुबह सकारे काफ़िला समीर जी को घर छोड़ आया आज शाम एक प्रेस कांफ़्रेंस हुई जिसकी विस्तृत रिपोर्ट यानी  आगे का भया ये जानने मिसफ़िट पे आना पड़ेगा  
  तब तक आप लोग खुदके लिंक खोजिये... 
bhanuprakashsharma
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मैं चाहे जो करूं, मेरी मर्ज़ी...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार...एक बेहतरीन ऐतिहासिक वार्ता के बाद वार्ता में काफी रौनक दिखाई दे रही है ... उम्मीद करते हैं कि इतिहास को जल्दी-जल्दी दोहराया जायेगा...शुभकामनायें...:)....लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........ 

आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ - आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में आओ प्रीत रंग हजार बिखेर दूं अबकी बार होली में जागा है मधुमास मास आज सुगंध लिए ॠतुराज आया ...होली की हुडदंग कमेंट्स के संग - होली की हुडदंग कमेंट्स के संग...उगतीं हैं कवितायें... - एक दिन उसने कहा कि नहीं लिखी जाती अब कविता लिखी जाये भी तो कैसे कविता कोई लिखने की चीज़ नहीं वो तो उपजती है खुद ही फिर बेशक उगे कुकुरमुत्तों सी .. 

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४८वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: ग्यारहवाँ अध्याय (विश्वरूपदर्शन-योग-११.४७-५५) श्री भगवान: तुम पर प्रसन्न...एस. के. पाण्डेय की लघुकथा - बुराई - बुराई रजनी ने राजीव से कहा कि जब देखो तब तुम हमारी बुराई ही करते रहते हो कभी प्रशंसा नहीं करते। राजीव बोला यह तुम्हारा भ्रम है। मैं तुम्हारी बुराई क्यों कर..एक जंगल में मैं थी, एक जंगल मुझमें था... - रास्ते नये नहीं थे. बस अरसे से रास्तों ने पुकारा नहीं था. चलने का जी चाहता तो था लेकिन रास्तों की पुकार का इंतजार था। तो चलने की ख्वाहिशों को .... 

कैसे मीमांसा करे कोई - तुम अग्निवेश हो कैसे मीमांसा करे कोई जलाकर खाक करने की तुम्हारी नियति रही कैसे नव निर्माण करे कोई विध्वंसता तुम्हारा गुण रहा क्या हुआ जो कभी तुमने रोटी ...इश्क ..इश्क ...इश्क ...इश्क ..इश्क ...इश्क - अनोखा है ढाई अक्षर का इश्क रब को यार बना देता है इश्क। बेटी का भाल चूमता है इश्क प्रिय की बाहों में झूमता है इश्क। मामूली नहीं विशाल है इश्क चाहो तो ...दार्शनिक का इनाम - युवा दार्शनिक वॉल्‍फगांग हैरिख दर्शनशास्‍त्र के ऊपर एक नई किताब लेकर महाशय 'ब' के पास आए और उनसे आग्रह किया कि वे तत्‍काल उसे पढ़ लें। किताब इतनी मोटी थी...

बेटा क्या सोच रहा - आज न जाने क्यूँ बाबूजी उदासी धेरे मुझे जैसे ही पलक मूंदता आप समक्ष होतेमेरे आपका हाथ सर पर दे रहा संबल मुझे | हो गया कितना बदलाव पहले में और आज में...कोई तो है..... - * ** **कोई तो है....जो मेरा इंतज़ार करता है..* *दिल,तमन्ना औ' हम पे जां निसार करता है..!* * **मेरे दीदार को तरसे हैं...किसी की ऑंखें...* *वो एक शख्स..... "पिया के घर में पहला दिन ' परिचर्चा : साधना वैद जी, इस्मत जैदी एवं अर्चना चाव जी के संस्मरण - पिया के घर में पहला दिन ' परिचर्चा के अंतर्गत अब तक *लावण्या शाह जी, रंजू भाटिया, रचना आभा, स्वप्न मञ्जूषा 'अदा' ,सरस दरबारी , कविता वर्मा , वन्दना अवस्थी...

प्रेम/तलाश/अँधेरा - मैंने बोया था उस रोज़ कुछ, बहुत गहरे, मिट्टी में तुम्हारे प्रेम का बीज समझ कर. और सींचा था अपने प्रेम से जतन से पाला था. देखो ! उग आयी है एक नागफनी... कहो...पराई प्यास.... - अधपके बालों के बीच दर्द भरा निस्तेज चेहरा निढाल, बेहाल जैसे गिन रहा हो अपनी ही सांसों का आना-जाना ज्वर की तपन से तप्त रग-रग में दौड़ती थकान दिनभर की ... उदासी मेरे जैसी..... - ये उदासी मेरे जैसी है, ये प्‍यार तेरे जैसा है मैं खुद को खुद से मि‍लने नहीं देती तू मुझको पास अपने आने नहीं देता तेरा प्‍यार शीशी बंद खुश्‍बू, उड़ जाएगा ...

बावला बनने का सुख - सचमुच में बावला होने के जितने दुःख हैं सोच समझकर बावला बनने के उतने ही सुख । मूर्ख बने रहना हर परिस्थिति में कमजोरी नहीं होता । कई बार तो ऐसा भी देखने में.खिलवत में सजन के मैं मोम की बाती हूं .... - *लेख* ** * * * - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह * * * *‘प्रेम’ एक जादुई शब्द है। कोई कहता है कि प्रेम एक अनभूति है तो कोई इसे भावनाओं का पाखण्ड...कौन यहाँ मिलनातुर नहीं है ? - सब ऋतुओं से गुजर कर तुम ऐसे मेरे करीब आना कि अपने मन के पके सारे धूप-छाँव को मुझे ...

नरेंद्र मोदी के आगे घूमती भाजपा की रणनीति - *हरेश कुमार* भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है, यह अनुमानों के अनुसार ही था। ...जिहाद और आतंक - मुंबई पुलिस के एक आन्तरिक परिपत्र में जिस तरह से प्रमुख भारतीय इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी हिन्द की शाखाओं पर उसके लड़कियों के... संजय दत्त : अभिनेता या अपराधी ! - संजय दत्त ! ऐसा लग रहा है कि संजय दत्त का मामला आज देश की राष्ट्रीय समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है। हर तरफ से विचार आ रहे हैं, राजनेता, ..उसने  मुझसे इक दिन भीगी आँखों से कहा ये मुहब्‍बत भी बहुत बुरी शय होती है किसी और की खबर रखते-रखते खुद से बेखबर हो जाती है ...कुछ टूटने से पहले ....आवाज हो ये जरूरी तो नहीं तुमने देखा तो होगा फूलों का खिलना और बिखर जाना चुपके से!!! ..  


 

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

अनुभुति की सुकृति युगे-युगे...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार...मानव धर्म वह व्यवहार है जो मानव जगत में परस्पर प्रेम, सहानुभूति, एक दूसरे का सम्मान करना आदि सिखाकर हमें श्रेष्ठ आदर्शो की ओर ले जाता है। मानव धर्म उस सर्वप्रिय, सर्वश्रेष्ठ और सर्वहितैषी स्वच्छ व्यवहार को माना गया है जिसका अनुसरण करने से सबको प्रसन्नता एवं शांति प्राप्त हो सके। धर्म वह मानवीय आचरण है जो अलौकिक कल्पना पर आधारित है और जिनका आचरण श्रेयस्कर माना जाता है। संसार के सभी धर्मो की मान्यता है कि विश्व एक नैतिक राज्य है और धर्म उस नैतिक राज्य का कानून है। दूसरों की भावनाओं को न समझना, उनके साथ अन्याय करना और अपनी जिद पर अड़े रहना धर्म नहीं है। एकता, सौमनस्य और सबका आदर ही धर्म का मार्ग है, साथ ही सच्ची मानवता का परिचय भी। [लाजपतराय सभरवाल]. इस सुविचार के साथ आइये चलते हैं आज की वार्ता पर कुछ चुनिन्दा लिंक्स के साथ...  लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........ 

घूरने वालों ने दी कुर्बानी ( एक व्यंग्य टिप्पणी) - *हिंदुस्तान के सम्पादकीय पृष्ठ पर नश्तर कॉलम में प्रकाशित ( देखते देखते चले गये देखने वाले)* * **सुना है घूरे के दिन भी फिरते हैं तो भला घूरने वालों के दिन..मन लागा मेरा यार फकीरी में..जुदा -जुदा फकीरी - श्रीगंगानगर-फकीरी! जिस के पास सब है उसका फक्कड़ अंदाज फकीरी है। जिसके पास कुछ लेकिन वह ऐसे जीता है जैसे दुनियाँ की सभी सुख सुविधा उसके कदमों में है तो ...३ जी रोमिंग - लगता है कि देश में किसी कानून में कमी निकाल कर अपना काम निकाल लेने की नेताओं की मंशा का असर अब उद्योग समूहों पर भी पड़ने लगा है ...

सिंघा धुरवा - बार-नवापारा के जंगल में कांसा पठार एवं रमिहा पठार के बीच में हटवारा पठार स्थित है। इस पठार को सिंघा धुरवा कहा जाता है। मान्यता है कि जंगल में स्थित पठार पर आनी बानी : 14 भाषा के कविता के छत्‍तीसगढ़ी अनुवाद - संगें संग इहू ल देखव —छत्तीसगढ़ी कविता मा लोक जागरन के सुर चना के दार राजा, चना के दार रानी..नक्सली व सलवा - जुडूम के अत्याचारों से त्रस्त होकर भाग कर आन्ध्र आये हजारों आदिवासी परिवार जीने के लिए तरस रहे - साथियों , इस समय मै आन्ध्र प्रदेश के जिला खम्मम के भद्राचलम क्षेत्र के उस इलाके में हूँ , जहाँ दक्षिण छत्तीसगढ़ से सैकड़ों आदिवासी गाँव के गाँव छोड़कर आ बस..

 मिस काल - गीत बजता- 'प्यार किया तो डरना क्या, प्यार किया कोई चोरी नहीं की', एक समय था जब रेडियो पर यह गीत सुनते कोई लड़की पकड़ी जाए तो उसकी खैर नहीं, और लड़के सुनते ..मुकम्मल ख़त नहीं लिखते .....!!! - *उसे .... मैंने ही लिखा था कि लहजे बर्फ हो जाएँ तो पिघला नहीं करते ....!!!**परिंदे डर के उड़ जाएँ तो फिर लौटा नहीं करते .. उसे मैंने ही लिखा था **कि ...सहर न हुयी... - *रात मेरी अँधेरी, सहर न हुयी* ** *पीर बढ़ती गयी मुक्तसर न हुयी -* * हम चिरागों के दर से बहुत दूर थे* *चाँद भी सो गया ,चांद... 

 वो आवाज भी बदलेंगे और अंदाज भी ! - * ** **चोरी का माल खाके, हुए बदमिजाज भी, * *वो जो बेईमान भी है और दगाबाज भी।* * * *मिला माल लुच्चे-लफंगों को मुफ्त का, * *घर-लॉकर भी भर दिए, और दराज भी। ...कहना मुश्किल था कि बोतल में शराब थी या --- - होली के कुछ दिन बाद शाम का समय था। अस्पताल से घर जाते हुए सड़क पर ट्रैफिक बहुत मिला। ऊपर से सड़क पर पुलिस के बैरिकेड, मानो स्पीड कम करने के लिए बस इन्ही ..घर-जमाई - किसी विद्वान ने लिखा है कि ‘इतिहास खुद को दुहराया करता है और अगली बार उसी पर प्रहसन यानि नाटक भी करवाता है'. मैं, टीकाराम फुलारा अपने देश से बहुत दूर ...

सुहाने सपने - सुहाने सपने सपने सभी देखते हैं। चाहे बच्चे हो ,जवान हो या बूढ़े। ये सपने कभी मन को गुदगुदा जाता है तो कभी डराता और कभी रात भर तंग करता है। देखिये कैसे ?..."युगे-युगे"...मिथ्या दंभ में चूर स्वयं को श्रेष्ठ घोषित कर कोई श्रेष्ठ नहीं हो जाता निर्लज्जता का प्रदर्शन निशानी है बुद्धुत्व की सूर्य को क्या जरुरत दीपक के प्रकाश की वह ...अनुभुति की सुकृति ....!! - अनुभूति ...से अनुभूत ... अनुभूति से अनुरंजित ... अनुभूति के अनुकूल ... अनुभुति से अनुरक्त ... 

बोझिल तन्हाइयां - आँखों की आँखों से बातें ली जज्बातों की सौगातें कुछ हुई आत्मसात शेष बहीं आसुओं के साथ अश्रु थे खारे जल से साथ पा कर उनका हुई नमकीन वे भी यह अनुभव कुछ ....ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर ...:)इन्टरनेट खंगालते हुए कुछ प्रेम पत्र प्राप्त हुए सोचा आप लोग भी पढ़ लें .... एक सम्पादक पति का प्रेम पत्र ..क्षणिकाजिद्दी मन कभी कभी खुद की भी नहीं सुनता और वही करता है जो उसे खुद को अच्छा लगता है। *   

सुअरमार गढ़ - छत्तीसगढ़ अंचल में मृदा भित्ति दुर्ग बहुतायत में मिलते हैं। प्राचीन काल में जमीदार, सामंत या राजा सुरक्षा के लिए मैदानी क्षेत्र में मृदा भित्ति दुर्गों का...दुनिया को कामसूत्र का ज्ञान देने वाला देश खुद अपने सेक्स से जुड़े मसलों को लेकर इतना असहाय हो गया!!! .*महापुरुषों की मूर्तियाँ लगवाकर उनको भूल जाना और महान विचारों को किताबों तक सीमित कर देना हमारा पुराना शगल है!!!* * **महिला सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी छवि धूमिल ही हुई है।* *..सपने और रोटियां.सपने अक्सर झूठे होते हैं. मैने झूठ बेचकर सच ख़रीदा है. सच अपने बूढ़े माँ बाप के लिए, सच अपने बीवी बच्चों के लिए, मैने सपने बेचकर खरीदी हैं रोटियां. सपने सहेजे नहीं जा सकते, मैं सहेज कर रखता हूँ रोटियाँ, ...

प्रस्तुत हैं नैनों पर कुछ दोहेनयन झुकाए मोहिनी, मंद मंद मुस्काय । रूप अनोखा देखके, दर्पण भी शर्माय ।। नयन चलाते छूरियां, नयन चलाते बाण । नयनन की भाषा कठिन, नयन क्षीर आषाण । इन्तजार ! *झुकी पलकों में छुपे* *उसके नयनों को * *सदा ही नम पाया,* *आहते में खड़े-खड़े,* *किसी की राह तकते * *उसे हरदम पाया।* *कोशिश तो बहुत की * *पढने की वह चेहरा,* *मगर पढ़ने न दिया,* *कभी बिखरी हुई लटों ने,*..दीवानगीराजा विक्रम अज्ञात वास में शायद परियों के देश में १* पहले मेरे प्यार और नेमत के काबिल बन जा फिर उठा हाथ सज़दे में या कुछ माँगने खातिर २ ** मेरा इश्क मेरी दीवानगी मयखाने में नज़र आती है ........


दीजिये इजाज़त नमस्कार.......


कबहुँ नैन हँसे, कबहुँ नैन बीच कजरा... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार..आ जाए जब जीना और मरना जीवन के प्रत्येक पल में, हर आती जाती श्वास दे अहसास मृत्यु और पुनर्जन्म का, पहचान लें अपनी कमियाँ निरपेक्ष भाव से जो मिटा दे कलुष अंतर्मन का, देखें केवल द्रष्टा भाव से सभी अच्छे और बुरे कर्मों को, बिना किसी पूर्वाग्रह के झांकें दूसरों के अंतर्मन में और कर पायें तादात्म्य आत्मा से, लगती है सहज तब मृत्यु भी जीवन में घटित घटनाओं की तरह, नहीं होता अनुभूत कोई अंतर तबजीवन और मृत्युमें. ...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........

Diamonds are forever!! - कभी-कभी हमको अपना ऊपर बहुत गोस्सा आता है कि जहाँ पढा-लिखा लोग-बाग, अपना बात कहने के लिये गीता-पुरान, उपनिसद अऊर ग्रंथ का उदाहरन देता हैमील का पत्थर - वनिता अप्रेल अंक में मेरी कहानी "परछाइयों के उजाले"...केहि विधि प्यार जताऊं ..........."  कबहुँ आप हँसे , कबहुँ नैन हँसे , कबहुँ नैन के बीच , हँसे कजरा । कबहुँ टिकुली सजै , कबहुँ बेनी सजै , कबहुँ बेनी के बीच , सजै गजरा । कबहुँ चहक उठै , कबहुँ महक उठै , लगै खेलत जैसे, बिजुरी औ बदरा । कबहुँ कसम धरें , कबहुँ कसम धरावै ...

बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ ………… - सोचती हूँ कभी - कभी ना जाने क्यों छोडा उसने क्या कमी थी? खुद की तो पसन्द थी रूप रंग पर तो जैसे भोर की उजास छलकती थी आईने भी शर्माते थे जब रूप लावण्य दमकता ...  गीत - मैं यह भी तो न जान सकी मुझ पर बहार कब आई है, कब कोमल कलियाँ चटक गयी; कब लाज़ की लाली धाई है। कब मेरा वह भोला बचपन इस रंगमंच से विदा हुआ, कब चंचल चितवन चुंगल... राधे राधे तेरे दर्शन को हम हैं प्यासे - राधे राधे तेरे दर्शन को हम हैं प्यासे जल्दी आ मन उपवन मे ………नैना भये उदासेसाथ मे मोहन को भी लाना हिल मिल फिर बंसी बजाना करो कलोल मिल बांके राधे राधे तेरे..

खाली दिमाग शैतान का घर ! - इन दिनों वत्सल के पास मैसूर आई हुई हूँ ... कहते है खाली दिमाग शैतान का घर होता है :-) --- खुद को काम में इतना झौंक दो की दिमाग कभी खाली ही न रहे , साथ ही ...ऐसे हमारे हाल कब थे ! - अधिक व्यस्तता की वजह से क्षमा सहित ये टुच्ची सी गजल प्रस्तुत है :) :- *श्रीमती तुम्हारे सोचने को, ऐसे हमारे हाल कब थे,* * ...देवी भक्तों ने जमकर उड़ाया नानवेज ! - देवी के भक्तों ने कल यानि 10 अप्रैल की रात को जमकर उड़ाया नानवेज ! वैसे तो मैं नवरात्र में पूरे नौ दिन व्रत ना करके पहले और आखिरी दिन ही व्रत करता हूं, ... 

सुचना माध्यमों (media ) का नमो नम: और रागा गान !! - आजकल सुचना माध्यमों में जिस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने को लेकर है ! ....जरूर लौटेगी गौरैया: जनसत्ता में ‘आरोहण’ - 12 अप्रैल 2013 को जनसत्ता के नियमित स्तंभ ‘समांतर’ में आरोहण गौरेया का The post जरूर लौटेगी गौरैया: जनसत्ता में ‘आरोहण’...सदीप भाई, पोपट और ब्लॉगर्स...खुशदीप - रात को इंटरनेट पर बैठा तो कल की मेरी पोस्ट के लिए स्पैम में ये दो टिप्पणियां दिखीं...टिप्पणियां करने वाले दोनों सज्जनों का प्रोफ़ाइल नहीं मिला...ना डॉ संत... 

सोलह दिन गणगौर के .... - इन दिनों गणगौर त्यौहार की तैयारियां चरमोत्कर्ष पर है . आज *सिंजारा* है , सुहागिनें हाथों में मेहंदी रचाएंगी , झुण्ड के झुण्ड पनघट /बावड़ी /तालाब से गीत ...  .रामजी कब आओगे? - फिर से करने तुम राज, रामजी कब आओगे? है पूजित रावण आज, रामजी कब आओगे? निज कर्मों से सिखलाया, नारी का मान बढ़ाया लुटती सीता की लाज, रामजी कब आओगे? ... अमन के लिए. - * *** ** अमन के लिए. खुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए, बचा के कर रख प्यारे कल के लिए ! रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है , मत गँवाना कपट और छल के लिए !...

 इन दिनों....... - इन दिनों, सांझ ढले,आसमान से परिंदों का जाना और तारों का आना अच्छा नहीं लगता गति से स्थिर हो जाना सा अच्छा नहीं लगता....आक्रांत हूँ ... - विभिन्न विधियों से चलती रहती है मेरी चरित्र-योजना ... मैं अपनी अस्मिता को निजता तथा विशिष्टा के लचीले अनुपातों को घटा-बढ़ा कर समायोजित करती रहती हूँ ...मेरा मानवीय कद - चैतन्य तुम बड़े हो रहे हो सीख गए हो जूते के फीते बांधना साथ ही अपनी बातों को साधना आ गयी है तुम्हें मन की कहने, मोह लेने की अद्भुत कला जुटा लेते हो कितनी..





दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

एवरी थिंग इज फ़ाईन... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार..यूँ तो हमरी आदत है,  सुबह के साढ़े चार या पौने पाँच बजे उठ जाने का। बचपन से बाबा ने ऐसी आदत लगाई कि आज तक, हम उस आदत के मारे हुए हैं। हमरा जल्दी उठना कई बार, लोगों को हमको कुछ न कुछ सुनाने का ज़बरदस्त मौका दे ही देता है, 'न खुद सोती है न हमें सोने देती है', ई उलाहना हम सैकड़ों बार सुन चुके हैं। यही आदत अब हम विरासत स्वरुप अपनी बेटी को भी दे ही दिए हैं। अब हम अकेले काहे सुने ई उलाहना-फुलाहनाएवरी थिंग इज फ़ाईन... ...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .......

सप्पोर्ट सिस्टम - थक गयी हूँ फासला तय करते -करते जो आ गया हमारे बीच एक फैसला करते करते . ज़िंदगी....इतनी दुश्वार तो कभी न थी जितना अब हो चली है बड़े दिनों से ... रत्नाकर की थाह कौन ले - रत्नाकर की थाह कौन ले जिस पल से सागर ने स्वयं को बस लहरें होना मान लिया, बनना, मिटना, आहत होना इसको ही जीवन जान लिया ! ...सब कुछ हाय! बहा जा रहा है ... - उसके उन्मद में ऊभ-चूभ हूँ या कि सचमुच ये तन-मन दहा जा रहा है देखो न ! ... 

हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं...... ? - कल मैं लम्बी यात्रा पर था, रास्ते में देखा कि एक ट्रक खड्ड में गिरी है और उसके पीछे लिखा है - *" हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं ।"* मुझे बड़ी हंसी आई,...  रामलाल ! काठमांडु चलबे का रे? - *डिस्क्लैमर: अगर ये आप अपनी बात समझ रहे तो मात्र सन्योग के अलावा कुछ नही :):):)* रामलाल! काठमांडु चलबे का रे? काहे सामलाल? अरे उहाँ इज्जत...हिंदी ब्लॉगिंग में ये 'तीसरा' कौन है... - हिंदी ब्लॉग जगत बहुत दिनों से *हाइबरनेशन *यानि शीतनिद्रा में था...भला हो जर्मन डायचे वेले का जो इसने शीतनिद्रा को भंग किया...

भानगढ़ का मंदिर शिल्प - भूतिया कुंए का पानी पीते रतन सिंह जीआरंभ से पढें सोमेश्वर मंदिर से दांई तरफ़ चलने पर घनी झाड़ियाँ है तथा इधर कोई रिहायसी निर्माण कार्य नहीं है। ....आभासी दुनिया के वास्तविक खतरे - इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साईट्स का विस्तार जहाँ लोगों को जोड़ रहा है वहीं संचार की विकसित होती यह नयी संस्कृति अपने साथ कई तरह की समस्याएं भी ला रही ..चिट्ठियों से चिट्ठा तक: जनसत्ता में ‘शब्द-सृजन की ओर’ - 19 अप्रैल 2013 को जनसत्ता के नियमित स्तंभ ‘समांतर’ में शब्द-सृजन की ओर चिट्ठे तक The post चिट्ठियों से चिट्ठा तक: जनसत्ता में ‘शब्द-सृजन की ओर’...

ओ........! सड़कवासी राम! ... - हरीश भादानी जन कवि थे। थार की रेत का रुदन उन के गीतों में सुनाई देता था। आज राम नवमी के दिन उन का यह गीत स्मरण हो आया ... *ओ! सड़कवासी राम! ** * - *.हर.. मुझे रावण जैसा भाई चाहिए ... - फेसबुक आदि पर ये कविता पिछले कई दिनों लगातार शेयर होती रही है, लेकिन इसे लिखनेवाले की कोई पुख्ता पहचान नहीं मिली हालांकि *सुधा शुक्ला जी* ने ये कविता १९९८..रामजन्म प्रसंग : भगवान प्रकट होते हैं! - चाँद चढ़े, सूरज चढ़े दीपक जले हजार। जिस घर में बालक नहीं वह घर निपट अंधियार।। कभी रामलीला में गुरु वशिष्ठ के सम्मुख बड़े ही दीन भाव से राजा दशरथ के मुख ... 

सदा नीरा ...- ना कोई डोर/ नातों की ना कोई बंधन/ वादों का फिर भी... साथ चलते जाना सदा नीरा के सिमटने से मिलन का अहसास पास होकर भी दूर होना दो किनारे हैं... तो क्या ...आँखें.*आँखें * *कितनी बड़ी दुआ हैं !* *किसी अंधेरी राह के * *राही ने हसरत छलकाई * *सच ऐसा है क्या ...* *सोते - जागते हर पल * *स्वप्नदर्शी बना * *कितनी चुभन दे * *दिखा कर राह * *रौशन **अँधेरे की ..थोड़ा अपना सा,थोड़ा बेगाना सा .. - इस शहर से मेरा नाता अजीब सा है। पराया है, पर अजनबी कभी नहीं लगा . तब भी नहीं जब पहली बार इससे परिचय हुआ। एक अलग सी शक्ति है शायद इस शहर में कि कुछ भी न ......

प्यार में दर्द है, - प्यार में दर्द है, प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है वो सनम जब यहाँ बेवफा हो गया टुकड़े-टुकड़े जिगर के मेरे कर गया,.सब चारागरों को चारागरी से गुरेज़ था - मैं जयपुर से जोधपुर के लिए रोडवेज की बस में यात्रा कर रहा था। गरम दिनों की रुत ने अपनी आमद दर्ज़ करवा दी थी। ये काफी उमस से भरा हुआ दिन था।  ...पूंजी-निवेश - *पूंजी-निवेश* ****** आपने पैदा की है पुत्री पुत्र का दर्द क्या होता है , आप उससे अनजान हैं , रात- रात भर सोये नहीं हैं उसकी परवरिस में कौन सा गम ढोए नहीं..शेर जो देखन मैं चल्या, शेर मिल्या ना कोय --- - बचपन में शेर की कहानी सुनने में बड़ा मज़ा आता था। आज भी डिस्कवरी चैनल पर अफ्रीका के जंगलों की सैर करते हुए जंगली जानवरों के बारे में फिल्म देख कर बड़ा रोमा...


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दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में बाबाश्री का ब्लागिंग नशा मुक्ति शिविर .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

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आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , यूपीए-2 की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। ऐसे में रेलमंत्री पवन बंसल ने भी उनकी मुसीबते बढ़ा दी है। सीबीआई का आरोप है कि महेश कुमार नाम के रेलवे अधिकारी को रेलवे बोर्ड का मेंबर बनाने के लिए पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला ने 10 करोड़ रुपये की डील हुई। महेश ने बंसल के भांजे को 2 करोड़ रुपये की पहली किस्त दे भी दी। सीबीआई विजय सिंगला के पास से 90 लाख रुपये बरामद भी कर चुका है। 6 लोगों को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है, 2 लोग फरार हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नैतिकता के आधार पर रेलमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। पार्टी रेलमंत्री के बचाव में उतर आई है। पार्टी के बड़े नेता कह रहे हैं कि बंसल को इस्तीफे की कोई जरूरत नहीं है। सत्ता में रहने वाले किसी मंत्री का रिश्तेदार अगर रिश्वत ले ले तो क्या मंत्री की जिम्मेदारी बनती है ??

इस खास खबर के साथ चलते हैं आज की वार्ता पर ....

रे मन!... - तन की तल्लिनता को तौल कर मत निहार मन की मलिनता को मौन हो मत स्वीकार घन की घनिष्ठता का सुन तू घोर घर्षण छन-छन छनकती पायल का मत रख आकर्षण धन की धौंस से न धर...अनमोल जीवन - विश्व वंचित कर रहा है, है सकल संवाद स्थिर, दृष्टि में दिखती उपेक्षा, भाव तम एकांत में घिर। मान लो संकेत है यह, कर्म एकल, श्वेत है यह, आत्म की राहें ...आनंद कुछ और ही होता - तारों भरे आकाश में ले ज्योत्सना साथ में मयंक चला भ्रमण करने अनंत व्योम के विस्तार में सभी चांदनी में नहाए ज्योतिर्मय हुए क्या पृथ्वी क्या आकाश पर पास...मात्र देह नहीं है नारी .. 5 - उसने कहा लड़के - लड़कियों का ध्यान इस तरफ हो यह बात तो समझ में आती है , लेकिन इन मैगजीनों को तो 50-60 साल तक के स्त्री - पुरुष भी पढ़ते हैं . फिर हम कहते है...याद दिलाता है हर मंजर - याद दिलाता है हर मंजर सूना-सूना घर तकता है मालिक घर के कहाँ गये, खाली कमरा दिक् करता है जल्दी लौटें जहाँ गये ! हर इतवार को जिसे संवारा पूजा क...

भारतीय शेयर बाजार : कैसा रहेगा अगला सप्‍ताह ??2 मई की पोस्‍ट में मैने जानकारी दी थी भारतीय शेयर बाजार से संबंधित अनुसंधान भी हमारे द्वारा किया गया है , जिसके आधार पर इसके भविष्‍य की जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। इस विषय में हमारे रिसर्च की शुरूआत जनवरी 2008 में तब हुई थी , जब शेयर बाजार दिन प्रतिदिन बडे बडे कदम नाप रहा था। सौ साल पुरानी विरासत, लेकिन रख रखाव के लिये पैसे नहीं - हम लोग मुक्तेश्वर में इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट देखने गये वहां डा.शर्मा ने हमें घुमाया। इस चिट्ठी में,उनके बारे में और डीएनए से फिंगर प्रिटिंग के...त्रिपुरी के कलचुरि - त्रिपुर सुंदरी तेवर आज का दिन भी पूरा ही था हमारे पास। रात 9 बजे रायपुर के लिए मेरी ट्रेन थी। मोहर्रम के दौरान हुए हुड़दंग के कारण कुछ थाना क्षेत्रों में कर...ये छत्तीसगढ़ है मेरी जान - - * केवल कृष्ण* गेंद उछली और धारणाओं के कोहरे को चीरती हुई निकल गई। बल्ले ने घूमकर ऐसा शाट लगाया कि अफवाहें, गलतफहमियां शीशे की तरह चूर-चूर होकर बिखर ...

वो सुपरवूमैन कहलाती हैं - वो सुपरवूमैन कहलाती हैं वो शक्तिशाली कहलाते हैं मेगज़ीनों में शीर्ष पर छाते हैं तभी तो हमारे सैनिकों के सिर काट लिए जाते हैं सच्चाई की आवाज़ को दबाया ...सरबजीतों को यों मरने न दें - सरबजीतों को यों मरने न दें - डॉ. वेद प्रताप वैदिक सरबजीत सिंह अगर भारतीय जासूस होता या आतंकवादी होता तो क्या हमारी सरकार को पता नहीं होता? सरकार को सरबजीत...आजादी के बाद से ही हम कूटनीतिक तौर पर विफल साबित हुए हैं !! - भारत को जब से आजादी मिली है तब से लेकर आज तक हम कूटनीतिक तौर पर विफल साबित होते आ रहें हैं जिसका नतीजा यह हुआ कि हमारे कुछ भूभाग पर चीन १९६२ से काबिज है त...जय हिन्द.... संध्या शर्मा -टूट चुका बाँध तबाही मची है सब कुछ बह गया कब तक सहोगे अन्याय - अत्याचार स्वाभिमान पर प्रहार प्रतीक्षा कैसी??? पानी के बुलबुलों के आगे तुम गंगा की जलध...

जब पहली बार हमें एक अपराधी जैसा होना महसूस हुआ -- ऐ विजिट टू दिल्ली एयरपोर्ट। - एक समय था जब दिल्ली एयरपोर्ट तभी जाना होता था जब *कनाडा* में रहने वाले हमारे मित्र साल दो साल में एक बार दिल्ली आते थे। उन्हें लेने जाते तो आधी रात तक बेस...जंगल जलेबी, स्लेटी रुमाल, नकचढ़ी लड़की और पहाड़ी लड़का - बचपन की कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिनका मतलब उस समय समझ में नहीं आता है. जब हम बड़े हो जाते हैं, तब समझ में आता है कि अमुक काम को करने से, किसी विशेष व्यक्ति .ऊसर भारतीय आत्माएं (कविता ) -*आजकल फिजाएँ कोयल की कूक से गूँज रही है. रोज सुबह कभी लम्बी, कभी बहुत तेज तो कभी धीमी सी कूक सुनाई दे जाती है, कभी-कभी तो पेड़ के नीचे खड़ी हो कोयल को ढू...सुधा की कहानी उसकी ज़ुबानी (2) -(चित्र गूगल के सौजन्य से) सुधा अपने आप को अपनों में भी अकेला महसूस करती है इसलिए अपने परिचय को बेनामी के अँधेरों में छिपा रहने देना चाहती है.... मुझे दी...

दीदार होता है, - दीदार होता है, शाम होते ही इन्तजार उनका होता है, प्यार में नोक-झोक तकरार होता है ! नीचे झुका लेते है ,हम अपनी नजरें, जब उनसे हमारा दीदार ...ख्‍वाब़ और याद.... - 1. गए लम्‍हों की बारि‍श में डूब गई अरमानों की छोटी-छोटी कि‍श्‍ति‍यां कच्‍ची उमर की धूप में पके ख्‍वाब़ गुम हुई आवाजों का पता मांगते हैं 2.यादें कहती हैं ...एक लोटा पानी और दो मुट्ठी चावल- थोडा रूक कर सोचे तो देखेंगे कि हम इस तरह भी तो भगवद सेवा कर सकते है!हम मानव तो अपनी जरुरत की चीजो का संग्रह कर के रख ही लेते है और जितनी जरुरत होती है उस...अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में बाबाश्री का ब्लागिंग नशा मुक्ति शिविर- अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन पर प्रथम पोस्ट, अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन पर द्वितीय पोस्ट अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन के ब्रह्म-कालीन सत्र में आ...नशे में सीमा लांघना 'राष्ट्रीय बहादुरी' है !...खुशदीप -सरबजीत का उसके गांव भिखिविंड में शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो गया...सरबजीत को पाकिस्तान की जेल में 22-23 साल नारकीय परिस्थितियों मे...

रे मन!... - तन की तल्लिनता को तौल कर मत निहार मन की मलिनता को मौन हो मत स्वीकार घन की घनिष्ठता का सुन तू घोर घर्षण छन-छन छनकती पायल का मत रख आकर्षण धन की धौंस से न धर...आँचल तिरंगा...... -*सरफरोशी जन्म लेती है , * *हमारे गाँव में ......* *सरफ़रोश हम हो गए ,* *रह के उसकी छाँव में-* * **मत दे कभी तूं खौफ को, * *मौत से डरते नहीं* *हम वतन की ...शेर - ए - मैसूर टीपू सुल्तान की २१४ वीं पुण्यतिथि - *शेर - ए - मैसूर टीपू सुल्तान को सलाम !!* *भारत माता के इस 'शेर' को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन !*“अंतिम यात्रा का ब्रांडेड पैकेज” - *इंसान के जन्म लेते ही बाजार उसे हाथों-हाथ लेने लगा है और उसकी क्षण-क्षण की प्रगति को पग-पग पर भुनाना शुरु कर दिया है तो उसकी अंतिम यात्रा, उसके निर्वांण...फ्लाईओवर पर तेजी से दौड़ता हुआ शहर -- संजय भास्कर - *( चित्र - गूगल से साभार )* फ्लाईओवर पर तेजी से दौड़ता हुआ शहर यह वह शहर नहीं रहा अब जिस शहर में '' मैं कई वर्षो पहले आया था '' अब तो यह शहर हर समय भ...



अब लेते हैं विदा .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ...



आजकल खबरें आपको परेशान नहीं करतीं..कोई जरूरत नहीं इस्तीफे की .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

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आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , दस करोड़ रूपए की रिश्वतखोरी के मामले में केंद्रीय रेल मंत्री पी के बंसल के भांजे विजय सिंगला के करीबी और कथित बिचौलिया अजय गर्ग को दिल्ली की एक अदालत में आज आत्मसमर्पण करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया । अदालत ने उसे 9 मई तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने गर्ग से हिरासत में पूछताछ की अनुमति दे दी। जब पच्‍चीस पच्‍चास साल पुराने घोटालों की असलियत अबतक नहीं खुल सकी है तो इस घोटाले का भी कुछ नहीं होना , आने वाले दिनों में भी जनता को नए नए घोटालों का तोहफा मिलता रहेगा , हम ब्‍लॉगर्स भी क्‍या करें , हम सिर्फ देख सकते हैं , सुन सकते हैं , लिख सकते हैं ।

इस मध्‍य ब्‍लॉग जगत की भी एक महत्‍वपूर्ण खबर है , फख्र की बात है हिन्दी के सर्प संसार ने दुनियां की दर्जन भर भाषाओं में से सबसे रचनात्मक और सृजनात्मक कटेगरी का बाब्स यूजर पुरस्कार जीत लिया है

 इस खास खबर के बाद देखिए ब्‍लॉग जगत के कुछ महत्‍वपूर्ण लिंक  ......

' जन गन मन ' के रचयिता , भारत माता के लाल , गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को उनकी १५२ वीं जंयती पर शत शत नमन |


आजकल खबरें आपको परेशान नहीं करतीं... वे अपनी शॉक-वैल्यू खो चुकी हैं... यह एक ऐसा दौर है जिसमें हमारे पतन की कोई सीमा नहीं है... कहीं भी, किसी के द्वारा भी, कैसा भी और कुछ भी संभव है... लगभग हर चीज बिकाऊ है और बिकाऊ दिख भी रही है...पवन बंसल जी यूपीए की सरकार में एक साफ और बेदाग छवि के भरोसेमंद और काबिल नेता के तौर पर जाने जाते रहे हैं... उनका भांजा रेल मंत्रालय से होने वाली नियुक्ति और प्रमोशन के बदले लंबी चौड़ी घूस लेते सीबीआई के हाथों पकड़ा गया है... पवन बंसल कसूरवार हो भी सकते हैं और यह भी हो सकता है कि जाँच के बाद यह पता चले कि पवन बंसल इस मामले में शामिल नहीं थे और उनके रिश्तेदारों ने केवल उनकी सदाशयता का अनुचित लाभ उठाया है...

हमारेजीवन में अध्यात्म का आना एक नियत समय पर होता है.इस ज्ञान को जिस क्षण हमने अपने हृदय में स्थापित कर लिया, उसी दिन से हमारे उद्धार की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है. ज्ञान का आश्रय लेकर हम अपने इर्द-गिर्द बने झूठे आश्रयों से किनारा करते चलते हैं. हम जिस जगत का सहारा लेकर खड़े थे, वह तो स्वयं ही डगमगा रहा है, तो हमें क्या संभालेगा.

केन्‍द्र सरकार जिस तरह से अपने भ्रष्ट मंत्रियों का बचाव करने में लगी हैवह देश के लिए चिंता का विषय है. विद्रूपता ये है कि न केवल मंत्री बल्कि तमाम मंत्रालयों, विभागों में बैठे शीर्षस्थ पदाधिकारी भी मनमाने ढंग से अपने मंत्रियों की, अपनी कारगुजारियों को छिपाने का काम कर रहे हैं. बंसल के भांजे के रिश्वत काण्ड के साथ-साथ कोयला घोटाले की अनियमितता के सामने आने ने भविष्य की स्थिति की भयावहता को ही प्रकट किया है.

हमारे देश में सदियों से राजतन्त्र प्रणाली शासन प्रणाली चलती रही धीरे धीरे इस प्रणाली में संघ राज्य की शक्तियाँ क्षीण होती गयी और नतीजा छोटे छोटे स्वतंत्र राज्यों ने जन्म ले लिया, कई सारे स्वतंत्र राज्य होने, उन पर कई वंशानुगत अयोग्य शासकों के आसीन होने के चलते हमारी शासन प्रणाली में कई तरह के विकार उत्पन्न हो गए जो बाहरी आक्रान्ताओं खासकर मुगलों के आने बाद बढ़ते ही गये| मुगलों के आने से पहले हमारे यहाँ के शासक आम जनता से किसी तरह की दुरी नहीं रखते थे पर मुगलों के सम्पर्क में आने के बाद उनका अनुसरण करते हुए वे भी शानो-शौकत से रहने लगे, यहाँ के कई राजा मुगलों के सामंत बन गए तो अपना राज्य सुचारू रूप से चलाने को उन्होंने भी अपने अपने राज्यों में सामंतों की एक बड़ी श्रंखला पैदा कर दी| 
पेश है! फ्रेश है!
इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में मैंने मुंडन करवाया था (क्यों?_वो छोडिये!)। मैं नए उगने वाले बालों के बारे में तरह-तरह के विचारों से जूझ रहा था। घर से बाहर निकलने में लाज आती थी! '...ऊंहूं..बेई, कोई देखतई तो का बोलतई ..!' गनीमत यह थी की सीजन जाड़े का था, जिसमें टोपी के इस्तेमाल से लाज-लगाने वाली बात को छिपाया जा सकता था। फ़ौरन उनी टोपी ने मेरे कंटीले चाँद पर अपना मुकाम बना लिया, और शक्ल को एक समझौता के लायक फ्रेम प्रदान किया! बाबूजी हमेशा कहा करते थे कि :'..बबुआ के ललाट बड़ी ऊँच बा!' अभी देखते तो यही कहते कि '...अंतहीन बा!!' ...अबकी बार लम्बे बाल रखने का खूब मन है। सच्ची!! अनुपम सिन्हा सर के जैसा!

ताऊ पहले लूटमार, चोरी उठाईगिरी करके अपना काम चलाता था.फ़िर कुछ समय बाद डकैतियां डालने लगा. फ़िर एक ऐसा दौर आया कि उसको डाकूगिरी से सरेंडर करना पडा क्योंकि एक अच्छी डील मिल गयी थी.सरेंडर के बाद खुली जेल में रहा जहां कुछ ब्लागरों से दोस्ती हो गई. जेल में रहने के दौरान ही वो ब्लागिंग के गुर सीख चुका था. सजा काटने के बाद उसने धमाकेदार ब्लागरी शुरू कर दी. जैसे कोई नशे का आदी हो जाता है उसी तरह ताऊ भी ब्लागरी का आदी हो गया.

जो होता है वह नजर आ ही जाता है ---------------------------------------- सूरज अपने प्रकाश का विज्ञापन नहीं देता चन्द्रमा के पास भी चांदनी का प्रमाणपत्र नहीं होता! बादल कुछ पल, कुछ घंटे , कुछ दिन ही ढक सकते हैं ,रोक सकते हैं प्रकाश को , चांदनी को ... बादल के छंटते ही नजर आ जाते हैं अपनी पूर्ण आभा के साथ पूर्ववत!

अभी दिन ही कितने हुए हैं।सवा साल ही तो। किसी इलाके में इतनी थोड़ी अवधि में किसी बड़े परिवर्तन की उम्मीद कैसे की जा सकती है। लेकिन उम्मीदों से परे भी घटित हुआ है कोंडागांव में। यदि इसे चमत्कार कह दें तो यह शब्द भी छोटा पड़ जाएगा। चमत्कार कहना उस वैज्ञानिक सोंच और दूरदृष्टि को नजरअंदाज कर देना भी होगा, जिसकी वजह से नक्सलवादियों से पीड़ित इस इलाके के लोग अब खुद को मुक्ति-पथ पर पा रहे हैं।

वह संगीतज्ञ कब से हमारे घर में घुसा बैठा था मुझे पता ही नहीं चला .वो तो रात में पहली झपकी के दौरान ही एक ऐसे तेज संगीत से नीद उचट गयी जिसके आगे जाज और बीटल्स सब फेल थे ....नींद टूटने के बाद अपने को संयत करते हुए ध्यान संगीत के स्रोत की और फोकस किया ...ऐसा लगा कि कर्कश संगीत लहरियां मेरे स्टडी रूम से आ रही हैं। भारी मन से उठा और ताकि देख सकूं यह बिन बुलाया मेहमान कब से चुपके से आ गया था मेरे स्टडी कक्ष में -जयशंकर प्रसाद की एक कविता भी अनायास याद आयी -

एक दिन गुबरैला गोबर से निकल कर घूमते घूमते काली चींटियों की बस्ती में जा पहुंचा . चींटियाँ उसके भारी भरकम शरीर को देखकर आश्चर्य चकित हो गई . कुछ ही दिन में गुबरैला चींटियों का राजा बन बैठा और वह बहुत ही अभिमानी हो गया .सारे चींटे उसके हर आदेश का पालन करते थे और अपने गुबरैला राजा को तरह तरह की खाने पीने की चींजे उपलब्ध कराते रहते थे .

मैं हांफता-कांपता गोंडा जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा, तो वहां पहले से मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सुखहरण जी ने बताया कि हम दोनों में से किसी का भी टिकट कन्फर्म नहीं हो पाया है। मैं गुस्से से चीख पड़ा, ‘आपने तो कहा था, पीएमओ से हो जाएगा, रेलमंत्री कार्यालय से हो जाएगा। ये मंत्री करा देंगे, वे विधायक करा देंगे...अब क्या हुआ?’ सुखहरण जी ने झुंझलाते हुए कहा, ‘एक बात समझो, नहीं हो पाया...तो नहीं हो पाया। प्रधानमंत्री जी कनाडा गए हैं गिल्ली डंडा मैच का उद्घाटन करने, रेल मंत्री जी चार्ट तैयार होने तक छुट्टी पर थे। मंत्री-विधायक सभी टूर पर गए हुए हैं।’

बिना आँच के भट्टी सा सुलगता दर्द रूह पर फ़फ़ोले छोड गया आओ सहेजें इन फ़फ़ोलों में ठहरे पानी को रिसने से ………… कम से कम निशानियों की पहरेदारी में ही उम्र फ़ना हो जाये तो तुझ संग जीने की तलब शायद मिट जाये क्योंकि ……… साथ के लिये जरूरी नहीं चांद तारों का आसमान की धरती पर साथ साथ टहलना यूँ भी फ़ना होने के हर शहर के अपने रिवाज़ होते हैं …………

श्रीगंगानगर-कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो दूर से ही सुहानी लगती है। ठीक ऐसे, जैसे अन्ना हज़ारे टीवी पर ही सजते हैं। ऊंचे मंच पर तिरंगा फहराते अन्ना हर किसी को मोहित,सम्मोहित करते हैं।  चेहरे पर आक्रोश ला जब वे वंदे मातरम का नारा लगाते हैं तो जन जन की उम्मीद दिखते हैं। वे अपने लगते हैं...जो इस उम्र में लाखों लोगों की आँखों  में एक नए भारत की तस्वीर दिखाते हैं। अनशन के दौरान मंच पर निढाल लेटे अन्ना युवाओं के दिलों में चिंता पैदा करते हैं....हर ओर एक ही बात अन्ना का क्या हुआ?

8 , 9 और 10 मई 2013 को सामान्‍य तौर पर ग्रहों की स्थिति शुभ फलदायक है , इसका असर शेयर बाजार और मौसम पर अनुकूल दिखेगा , वृश्चिक राशि वालों के लिए शुभ तथा कन्‍या रावालों के लिए अशुभ रहेगा .. तीनो ही दिन 2 बजे से 4 बजे दिन का समय कुछ अशुभ तथा 7 बजे से 9 बजे रात्रि का समय शुभ फलदायी रहेगा। विस्‍तार में अपने अपने लग्‍न से देखिए अपना अपना राशि फल , इस राशि फल में आपके लिए शुरूआती पंक्ति अधिक महत्‍वपूर्ण होगी , बाद की पंक्तियां कम महत्‍वपूर्ण होती जाएंगी ......

फ़िलहाल ये मेरी आखरी पोस्ट है। लौट कर आऊँगी लेकिन कब आऊँगी मालूम नहीं। आज ही निकल रही हूँ होलैंड और उसके बाद भारत के लिए। शायद आ पाऊं ब्लॉग पर या शायद न भी आ पाऊं। जो भी है आप सभी को हैपी-हैपी ब्लॉग्गिंग। कोई टंकी-वंकी पर नहीं चढ़ रही हूँ, बस एक बार फिर बीजी होने वाली हूँ। तो मिलते हैं एक छोटे/लम्बे ब्रेक के बाद :):)
जब भी लौट कर आऊँगी यहीं आऊँगी :)
मिला जब वो प्यार से, तो गुलाब जैसा है
आँखों में जब उतर गया, शराब जैसा है
खामोशियाँ उसकी मगर, हसीन लग गईं
कहने पे जब वो आया तो, अज़ाब जैसा है

"नासिर" क्या कहता फिरता है कुछ न सुनो तो बेहतर है
दीवाना है दीवाने के मुँह न लगो तो बेहतर है
कल जो था वो आज नहीं जो आज है कल मिट जायेगा
रूखी-सूखी जो मिल जाये शुक्र करो तो बेहतर है 

प्रभु  ने  हम  दोनों  की , किस्मत  एक  बनाई ! 


दुनिया  में  हम  दोनों  को , ज़िंदा  मारा  जाता ,
 मुझे  गर्भ  के भीतर ,तुमको बाहर  काटा जाता  !

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में ,
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं .
माँ की लोरी का एहसास तो है ,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके ,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .


मेरी फैली हुयी बाहें....
ये मेरी –
फैली हुयी बाहें दो –
शाख़ पेड़ की हो,
कब से मुंतज़िर हैं तेरी.....
पतझड़ है तो क्या हुआ –




आज के लिए बस इतना ही ... मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .....

मामा-मामा भूख लगी......ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार.....खो गए सारे शब्‍द देता नहीं कोई एक आवाज भी अब जबकि जानता है वो वही थी एक आवाज मेरे जीने का संबल वो जा बैठा है दूर...इतनी दूर जहां मेरा रूदन वो सुनकर भी नहीं सुनता ना ही पलटकर देखता है कभी एक बार रेत के समंदर में रोज उठता है एक तूफान मेरे वजूद को ढक लेती है रेत भरी आंधि‍यां.... आस भरी आंखों में अब है रेत....केवल रेतमिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्‍या-क्‍या बदल जाता है......लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .......

तुम खुद को छलते हो - धरा पर गर्जन करते समंदर का निर्माण तुमने किया है, गंगा,यमुना,सरस्वती को रास्ता तुमने दिया है, सृष्टि को जीवंत करने वाले दिन को जरूर तुमने ही बनाया होगा...तोता है सीबीआई हमारी - सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को तोता बतलाते हुए सरकार की जो पोल खोली है, वह देश के श्‍वान समुदाय के मुंह पर ऐसा जोरदार तमाचा है कि उनका मुंह काला हो गया है। सर..मामा - मामा भूख लगी.......... - डिस्क्लेमर ........इसका रेल, बस या हवाईजाहज .... किसी भी घोटाले से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है । जैसा राजा वैसी प्रजा । जैसे छात्र वैसे प्रश्न ।...  

बातों के शेर - > चार दिन पहले बीस- पच्चीस साल पूर्व लिखी एक कविता पोस्ट की...जो उस वक़्त > के हालात बयान करती थी. पर आज भी कुछ नहीं बदला ...हालात वैसे के वैसे ही हैं. >...अम्बर भी है बातें करता - अम्बर भी है बातें करता एक सहज उल्लास जगायें भीतर इक विश्वास उगायें, प्रेम लहर अंतर को धोए कैसे वह प्रियतम छिप पाए ! यहीं कहीं है देख न ...हो जाता है रिश्तों का रासायनिकरण - जब रिश्ते पारदर्शी होकर भी, कफ़स में कैद से लगते हैं, तब दो लोगों के बीच की डोर , छूटने लगती है , टूटने के लिए | या फिर गिरह पड़ जाते हैं उस डोर में ...  

कर्नाटक की जनता हैरान है ------- कि हमने तो कांग्रेस को वोट ही नही दिया फिर भी कांग्रेस जीत कैसे गयी ? - [image: सभी एडमिन भाई इस फोटो को अपने पेज पर जरुर पोस्ट कर्नाटक की जनता हैरान है ------- कि हमने तो कांग्रेस को वोट ही नही दिया फिर भी कांग्रेस जीत कैसे .कर्नाटक का चुनाव और उसका संदेश - *हरेश कुमार* * * * * कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर से राजनीतिक दलों को अपने गिरेबां में झांकने का अवसर दिया है। चुनाव का परिणाम ... .एक हसींना के इश्क में गिरफ़्तार ताऊ - ताऊ को एक हसीं परी जैसी सख्शियत से इश्क हो गया. वो अपनी दो चार सहेलियों के साथ रोज सुबह व दोपहर आने लगी. दोनों का इशक परवान चढने लगा. अपनी मधुर स्वर लहर... 

कौन ले जाता है ? - कोई तो बता दे मुझे कौन ले जाता है ? मेरी नींद सेंध कुछ ऐसी लगती है मानो कोई अशर्फियों से भरी संदूकड़ी को मेरे सिरहाने ही लगा जाता है और समुचित संरक्षण ...प्रेम की डोर सखी घट बांधे... - मधु ,मकरंद निश्छल सरिता मद अभिशप्त हुआ करता धोती सरिता अपशिष्ट मैल मद ,जीवन कांति क्षरा करता - कुछ पल भ्रम, व्यतिक्रम के जीवन आचार ...असमाप्य बिछोह के रुदन का आलाप - हवा के जादुई स्पर्श के बीच असमाप्य बिछोह के रुदन का पहला लंबा आलाप कानों में पड़ता है। मैं डर कर चौकता हुआ जाग जाता हूँ। मैं अपने घर की सीढ़ियाँ उतर ... 

कितने कर्ज़ उतारूँ माँ..... ?ओ माँ... मैं तेरे कितने कर्ज़ उतारूँ ? तूने जीने के जो लिये साँसें दीं उसका कर्ज़ उतारूँ या फिर तूने जो जीने का सलीका सिखाया उसका क़र्ज़ उतारूँ ! तूने ताउम्र मेरे तन पर ना जाने कितने परिधान सजाये कभी रंग कर, कभी सिल कर उसका क़र्ज़ उतारूँ    ...तुम्‍हारे बारे में !!!!!!मां सोचती हूँ कई बार तुम्‍हारा प्‍यार और तुम्‍हारे बारे में जब भी तो बस यही ख्‍याल आता है क्‍या कभी शब्‍दों में व्‍यक्‍त हो सकता है तुम्‍हारा प्‍यार तुम्‍हारा समर्पण, तुम्‍हारी ममता तुम्‍हारा निस्‍वार्थ भाव से किया गया हर बच्‍चे से समानता का स्‍नेह ...प्रेम की डोर सखी घट बांधे...मधु ,मकरंद निश्छल सरिता मद अभिशप्त हुआ करता धोती सरिता अपशिष्ट मैल मद ,जीवन कांति क्षरा करता - कुछ पल भ्रम, व्यतिक्रम के जीवन आचार नहीं होते जब स्नेह पयोधि हृदय में होवे कई जन्म यहाँ जीया करता...

budh religion in rewalsar ,रिवालसर में बौध धर्मये दीपक एक जगह जल रहे थे क्यों ? मुझे पता नही कोई पूजा का तरीका होगा बौध धर्म के मानने वालो और तिब्बतियो के लिये रिवालसर का बहुत अधिक महत्व है । गुरू पदमसंभव का प्राचीन मंदिर यहां पर है यहां रिवालसर में गोम्पा है । .....ये 'बितनुआ' क्या है और क्या यह जहरीला है?अक्सर अखबारों में यह समाचार छपता है कि जहरीले जंतु के काटने से मौत. और जानकारी मिलती है कि किसी 'बितनुआ' नाम के जंतु के काटने से मौत हुयी है. ऐसे में पाठकों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह बितनुआ क्या है ? ..मेरी अभिलाषातुम करो श्रृंगार मैं दर्पण बन जाऊं तेरे अधरों की लाली (अधर : होंठ) नैन अंजन बन जाऊं. (अंजन: काजल) तुम करो श्रृंगार मैं दर्पण बन जाऊं सजूँ सुमन बन बेनी में, (बेनी : स्त्री का जूडा ) मुक्ता हार बन जाऊं (मुक्ता : मोती) तेरा रूप अपरूप बड़ा (अपरूप : बहुत सुन्दर)....

कार्टून :- गुप्तदान को कमाई जताने वाली जमात

 


दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

माँ.. प्यारी माँ... : ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार..... 
तुम्हारे बिना सिर्फ अन्धकार दिखता है
और उसे, सिर्फ तुम्हारा दमकता चेहरा
ही हटा सकता है
न करना मेरे जीवन में
कभी ऐसा अंधकार
न जाना कभी छोड़कर मुझे मेरी माँ।
माना कि सबको जाना है एक दिन
सब जीते भी हैं सभी के बिन
पर नहीं जीना मुझे एक पल भी
तेरे साए के बिना
न जाना कभी छोड़कर मुझे मेरी माँ।
तुम हो सब अच्छा है
सुन्दर है इस जहाँ में
हर जंग लड़ लेती हूँ ये सोचकर
हारूँ या जीतूँ , तुम हो !
तुम रहना क्योंकि मुझे है,नहीं टूटना
न जाना कभी छोड़कर मुझे मेरी माँ 
लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........


माँ - बावरी हुई है मातु प्रेम प्रेम बोलि रही तीन लोक डोलि डोलि खुद को थकायो है गायो नाचि नाचि कै हिये की पीर बार बार प्रेम पंथ मुझ से कपूत को दिखायो है भसम रमाये..

“बचपने से भरा बचपन”. बचपन के उनपलो को हमकभी शायद दोहरातो नही सकतेलेकिन उन बितायेपलो को कभीभूलना मुमकिन नहीहै/ ऐसे हीपलो को समेटनेपेश है मेरीकुछ पंक्तियाँ: वह तस्वीर आज इतनासता रहीं है, बचपन के पलोकी जो यादआ रहींहै, बहन के साथखेलना मस्ती भरीहोली, और माँ कीयाद मुझको रुलारही है/ वह तस्वीर आज इतनासता रही है, बचपन के पलोकी जो यादआ रहीं है/ मंजिलो कि खातिरदूर लगता थाजाना, लेकिन अब तोयह मंजिले भीतड़पा रहीं है, दिल के दरवाजेअब जिस मोडपर खुलते, वह गलिया मेरे माँ-पा केचरणो मे समारहीं है/....

मात्र दिवस विशेष - माँ तुझे सलाम...!

.उसको नहीं देखा हमने कभी पर इसकी जरुरत क्या होगी ? ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की मूरत क्या होगी ? माँ ही मन्दिर, माँ ही मूरत, माँ पूजा की थाली, बिन माँ के जीवन ऐसा, जैसे बगिया बिन माली । माँ ने कभी हमें खुली छत के नीचे नहीं सुलाया और कुछ नहीं मिला तो छाँह के लिये अपनी ममता का आँचल ही हम पर ओढा दिया । माँ ब्रह्मा है, माँ विष्णु है और महादेव भी माँ ही है । ब्रह्मा जन्म देते हैं, विष्णु पालन करते हैं और महादेव उद्धार करते हैं । जो तीनों देवों का कार्य अकेली पूरा करती है, धरती पर वही माँ कहलाती है । दुनिया में माँ की कीमत क्या होती है ये उससे बेहतर कौन बता सकता..

मेरी माँ , प्यारी माँ , मम्मा ..

माँ की ममता को कौन नहीं जानता और कोई परिभाषित भी नहीं कर पाया है। सभी को माँ प्यारी लगती है और हर माँ को अपना बच्चा प्रिय होता है। मेरी माँ भी हम चारों बहनों को एक सामान प्यार करती है। कोई भी यह नहीं कहती कि माँ को कौनसी बहन ज्यादा प्यारी लगती है, ऐसा लगता है जैसे उसे ही ज्यादा प्यार करती है। लेकिन मुझे लगता है मैंने मेरी माँ को बहुत सताया है क्यूंकि मैं बचपन में बहुत अधिक शरारती थी। मेरा जन्म हुआ तो मैं सामान्य बच्चों की तरह नहीं थी। मेरा एक पैर घुटने से भीतर की और मुड़ा हुआ था।नानी परेशान थी पर माँ ...! 

अम्मा कभी नहीं हुई बीमार---------

 अम्मा -------------- सुबह सुबह फटा-फट नहाकर अधकुचियाई साड़ी लपेटकर तुलसी चौरे पर सूरज को प्रतिदिन बुलाती आकांक्षाओं का दीपक जलाती फिर भरतीं चौड़ी,छोटी सी मांग गोल बड़ी आंखें दर्पण को देखकर अपने से ही बात करतीं सिंदूर की बिंदी माथे पर लगाते-लगाते सोते हुये पापा को जगाती सिर पर पल्ला रखते हुऐ कमरे से बाहर निकलते ही चूल्हे-चौके में खप जातीं------

माँ

अक्सर चाहता हूँ मैं माँ! फिर से करूँ तुमसे बातें तमाम.. बेहिचक नादानी भरी, मन की जजबातें जैसे करता था बचपन मे..अठखेली क्यों रोक लेता है मेरा मन , क्यों रुठ जाते हैं बोल, कपकंपा जातें हैं होंठ, मन करता है बार-बार सवाल, आखिर क्यों...? वजह... मेरा बढ़ाता कद है या झूठे अभिमान की चादर, या फिर... तुम्हारे पुराने ख्यालात...!! उलझ जाता हूँ मैं , करूं क्या उपाय, पूछता हूँ खुद से रोज-ब-रोज...!! शायद मैं ! अब बड़ा हो गया हूँ.. उम्र से, कद से, या फिर अहम से या फिर... संकोच के बादल से घिर गए है मन मे...!! यही सच है...हाँ, यही सच है शब्द ऐसे ही गूंजते हैं मन मे.. हाँ ,यही सच हैं..?

  मेरी माँ

जैसे सत्य है रवि, रवि की दीप्त किरणें भी जैसे सत्य है बादलों की श्यामली माया सत्य है उसकी बरखा भी सत्य है व्यवधान अंतर जैसे सत्य तम भी उजाला भी वैसे ही सत्य माँ और उसकी ममता भी अटल सत्य है तेरा और मेरे साथ तुम मेरी सखी-सहेली भी और खुद में पूर्ण और सम्पूर्ण भी मेरी माँ...............|| बहुत खुशनसीब हूँ की शादी की २५ वीं सालगिरह पर माँ हमारे साथ थी अपने आशीर्वाद के साथ मैं और मेरे बच्चे ......(मैं भी अब माँ की भूमिका में .....कल, आज और कल )

 माँ... 

हम नाराज होते वो मुस्कुराती थी
वही डॉक्टर के आगे गिड़गिड़ाती
तीन साल असहनीय पीड़ा झेलती
जीती रही हमारी खातिर
जब कभी दर्द से थक हार जाती .....

विराम सृजन का

शनेशने बढ़ते जीवन में कई बिम्ब उभरे बिखरे बीती घटनाएं ,नवीन भाव लुका छिपी खेलते मन में बहुत छूटा कुछ ही रहा जिज्ञासा को विराम न मिला अनवरत पढ़ना लिखना चल रहा था चलता रहा कुछ से प्रशंसा मिली कई निशब्द ही रहे अनजाने में मन उचटा व्यवधान भी आता रहा मानसिक थकान भी जब तब सताती जाने कितना कुछ है विचारों के समुन्दर में कैसे उसे समेटूं पन्नों पर सजाऊँ बड़ा विचित्र यह विधान विधि का असीमित घटना क्रम नित्य नए प्रयोग यहाँ वहां बिखरे बिखरे सहेजना उनको लगता असंभव सा तभी दिया विराम लेखन को  

माँ ..........

माँ शब्द में --- मात्र एक वर्ण और एक मात्रा जिससे शुरू होती है सबकी जीवन यात्रा माँ ब्रह्मा की तरह सृष्टि रचती है धरा की तरह हर बोझ सहती है धरणि बन हर पुष्प पल्लवित करती है सरस्वति बन संस्कार गढ़ती है भले ही खुद हो अनपढ़ पर ज़िंदगी की किताब को खुद रचती है माँ हर बच्चे के लिए लक्ष्मी रूपा है खुद अभाव सहती है लेकिन बच्चे के लिए सर्वस्व देवा है , माँ बस जानती है देना उसे मान अपमान से कुछ नहीं लेना माँ के उपकारों का न आदि है न अंत जो माँ को पूजे वही है सच्चा संत ।  

लाल स्कार्फ वाली लड़की

वो देखता रहता उस पनीली आँखों वाली लडकी को,रेत के घरौंदे बनाते और बिगाड़ते.....उसे मोहब्बत हो चली थी थी इस अनजान,अजीब सी लडकी से...जो अक्सर लाल स्कार्फ बांधे रहती.....कभी कभी काला भी... बरसों से समंदर किनारे रहते रहते इस मछुआरे को पहले कभी न इश्क हुआ था न कभी ऐसी कोई लडकी दिखी थी.जाने कहाँ से आयी थी वो लडकी इस वीरान से टापू में....देखने में भली लगती थी मगर कुछ विक्षिप्त सी,खुद से बेपरवाह सी...(जाने लहरें उसे बहा कर लाई हैं या किसी मछली के पेट से निकली राजकुमारी है वो...मछुआरा अपनी सोच के साथ बहा चला जाता था..)  

 कार्टून :- घंटी तो कृष्ण ने भी कंस की बजा दी थी

  

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

अहसासों के पंख...एक ब्लॉग नया सा ...ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

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आप सबों कोसंगीता पुरी का नमस्‍कार , कल बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 430.65 अंक की भारी गिरावट के साथ 19,691.67 अंक पर आ गया। यह 27 फरवरी, 2012 के बाद सेंसेक्स की सबसे बड़ी गिरावट है। बंबई शेयर बाजार में चले भारी बिकवाली के दौर से निवेशकों की कुल पूंजी एक लाख करोड़ रुपये घट गई। प्रत्येक तीन में से दो शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। सेंसेक्स की सभी 30 शेयर नुकसान दर्शाते बंद हुए। आईटीसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। कंपनी के शेयर में 5 फीसद से अधिक की गिरावट आई। बिकवाली के दौर के बीच निवेशकों की बाजार हैसियत एक लाख करोड़ रुपये घटकर 67,03,388.59 करोड़ रुपये रह गई। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की इस खास खबर के बाद चलते हैं आज की वार्ता पर .....

विचलित मन !*हर घर से होकर गुजरती नियति की गली है, * *न हीं मुकद्दर के आगे,वहाँ किसी की चली है, * *नीरस लम्हों के सफ़र में,किंतु सकूं के दो पल, * *जो हंसकर गुजार दे , वही जिन्दगी भली है। * * **पिछले तकरीबन एक माह से जिन्दगी की रेल, बस यूं समझिये कि पटरी से उतरी हुई है। पहले कम उम्र में एक परिजन की असामयिक मृत्यु से अस्त-व्यस्त था , और अब अपना प्रिय श्वान जोकि पिछले १3 वर्षों से घर में घर के एक सदस्य की भांति था, पिछले ४-५ दिनों से अन्न-जल त्यागकर इस बेदर्द जहां से प्रस्थान की तैयारी में है। खैर, यही दुनिया का दस्तूर है सोचकर विचलित मन ने बहलने की कोशिश में कुछ टूटा-फूटा काव्य समेटा है, प्रस्त... अधिक »

बेल बर्फी ** आइए बनाए बेल की स्वादिष्ट बर्फी । * सामाग्री :-* - एक किलो बेल का पल्प - आधा किलो चीनी - 150 ग्राम देशी घी - इलायची पावडर एक छोटा चम्मच - मेवे इच्छानुसार - 100 ग्राम खोया (यदि मिलाना चाहें) - 50 ग्राम काजू के टुकड़े सजाने के लिए * कैसे बनाए *:- बेल को तोड़ कर पल्प निकाल लें और बीजे साफ कर दें । अब भारी पेंदे की कड़ाही आग पर चढ़ा दें इसमे खोया डाल कर भून लें हल्का सुनहरा होने पर उतार कर ठंडा होने के लिए रख दें अब घी डाल कर गरम करें , बेल डालें थोड़ा भून लें जब घी और बेल अच्छी तरह से एकसार हो जाए भुनने की महक आने लगे तब चीनी और ... अधिक »

Vaan village (Laatu Devta) वाण गाँव की सम्पूर्ण सैर (लाटू देवता मन्दिर सहित) ROOPKUND-TUNGNATH 07 SANDEEP PANWAR अंधेरा होते-होते हम वाण पहुँच चुके थे। मनु भाई का पोर्टर कम गाईड़ कुवर सिंह काफ़ी पहले ही आगे भेज दिया गया था। उसे सामान बचा हुआ सामान वापिस करने के लिये कह दिया था। जैसे ही हम पोस्ट मास्टर गोपाल बिष्ट जी के यहाँ पहुँचे तो देखा कि कुवर सिंह सारे सामान सहित वही जमा हुआ है। मनु भाई गोपाल जी के यहाँ एक रात रुककर रुपकुन्ड़ के लिये गये थे। गोपाल जी यहाँ के ड़ाकिया Postman भी है। इसके साथ वह एक दुकान स्वयं चलाते है जो वाण स्टेशन के कच्चे सड़क मार्ग के एकदम आखिरी में ही आती है। म... अधिक »

क्षणिकाएं ! (१) *सुख और दुःख* ऐसा वक्त कब आएगा जब हम खुशी में बचे रहेंगे सरल और दर्द में अविकल न खुशी में चहकेंगे और न ही दुःख में होंगे विह्वल क्या हमारे जीते जी ऐसा वक्त आएगा जब हम चीजों को एक नज़र से देखने लगेंगे ? * ** * * (२ ) कवि बनना स्थगित कर दिया है* दर्द को कितना बताएँ हर तरफ मौजूद है. समय नहीं मेरे पास कि इस पर महाकाव्य लिखूं ! तुम मेरे खुशी के गीतों में ही दर्द बांच लेना, अपने दर्द को मेरी खुशी में तिरोहित कर देना, ऐसे ही जब तुम खुशी के नगमे गाओगे, मैं तुम्हारा दर्द जान जाऊँगा ! फ़िलहाल,मैंने कवि बनना स्थगि... अधिक »

स्वर्ण रेखा नदीतेरा असली नाम क्या है, स्वर्ण रेखा नदी? तू उस देश में बहती है जिस देश को कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहते थे, उस राज्य में बहती है जिसे ‘झारखंड’ कहते हैं, उस जिले में बहती है जिसे ‘घाटशिला’ कहते हैं। क्या महज इसलिए ‘स्वर्ण रेखा’ कहलाई कि पहाड़ियों के पीछे अस्त होने से पहले सूर्य की सुनहरी किरणें कुछ पल के लिए खींच देती है तेरे आर-पार एक स्वर्णिम रेखा! या इसलिए कि तू अपने साथ बहाकर लाई थी कभी ताँबे और सोने के भंडार? जाऊँगा बनारस तो नहीं बता पाउँगा ‘माँ गंगा’ से तेरा हाल! तेरी इतनी बुरी हालत सुनकर दुखी होगी और डर जायेगी बेचारी। बहेलिए जैसे कतरते रहते हैं हाथ आई सुनहरी चिड़िया के पंख, लोभी जैस...अधिक »

कामवाली बाईशादी के मौसम में व्यस्त सभी बाई रहतीं सहन उन्हें करना पड़ता बिना उनके रहना पड़ता उफ यह नखरा बाई का आये दिन होते नागों का चाहे जब धर बैठ जातीं नित नए बहाने बनातीं यदि वेतन की हो कटौती टाटा कर चली जातीं लगता है जैसे हम गरजू हैं उनके आश्रय में पल रहे हैं पर कुछ कर नहीं पाते मन मसोस कर रह जाते | आशा

जज्बात वही आशिकी नया 1990 में आयी महेश भट्ट निर्देशित रोमांटिक फिल्म ‘आशिकी’ अपने समय की सफल फिल्मों में से एक है. लगभग 23 साल बाद भट्ट कैंप एक बार फिर प्यार के उसी जज्बात को नये अंदाज में ‘आशिकी टू’ से परदे पर परिभाषित करने जा रहा है. आदित्य रॉय कपूर और र्शद्धा कपूर इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं. इन सितारों का कहना है कि ‘आशिकी टू’ पुरानी ‘आशिकी’ से काफी अलग है. जैसे पीढ.ी में बदलाव आया है वैसे ही फिल्म की कहानी में भी कई परिवर्तन आये हैं. दोनों में कोई समानता है तो वह है खास प्रेम कहानी. आदित्य रॉय कपूर और र्शद्धा कपूर से इस फिल्म और उनके कैरियर पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश राहुल रॉय औ... अधिक »

मामा भाँजा की रेल्वे कमाल : सुपर व्यंग“ कल्लू झाड़ूवाला पप्पू के कहने पर नौकरी के लिए रेल मंत्रालय पहुँचकर रेल्वे मंत्री से मिलने के लिए गया मगर वहाँ देखा तो बिलकुल रेल्वे के डिब्बो के माफिक ही लंबी लाइन लगी हुई थी जैसे देशभर से नौकरी के डिब्बे लेने कतार लगी हो सब के हाथ मे बक्से थे ओर इंतज़ार था .... मामा भाँजे की सुपर हीट जोड़ी से मिलने का ...मगर अंदर कुछ ओर चल रहा था ..... | “ ** सेमसंग फोनवालो पर कानूनी केस करो* “ भाँजे ,ये सेमसंग पर मस्त केस ठोक देते है “ बंसल जी ने कहा तो भाँजा बोला “ मगर क्यू ,उससे हमे क्या फायदा ? “ .... भाँजे ,ये सेमसंगवाले आजकल बहुत ही पैसा कमा रहे है वो भी हमारे ही ... अधिक »

.भृंगराजभृंगराज का नाम आप लोगों के लिए नया नहीं है। तमाम हेयर आयल के विज्ञापन रोज प्रकाशित होते हैं,उनमें भृंगराज की चर्चा बड़े जोर-शोर से की गयी होती है।केशों के लिए यह महत्वपूर्ण तो है ही लेकिन इसके अन्य औषधीय गुण शायद और ज्यादा महत्वपूर्ण लगते हैं मुझे। अकेले भृंगराज कायाकल्प करने में सक्षम है। अगर उसे सही तरीके से प्रयोग किया जाये तो।यहाँ तक कि कैंसर से आप इसके सहारे लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं। भृंगराज के पौधे वर्षा के मौसम में खेतों के किनारे ,रेल लाइन के किनारे, खाली पड़ी जमीन पर ,बाग़ बगीचों में खुद ही उग जाते हैं। ये हमेशा हरे रहते हैं।इनके फूल पत्ते तने जड़ सब उ... अधिक »


अभिव्यक्तिमै नहीं जानती ये कविता कैसे बन कैसे बन गई ?एक क्षण कुछ महसूस किया और अगले एक मिनिट में यह रचना बन गई | घर में रखे पुराने सामान की तरह चमकाए जाते है, कभी कभी वो आज निर्जीव ही सही कभी जीवन्तता थी उनमे महकता था उनकी सांसो से घर चहकता था उनके बोलों से घर गूंजते थे अमृत वाणी से मंत्र सौंधी खुशबू से महकती थी रसोई भरे जाते थे कटोरदान ,पड़ोसियों के लिए किससे कहे ?कैसे कहे ? निर्जीव क्या बोलते है ? उनकी सारी खूबियों पर है प्रश्न चिन्ह ? बिताते है इस उक्ति के सहारे वो जीवन की शाम "कर लिया सो काम ,भज लिया सो राम "|

अहसासों के पंख...एक ब्लॉग नया सा ...एक परिचय शरद कुमार जी और उनके ब्लॉग से -- कुछ शेर बेटी के नाम एक मासूम सा ख्वाब और माँ ये रचनाएं हैं शरद कुमार जी के ब्लॉग *अहसासों के पंख* से ..


मदारी कुछ भी नहीं बिना जम्हूरे के...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार....हमें भी स्वयं के अवदान को कम अंकित कर दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए, प्रायः हम अपने गुणों को कम और दूसरों के गुणों को अधिक आंकते हैं, यदि औरों में भी विशेष गुणवत्ता है तो हमारे अन्दर भी कई गुण मौजूद हैं।अपना अपना महत्त्व  ... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........
लो मै आ गया... - विभिन्न भाव भंगिमाओं में आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय" प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय डॉ रमन सिंह के साथ आपका अपना गौरव शर्मा "भारतीय" ...प्रि‍यतम का गुंजलक.... - बरसती चांदनी की पंखुरि‍यों में प्रि‍यतम का गुंजलक मोगरे की खुश्‍बू से मन का उपवन महका जाता है । सांसों की गरमाई से सि‍क्‍त रखो मेरी सांसे गेसुओं से उलझकर..ग़ज़ल - * * *जालिम लगी दुनिया हमें हर शक्श बेगाना लगा * *हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से* * * *नफरत से की गयी चोट से हर जखम...

 नशे के कारोबार मे राज्य की भूमिका - ड्रग्स का उपयोग लगभग उतना ही पुराना है जितनी पुरानी मानव सभ्यता। लेकिन अधिक नशे की लत और खतरनाक सिंथेटिक दवाएं पश्चिमी देशों के द्वारा शुरू किए गए थे,.किस पिंज़रे में फ़स गया - एक बार तेरे शहर में आकर जो बस गया, ता-उम्र फड़फडाता, किस पिंज़रे में फ़स गया. नज़रें नहीं मिलाता, कोई यहाँ किसी से, एक अज़नबी हूँ भीड़ में, यह दर्द...अहसासों के पंख...एक ब्लॉग नया सा ... - एक परिचय शरद कुमार जी और उनके ब्लॉग से -- कुछ शेर बेटी के नाम एक मासूम सा ख्वाब और माँ ये रचनाएं हैं शरद कुमार जी के ब्लॉग *अहसासों के पंख* से .. 

 संदीप रावत की कविताएं - मेरे प्रिय छात्र अनिल कार्की की वजह से मेरा ध्‍यान फेसबुक पर संदीप रावत की कविताओं की ओर गया। मैं उनके पिछले कुछ स्‍टेटस को बहुत ध्‍यान से देख रहा था, ...मैं और शब्द - सृष्टि के अनछुए पहलू उनमें झांकने की जानने की ललक बारम्बार आकृष्ट करती नजदीकिया उससे बढ़तीं वहीं का हो रह जाता आँचल में उसके छिपा रहना चाहता भोर का ..चल दिल से उम्मीदों के मुसाफ़िर - मुसलसल बेकली दिल को रही है मगर जीने की सूरत तो रही है मैं क्यूँ फिरता हूँ तन्हा मारा-मारा ये बस्ती चैन से क्यों सो रही है चल दिल से उम्मीदों के मुसाफ़िर ये न... 

वर्षा - वर्षा   अमृत छलका दानी नभ से सिहरा रोम-रोम धरती का जागे वृक्ष, दूब अंकुराई शीतलता आंचल में भर पवन लहराई. भीगा तन पाखी का उड़ा फड़फड़ा डैन...मदारी ..... - * ** **मदारी कुछ भी नहीं...* *बिना जम्हूरे के...!* *ये अलग बात है...* *दिखाई यही देता है कि...* *सारा खेल मदारी के हाथ है......!* *लेकिन जब ज्यादा होशिय....तल्ख स्मृतियाँ ( हाइकु ) - कड़वी यादें चीर देती हैं सीना मैं लहूलुहान । ************ पीड़ित यादें झटक ही तो दीं थीं पीले पत्ते सी । ***************...

कोई भी छोटा बड़ा नही है सभी समान हैं !! - एक गाँव में एक पण्डित जी अपनी पंडिताईन के साथ रहते थे ! पण्डित जी गाँव में पूजा और अन्य धार्मिक कार्य करवाते थे ! उन पण्डित जी के मन में जातिवाद और उंच ..विचलित मन ! - *हर घर से होकर गुजरती नियति की गली है, * *न हीं मुकद्दर के आगे,वहाँ किसी की चली है, * *नीरस लम्हों के सफ़र में,किंतु सकूं के दो पल, * *जो हंसकर गुजार दे ... ताऊ का खूंटा "रेडियो प्लेबैक इंडिया" पर.....! - ताऊ के खूंटे से एक खूंटा जो 2 जनवरी 2009 को ताऊ के सैम और बीनू फ़िरंगी की पोस्ट के अंत में "* इब खूंटे पै पढो"** * के अंतर्गत * *प्रकाशित हुआ था उसे आज ..

 इंटरनेट युग में विज्ञापन का कारोबार - समाज के साथ ही हर दौर में विज्ञापनों का रुझान भी बदल जाता है। लेकिन अब जो बदलाव आ रहा है, वह समाज की वजह से कम और तकनीक की वजह से ज्यादा है। ...शब्दों का साथ खोजते विचार - कह पाना जितना सरल है भावों और विचारों को शब्दों के रूप ने लिख पाना उतना ही कठिन । जाने कितनी ही बार यह आभास हुआ है कि विचारों का आवागमन जारी रहता है पर ...“गुलाब भरा आँगन” - “गुलाब भरा आँगन” सहजता सिमटता हवा का झोंका सहज होनें का करता था भरपूर प्रयास. बांवरा सा हवा का वह झोंका गुलाबों भरे आँगन से चुरा लेता था बहुत सी गंध और उसे...

 मेरा आईना - मुझको मेरा आईना दिखाकर तुमने अच्छा काम किया भूल गई थी जिसको मैं उसको फिर पहचान लिया ....वह तस्वीर......बहुत वक़्त से देखता रहता था मैं दीवार पर टंगी उस तस्वीर को न जाने कब से टंगी थी घर के कोने के उस अंधेरे कमरे में गर्द की एक मोटी परत रुई धुनी रज़ाई की तरह लिपटी हुई थी उस तस्वीर से पर आज .....बादल तेरे आ जाने से ...* *** बादल तेरे आ जाने से जाने क्यूँ मन भर आता है, मुझको जैसे कोई अपना, कुछ कहने को मिल जाता है ! पहरों कमरे की खिड़की से तुझको ही देखा करती हूँ , तेरे रंग से तेरे दुःख का अनुमान लगाया करती हूँ ! यूँ उमड़ घुमड़ तेरा छाना तेरी पीड़ा दरशाता है , बादल तेरे आ जाने से ...थकता नहीं है आदमी - भीड़ ही भीड़ है चारों तरफ है आदमी। चलता ही जा रहा है बस थकता नहीं है आदमी। वाहनों की दौड़-भाग से नहीं इसे परहेज न है इसे प्रतिद्वंदिता न द्वेष .....

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

झंपिंग ज़पांग..झंपिंग ज़पांग....ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार....18 , 19 और 20 मई 2013 के दिन ग्रहों की स्थिति सामान्‍य तौर पर शुभ फल दायी होंगी , मौसम और वातावरण कुछ बढिया रहेगा , शेयर बाजार में कुछ जोड तोड की स्थिति ही रहेगी , तीनो ही दिन का समय मकर राशि वालों के लिए अशुभ तथा मीन राशि वालों के लिए शुभ रहेगा , तीनों ही दिन सामान्‍य तौर पर 12 बजे से 2 बजे दिन तक का समय किसी कार्य के संपादन के लिए शुभ तथा रात्रि के 11 बजे से 1 बजे तक का समय अशुभ होगा। बाकी अपने अपने लग्‍न से देखिए अपना अपना राशि फल , अपने लग्‍न को जानने के लिए इस लिंकपर क्लिक करें ...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........

रिहाई - * ** **उसने दे दी अपनी हर साँस से रिहाई मुझको * *कुछ इस तरह उसने अपना हक अदा कर दिया !!* संग चांद आवारा बादल ....... - स्‍मृति के वातायन से नि‍काल लाओ उन फूलों को जि‍न्‍हें बि‍खरने के डर से पीली जि‍ल्‍द पड़ी कि‍ताब के सीने में छुपाया था कभी * * * * * अभी थी महफ़ि‍ल अभी...मेरे घर आई नन्‍ही परी - कि‍शोर दि‍वसे मेरे घर आई नन्‍ही परी  .." कहानी .......एक जोड़े की "एक प्यारा सा जोड़ा था , दोनों ने तिल तिल , आपस में प्यार था जोड़ा , इस जोड़े हुए प्यार से , हयाते-राह खुशगवार हुई , यह जोड़ा खुद को दुनिया से, जोड़ने की ख्वाहिश में , रिश्ते तमाम जोड़ता गया...

मैच फिक्सिंग: सरकार इस्तिफा दे! - इतना बड़ा खुलासा. लाखों करोड़ों रुपयों का लेन देन और साथ में सेक्स स्कैंडल. [image: protests] श्री शांत के साथ साथ दो और खिलाड़ी. खिलाड़ियों समेत कई अन्यों .IPL बोले तो इंडियन पाप लीग ! - वैसे तो मेरा हमेशा से मानना है कि इंडियन प्रीमियर लीग यानि आईपीएल की बुनियाद ही चोरी, बेईमानी, भ्रष्टाचार, अश्लीलता पर टिकी हुई है, लेकिन इससे भला हमें य... .. बात शुरू हुई तो अफसाना बन गई खंबा कांग्रेस - श्रीगंगानगर-कांग्रेस के सबसे छोटे पदाधिकारी द्वारा बहुत बड़े पदाधिकारी के सामने शिकायत के लिहाज से कही गई जरा सी बात बहुत बड़ा अफसाना बन गई। ...

Karanparyag-Nandprayag-Chamoli-Gopeshwar कर्णप्रयाग-नन्दप्रयाग-चमोली-गोपेश्वर- ROOPKUND-TUNGNATH 08 SANDEEP PANWAR रात के लगभग 8 बजे के आसपास हमने कर्णप्रयाग ... भूमंडलीकरण, वैश्वीकरण, उदारीकरण बनाम सांस्क़ृतिक संघर्ष - वैश्वीकरण शब्द को विश्व की संस्कृतियो अर्थव्यवस्थाओं तथा राज व्यवस्थाओं का एक दूसरे के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों जिसमें सात्मीकरण एवं अलगाव दोनों सम्मिलित... नदी का सागर से मिलन - सागर से मिलने भागी आती नदी पहली बार देख रहा था, एक नदी का सागर से मिलना। स्थान कारवार, नदी काली और अरब सागर। दोपहर के समय ऊपर से पड़ने वाली सूरज की किरणे...

मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है, ग़र याद रहे... - कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ बुरा होना ब्लेसिंग इन डिसगाईज हो जाता है.. अब देखिये न पिछले दो महीने से लैपटॉप ख़राब पड़ा है इन दिनों कुछ भी नहीं लिख सका,.. फाख्ता का पलता-बढ़ता घर-परिवार - कभी जब घर आँगन, खेतिहर जमीनों में, धूल भरी राहों में, जंगल की पगडंडियों में भोली-भाली शांत दिखने वाली फाख्ता (पंडुकी) भोजन की जुगत में कहीं नजर आती तो उस ... हैंडल विथ केयर - मैंने पहुंचाया था प्रेम तुम तक, सम्हाल कर , एहतियात से पैक करके.. सभी आवश्यक निर्देशों के साथ कि - ये हिस्सा ऊपर (दिस साइड अप) हैंडल विथ केयर ब्रेकेबल डु नॉट... 

अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन के छठे सत्र में पुस्तक विमोचन एवम बाबाश्री दर्शन - अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन पर प्रथम पोस्ट, अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन पर द्वितीय पोस्ट *अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन पर तृतीय पोस्ट* *..इंसान को ही खोजना होगा - कल का काम आज ही, हो कैसे सफल। इंसान को ही खोजना, होगा इसका हल।। धूल भरी आँधियाँ, प्रकृति का गुस्‍सा है। सूरज का भी क़हर, पतझड़ पर बरसा है। दिन पे दिन...वटवृक्ष - चित्र गूगल से साभार सूक्ष्म हूँ जैसेक्षुद्र बालू कण ,होना है बड़ा , बनना है विशालसोचता हूँ हर क्षण।मैं छोटा, बहुत ही छोटा जीव हूँकिन्तु एक विन्दु में.. 

ओ री चिड़िया - ओ री चिड़िया सुन ले मेरे मन की बात चुग्गा तुझे खिलाऊँगी ले चल अपने साथ धरती पर बैठी बैठी हो गई मै तो तंग नील गगन की सैर करा दे ले चल अपने संग इतना सा अहसान...bhavnayen- किताब तू है एक किताब तुझ मे रहती दुनिया की जानकारियाँ बेहिसाब कभी तू हंसा जाती कभी रुला जाती कभी बिखरे पलों को भी समेटे गमों की परछाईयाँ कभी तुझ मे दिखाई पड...गुहार: पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से लापता एक बच्चे के बारे में छपी खबर पर !! - अखबार वाली फोटो की हुबहू नक़ल ताकि सही से पढ़ी जा सके !!यह फोटो अखबार की कतरन की फोटो है !! असम के दैनिक समाचार पत्र में ११ मई को छापी गयी एक खबर ... 

 रिश्वत न धराओ ... - मुझे किसी ऊँचे मंच पर यूँ ही खड़ा न कराओ खड़ा कराओ भी तो चुप रहने के लिए राजस्व से ही रिश्वत न धराओ .... बड़ी मुश्किल में हूँ मैं जबसे चींटियाँ लगातार मेरी ...जलाओ दिल मितरां कि.... - * ****जलाओ दिल मितरां कि चिराग जले * *अँधेरा ही अँधेरा है बहुत दूर तक -* * **लगता है गर्दिशों में माहताब भी है* *बादलों का बसेरा है बहुत दूर ...नैसर्गिक कला - प्यारे प्यारे कुछ पखेरू चहकते फिरते वन में पीले हरे से अलग दीखते पेड़ों के झुरमुट में एक विशेषता देखी उनमें कभी न दीखते शहरों में | वर्षा ऋतु आने के पह... 

अंधेरे की वजह - घाटशिला की यात्रा यूँ तो मैने बिटिया के समर इन्टर्नशिप के चक्कर में मजबूरी में की थी लेकिन इस यात्रा ने मुझे अग्निमित्र से मिला दिया। देश की भलाई सोचने .."झंपिंग ज़पांग..झंपिंग ज़पांग.के बाद . गीली गीली......!!" - चम्पक बन में बैठ सखी संग ... .... - चम्पक बन में बैठ सखी संग ... वृहग वृन्द का कलरव सुनना .... ढलते दिवस के अवरोह पर .. राग दरबारी के .... खरज से ... कुछ गंभीर प्रकृति के स्वर लेना ..लहरें - प्रवीण पाण्डेय जी का नाम खुद अपने आप में परिचय है उनका --- और उसी तरह उनके ब्लॉग का नाम-* न दैन्यं न पलायनम* भी .... प्रस्तुत है उनकी एक रचना* लहरें *....
 

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

स्पॉट फ़िक्सिंग : चंद हाईप्रोफ़ाइल ब्लॉगर और लेखक भी शामिल .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

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आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , कांग्रेस ने आज इस बात को खारिज कर दिया कि घपले और घोटाले कल चार साल पूरा करने जा रही संप्रग-दो की कमियां रही हैं। संप्रग कल सत्ता में लगातार नौ साल भी पूरा करेगी। जब पत्रकारों ने यह सवाल किया कि क्या पार्टी मानती है कि घोटाले संप्रग-दो की कमी है, इस पर पार्टी प्रवक्ता राज बब्बर ने कहा, ‘‘नहीं मैं ऐसा नहीं मानता। क्या नौ साल पहले भ्रष्टाचार नहीं होता था?’’ बब्बर ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने जनता को सूचना का अधिकार जैसा औजार दिया है जिससे कोई भी किसी ताकतवर शख्स की ओर से किए गए गलत काम को उजागर कर सकता है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर .....

शिमला कालका रेल यात्राइस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 27 अप्रैल 2013 सुबह सराहन में साढे पांच बजे उठा और अविलम्ब बैग उठाकर बस अड्डे की ओर चल दिया। तीन बसें खडी थीं, लेकिन चलने के लिये तैयार कोई नहीं दिखी। एक से पूछा कि कितने बजे बस जायेगी, उसने बताया कि अभी पांच मिनट पहले चण्डीगढ की बस गई है। अगली बस साढे छह बजे रामपुर वाली जायेगी। चाय की एक दुकान खुल गई थी, चाय पी और साढे छह बजे वाली बस की प्रतीक्षा करने लगा। बिना किसी खास बात के आठ बजे तक रामपुर पहुंच गया। यहां से शिमला की बसों की भला क्या कमी? कुछ ऐसी पुस्तके जो बदल देगी आपकी आने वाली जिन्दगी कोमेरी पिछली पोस्ट में आपने शेयर मार्किट से जुडी पुस्तक देखी थी आज की पोस्ट में आप लोगो के बीच ऐसी पुस्तके ला रहा हु जिन्हें पढ़कर आपकी जिन्दगी में जरुर बदलाव आयेंगे इन पुस्तको को पढ़कर आप अपनी आने वाली जिन्दगी को बहुत ही मस्त रूप से जी सकते हो तो चलिए आपको लेकर चलता हु उन पुस्तको की दुनिया में जो आपकी जिन्दगी में बदलाव लाएगी। मुँबई से बैंगलोर तक भाषा का सफ़र एवं अनुभव..करीबन ढ़ाई वर्ष पहल मुँबई से बैंगलोर आये थे तो हम सभी को भाषा की समस्या का सामना करना पड़ा, हालांकि यहाँ अधिकतर लोग हिन्दी समझ भी लेते हैं और बोल भी लेते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे हैं जो हिन्दी समझते हुए जानते हुए भी हिन्दी में संवाद स्थापित नहीं करते हैं, वे लोग हमेशा कन्नड़ का ही उपयोग करते हैं, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हिन्दीभाषी जरूर हैं परंतु दिन रात इंपोर्टेड अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते हैं, इसी में संवाद करते हैं। जब मुँबई गया था तब लगता था कि सारे लोग अंग्रेजी ही बोलते हैं, परंतु बैंगलोर में आकर अपना भ्रम टूट गया ।

पराजय-बोध से ग्रस्त भाजपाकर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद पिछले हफ्ते लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि यह हार न होती तो मुझे आश्चर्य होता। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा के प्रति उनकी कुढ़न का पता इस बात से लगता है कि उन्होंने उनका पूरा नाम लिखने के बजाय सिर्फ येद्दी लिखा है। वे इतना क्यों नाराज़ हैं? उनके विश्वस्त अनंत कुमार ने घोषणा की है कि येद्दियुरप्पा की वापसी पार्टी में संभव नहीं है। स्पॉट फ़िक्सिंग : चंद हाईप्रोफ़ाइल ब्लॉगर और लेखक भी शामिल!स्पॉट फ़िक्सिंग क्या क्रिकेटरों और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ की ही बपौती है? कतई नहीं. पता चला है कि चंद हाईप्रोफ़ाइल ब्लॉगर और लेखक भी अब स्पॉट फ़िक्सिंग में शामिल हो गए हैं. सीबीआई जो वाकई में तोता नहीं हो, उससे जाँच करवाई जाए तो और राज निकल सकते हैं. बहरहाल हाल ही में एक फ़ोन टेपिंग में यह खुलासा हुआ है. टेलिफ़ोन टेपिंग की आधी-अधूरी ट्रांसस्क्रिप्ट जो हासिल होते होते रह गई है, वो कुछ इस तरह है - - भाई, अब तो पंगा हो गया हे ना. क्रिकेट में तो मामला जमेगा नहीं. आत्ममुग्धता का संसार *-गणेश पाण्डेय* सोचा है नत हो बार-बार - ‘‘ यह हिंदी का स्नेहोपहार है नहीं हार मेरी, भास्वर यह रत्नहार लोकोत्तर वर’’ - अन्यथा, जहाँ है भाव शुद्ध साहित्य कला-कौशल प्रबुद्ध हैं दिये हुए मेरे प्रमाण कुछ नहीं, प्राप्ति को समाधान पार्श्व में अन्य रख कुशल हस्त गद्य में पद्य में समाभ्यस्त। ‘सरोज-स्मृति’ का यह अंश पता नहीं क्यों मेरे भीतर उमड़-घुमड़ रहा है। निराला क्यों कहते हैं कि मेरे समय के दिग्गजों का काम मेरे काम से मिला कर देख लो।

जैसे उडी जहाज को पंछी .कुछ देर वो लोग उस आलीशान होटल के कमरे में अंगरेजी में बातें करते रहे और बातें करते हुए ही कमरे से जुड़े शानदार छज्जे में जा खड़े हुए |मै अपने चारों और विस्फरित नेत्रों से देख रहा था ‘’क्या ये कमरा भी इसी प्रथ्वी का कोई हिस्सा होगा ?’’मैंने अपने अनदेखे सपनों की तरफ एक प्रश्न उछाला (जो लौटकर फिर मेरे जेहन में आ गिरा )|अद्भुत अभूतपूर्व द्रश्य क्रमशः प्रकट हो रहे थे उसी क्रम में अब एक होटल कर्मचारी जिसकी सफ़ेद चमचमाती वर्दी मेरे मैले कुचैले कपड़ों से कई गुना व्यवस्थित और साफ़ सुथरी थी मेरे सामने कुछ इस्त्री किये तहशुदा कपडे लेकर खड़ा था बिना कुछ बोले बुत की तरह |शिकायतों की चिट्ठी भी ....हप्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं, इसने तो बस मन का गहना पहना है । कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से, कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है । लाख दूरियाँ वक्‍त ले आये परवाह नहीं, हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है । दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी, हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है । शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता, प्रेम विश्‍वास का *सदा *अनुपम गहना है ।किताबों की दुनिया - 82कहती है ज़िन्दगी कि मुझे अम्न चाहिए ओ' वक्त कह रहा है मुझे इन्कलाब दो इस युग में दोस्ती की, मुहब्बत की आरज़ू जैसे कोई बबूल से मांगे गुलाब दो जो मानते हैं आज की ग़ज़लों को बेअसर पढने के वास्ते उन्हें मेरी किताब दो आज हमारी किताबों की दुनिया श्रृंखला में हम उसी किताब "*ख़याल के फूल* " की बात करेंगे जिसका जिक्र उसके शायर जनाब "*मेयार सनेही* " साहब ने अपनी ऊपर दी गयी ग़ज़ल के शेर में किया है. मेयार सनेही साहब 7 मार्च 1936 को बाराबंकी (उ प्र ) में पैदा हुए. साहित्यरत्न तक शिक्षा प्राप्त करने बाद उन्होंने ग़ज़ल लेखन का एक अटूट सिलसिला कायम किया।

गर्मी की छुट्टियाँवाह, गर्मी की छुट्टियाँ। कितने बेसब्री से इंतजार रहता है इसका। 11 मई से हमारे स्कूल बन्द और अब धमाल और मस्ती। सोच रही हूँ कि इन हालिड़ेज़ में पूरा इलाहाबाद घूमूं। यहाँ पर कई हिस्टोरिकल प्लेसेज़ हैं, मुझे उनके बारे में जानना है। पर गर्मी इतनी ज्यादा है की दिन में घर से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं पड़ती। सारा दिन घर में बीतता है और शाम को पार्क, मॉल, मार्केटिंग और मूवी। इन हालिड़ेज़ में हमने दो मूवी देखी - 'छोटा भीम एंड थार्न आफ दि बाली' और 'गिप्पी'. छोटा भीम तो मेरा फेवरेट सीरियल भी है, इसका कोई पार्ट नहीं छोड़ती, फिर मूवी कैसे छोड़ देती। पत्ते, आँगन, तुलसी माँ ...चौंका, बर्तन, पूजा, मंदिर, पत्ते, आँगन, तुलसी माँ, सब्जी, रोटी, मिर्च, मसाला, मीठे में फिर बरफी माँ, बिस्तर, दातुन, खाना, पीना, एक टांग पे खड़ी हुई, वर्दी, टाई, बस्ता, जूते, रिब्बन, चोटी, कसती माँ, दादा दादी, बापू, चाचा, भईया, दीदी, पिंकी, मैं, बहु सुनो तो, अजी सुनो तो, उसकी मेरी सुनती माँ, धूप, हवा, बरसात, अंधेरा, सुख, दुख, छाया, जीवन में, नीव, दिवारें, सोफा, कुर्सी, छत, दरवाजे, खिड़की माँ, मन की आशा, मीठे सपने, हवन समिग्री जीवन की, चिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर, दीप-शिखा सी जलती माँ, कितना कुछ देखा जीवन में, घर की देहरी के भीतर, इन सब से अंजान कहीं कितना नीरस होताएक हथोड़ा व एक बांसुरी एक साथ रहते जीवन कितना गुजर गया यह तक नहीं सोचते | था हथोड़ा कर्मयोगी महनतकश पर हट योगी सदा भाव शून्य रहता खुद को बहुत समझता | थी बांसुरी स्वप्न सुन्दरी कौमलांगिनी भावों से भरी मदिर मुस्कान बिखेरती स्वप्नों में खोई रहती | जब भी ठकठक सुनती तंद्रा उसकी भंग होती आघात मन पर होता तभी वह विचार करती | क्या कोइ स्थान नहीं उसका उस कर्मठ के जीवन में पर शायद वह सही न थी भावनाएं सब कुछ न थीं जीवन ऐसे नहीं चलता ना ही केवल कर्मठता से |

प्रेम ही है ईश्वरसितम्बर २००४ *इस* सृष्टि का आधार प्रेम ही है, प्रभु की कृपा से जब किसी के पुण्य जग जाते हैं, तो इस प्रेम की प्राप्ति होती है, यह एक ऐसा धन है जिसे पाकर संसार के सभी धन फीके लगते हैं, जो घटता नहीं सदा बढ़ता रहता है. जन्मों-जन्मों से संसार को चाहता मन उसके चरणों में टिकना चाहता है, अब उसे अपना घर मिल गया है. जगत तो क्रीड़ास्थली है जहाँ कुछ देर अपना कर्तव्य निभाना है, और फिर भीतर लौट आना है. जगत में उसका व्यवहार अब प्रेम से संचालित होता है न कि लोभ अथवा स्वार्थ से. परमात्मा ही इस प्रेम का स्रोत है. हम जो इसकी झलक पाकर ही संतुष्ट हो जाते हैं, 'समर' के इस समर में 'समर' के इस समर में संभल संभल के चलना है सर पे टोपी या अंगोछा साथ मे पानी पीते रहना है यह मौसम है लू का तपती धूप का मेरे लिये घर की ठंडक में दुबक कर हर दुपहर को सोना है बस आज निकला जो घर से बाहर तो हर 'अक्सर' की तरह देखा मजदूर के बच्चों को तो अंगारों पे ही रहना है मेरे पैरों मे पड जाते हैं चलते चलते छाले पैरों में 'कुशन' की चप्पल पहन कर के ही निकलना है 'समर' के इस समर में संभल संभल के चलना है कहीं तर बतर गले हैं कहीं सूखते हलक को जीना है।सही मायनों में जी भरकेकहते हैं सब रहिमन की पंक्तियाँ - "रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय। सुनि इठिलैहें लोग सब, बाटि न लैहैं कोय।।" तो व्यथा की चीख मन में रख हो जाओ बीमार डॉक्टर के खर्चे उठाओ नींद की दवा लेकर सुस्त हो जाओ !!!!!!!!!!!!!!! रहीम का मन इठलानेवाला नहीं था न व्यथित रहा होगा मन तो एहसासों को लिखा होगा .... जो सच में व्यथित है - वह कैसे इठलायेगा तो ........ कहीं तो होगा ऐसा कोई रहीम जिससे मैं जी भर बातें कर सकूँ सूखी आँखें उसकी भी उफन पड़े मैं भी रो लूँ जी भर के

ब्राह्मणों का अनादरइस पोस्ट का आशय सिर्फ कुछ अतिवादियों को आइना दिखाना है न की जातिवाद को बढ़ावा देना .. गीता के चौथे अध्याय में कर्म से ब्राम्हण होने को कहा गया है देखते हैं कुछ कर्मयोगी ब्राम्हणों की गाथा ... आजकल ब्राह्मणों का अनादर करना हमारे हिन्दू धर्म में फैसन बन गया है । जबकि भारत के क्रान्तिकारियो मे 90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण थे जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रान्तिकारियो के नाम ब्राह्मण स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी (१) चंद्रशेखर आजाद (२) सुखदेव (३) विनायक दामोदर सावरकर( वीर सावरकर ) (४) बाल गंगाधर तिलक (५) लाल बहाद्दुर शास्त्री (६) रानी लक्षमी बाई (७) डा. राजेन्द्र प्रसाद क्या है ताऊ का अस्तित्व और हकीकतश्री ज्ञानदत्त जी पांडे जो कि ब्लागजगत के सम्माननिय और प्रथम पीढी के ब्लागरों में से एक हैं, और जो अपनी नियमित और सारगर्भित पोस्ट्स के लिये जाने जाते हैं, ने शायद सबसे पहले 3 dec. 2008 को अपनी पोस्ट यह ताऊ कौन है के द्वारा जिज्ञासा प्रकट की. इसके पश्चात सभी ब्लागर्स में ताऊ शब्द एक पहेली बना रहा. मेरे ही शहर के सम्माननीय ब्लागर श्री दिलीप कवठेकर तो एक कदम और आगे जाते हुये हमारे शहर की उस पान की दूकान तक भी पहुंच गये जहां "कृपया यहां ज्ञान ना बांटे, यहां सभी ज्ञानी हैं" की तख्ती लगी है. चटाईयां पेड़ पर नहीं उगती ................कल एक बुढिया को चटाई बुनते देखा तब लगा चटाईयां बुनी जाती हैं पेड़ पर नहीं उगती पैसों के जोर पर वो खुशियाँ खरीदने निकल जाता है उसे ज्ञान नहीं खुशियाँ बाज़ार में नहीं मिलती सतह पर टिकने के लिए कुछ प्रयास सतही हो सकते हैं पर ग्रुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बगैर कोई चीज सतह पर नहीं टिकती जन्म से मृत्यु तक सुख और दुःख के काल खंड पलटते रहतें हैं पूरा जीवन सुख या सिर्फ दुःख में नहीं गुजरती मै बुढिया से मूल्य कम करा लेता हूँ चटाई की वो मेरे चले जाने से डरती है और किसी नुकसान से नहीं डरती

जमाव रिश्तों का ...एक ज्योतिषी ने एक बार कहा था उसे वह मिलेगा सब जो भी वह चाहेगी दिल से उसने मांगा पिता की सेहत, पति की तरक्की, बेटे की नौकरी, बेटी का ब्याह, एक अदद छत. अब उसी छत पर अकेली खड़ी सोचती है वो क्या मिला उसे ? ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं. ************************ चाहते हैं हम कि बन जाएँ रिश्ते जरा से प्रयास से थोड़ी सी गर्मी से और थोड़े से प्यार से पर रिश्ते दही तो नहीं जो जम जाए बस दूध में ज़रा सा जामन मिलाने से .बरगद हो जाना कोई आसान बात नहीं हैश्रीगंगानगर-गजसिंहपुर के एक बड़ के पेड़ की धुंधली सी छाया है स्मृतियों मेँ। चारों तरफ फैला हुआ...खूब मोटा तना....भरा भरा...पता नहीं कितना पुराना था। उसके नीचे सब्जी वाला होता, राहगीर भी। बच्चे भी उसकी छाया मेँ गर्मी काटते। टहनियों पर अनेक प्रकार के परिंदों की आवा जाही। क्या मालूम उसे ऐसा बनने मेँ किता समय लगा। अपने आप को कितने दशकों तक धूप,गर्मी,आँधी,सर्दी,गहरी रात मेँ अपने आप को अचल रखा होगा तभी तो शान से खड़ा था वह बड़/बरगद का पेड़। रहबर नहीं है-
क्या कहा है आज तुमने ये तुम्हारा स्वर नहीं है- सोच लो बैठे जहाँ हो वो तुम्हारा घर नहीं है- खा रहे हो कसमें जिनकी वो कोई ईश्वर नहीं है - चल दिए हो हाथ पकडे, वो तेरा रहबर नहीं है- तुम तो डरते हो जिंदगी से उसे क़यामत से डर नहीं है- -- उदय वीर सिंह

आज के लिए बस इतना ही .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .....

ये ब्लॉगिंग है जनाब !... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्मा का नमस्कार.....ये ब्लॉगिंग है जनाब ! जैसे हड्डी-शोरबा मिला शोख़ क़बाब या गज़क लाजवाब पर यहाँ नहीं है कोई नवाब एक-दूजे का जोरदार हुकुम बजाइये और नजराना में वही आह-वाह पाइये......लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........

श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ? - श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ? आ रही सट्टालय से पुकार है बुकी गरजता बार - बार कर फिक्सिंग तू बटोर नोट अपार सब कुछ मिले है तुरंत - फुरंत । ...छडो जी, सानु की... वडे लोकां दियां वडी गल्लां.... - मैं कब से बकवास करता आ रहा हूँ, पर अब सरकार को भी पता चला है कि आई पी एल वाकई एक गन्दा खेल है. क्रिकेटर, उनकी पत्नियाँ, उनकी माशुकें, उनके मित्र, उनके लोग... आज का क्रिकेट गीत ! - *इन पापी लोगो (IPL) ने,* *इन पापी लोगो (IPL) ने,* *इन पापी लोगो ने लगा दिया जी सट्टा मेरा......,* *हो जी हो सट्टा मेरा,* *हां जी हाँ सट्टा मेरा...

" जनता ",!! अभी पता नहीं चला क्या ?? - *"सूझबूझ वान"सभी पाठकों को मेरा प्रणाम !!* * कल यूपीए सरकार के नो साल पूरे हो गए , इस अवसर पर रात्रि-भोज रख्खा गया ,जनता हेतु नहीं बल्कि ..चमकदार असफलता की असफल पार्टी - विगत नौ वर्षों से अपनी (अन)उत्कृष्ट सेवाएँ देने वाली संस्था के द्वितीय पंचवर्षीय सत्र का वार्षिक रिपोर्ट कार्ड पेश किया जाना है. ...अच्छाई कभी मिट नहीं सकती - *धर्म-जाति-क्षेत्रियता के नाम पर भोले-भाले लोगों को बरगला कर कुछ मुट्ठी भर लोग अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हुए हैं,पर फिर भी इमान, इंसानियत, सच्चाई अभी ... 

मुझे तो बीती यादों से दिल बहलाना है .... !!! - *आजकल अपने वतन से दूर ....और अपनी छोटी बेटी के * *बहुत पास टोरंटो (केनाडा) में श्रीमती जी के साथ ,और अपनी * *दोनों नातिन के संग समय बहुत अच्छा कट रहा है .....एंजोलिना ...एक खबर कई कोण - एंजोलिना जोली अमेरिका की एक ख्यातनाम अभिनेत्री है उन्होंने एक परिक्षण में पाया की उनके शरीर में एक जीन बी आर सी १ है जिसकी वजह से उन्हें ब्रेस्ट केंसर ..हांफता,काँपता दमे से पीड़ित, मेरा प्रेम हुआ मृत्यु में लीन - हांफता,काँपता दमे से पीड़ित, मेरा प्रेम हुआ मृत्यु में लीन खुश हूँ बहुत मैं आज, संताप मेरा हुआ आज क्षीण. जब जीवित था,स्वप्न बिखरे थे सूने पथ पर मेरे....

नाकाम इश्क - एक तूफ़ान की तरह आया था तेरा इश्क अपनी सारी हदें लांघता हुआ डुबो डाला था मेरा सारा वजूद. नामंजूर था मुझे खुद को खो देना नामंजूर था मुझे तेरा नमक! सो लौटा दिया..मुख्‍़तसर सी बात है..... - उदासी की दूसरी किस्‍त * * * * आज सुबह आंखें खुली तो पाया.....पलकों की कोर में आंसुओं की नमी है। पता भी नहीं लगा और याद में तेरी रात भर रोती रही आंखें।...बचपनममता की छाँव में परवान चढ़ पल्लवित होता प्यारा सा भोला सा बचपन माँ के दुलार में खोया रहता कुंद के पुष्प सा महकता मीठी लोरी सुनता बचपन | प्यार भरी थपकिया पा चुपके सेआँखें मूंदता सोने का नाटक करता फिर धीरे से अँखियाँ खोल माँ को बुद्धू बनाता बचपन.....
  
मेरा परिचयविशाल हिमखण्ड के नीचे मंथर गति से बहती सबकी नज़रों से ओझल एक गुमनाम सी जलधारा हूँ मैं ! अनंत आकाश में चहुँ ओर प्रकाशित अनगिनत तारक मंडलों में एक टिमटिमाता सा धुँधला सितारा हूँ मैं !..जहाँ भी देखो बैनर -पोस्टर !दूर -दूर तक नज़र न आए मंज़र क्यों बहारों के जहाँ भी देखो बैनर -पोस्टर केवल ठेकेदारों के ! रंग-बिरंगे चैनल भी अब हाल चाल क्या बतलाएं नारों में रंगी दीवार लगते चेहरे हैं अखबारों के ! अदालतों से बरी हो रहे दौलत के भूखे कातिल भी नीति,नीयत निर्णय सब कुछ हाथों में हत्यारों के ! अपना दर्द किसे बतलाएं ,सभी व्यस्त हैं अपनों में ..अलविदा साज़ जबलपुरी जी : संजीव वर्मा सलिल - ...जैसे वह मुझसे कुछ कहना चाहता है ... - जबलपुर में दमोह रोड स्थित माढोताल तालाब है . दमोह रोड में मेरे चाचा जी का मकान है और उनके मकान के ठीक पीछे माढोताल तालाब है . यहाँ मैं बचपन से जा रहा हू... 

मुगालते ... - लो, तमाम मूर्ख, बे-वजह का हो-हल्ला मचा रहे हैं मुल्क में 'उदय' जबकि - दोष अधिनस्थों का नहीं, उनके चाटूकार समर्थकों का है ? ... अब हम क्या कहें 'उदय',...ओ मेरे !...........1 - सपनों के संसार की अनुपम सुंदरी नहीं जो तुम्हें ठंडी हवा के झोंके सी लगती, फिर भी हूँ .......सोचती हूँ , शायद , कुछ ......rani Amrit kaur park , Tarna hills mandi ,रानी अमृत कौर पार्क , तारना हिल्स , मंडी  रानी अमृत कौर पार्क जिसे तारना हिल्स, मंडी पर बनाने के बाद दलाई लामा ने जनता के लिये खोला था एक सुंदर और छोटा सा पार्क, जो कि तारना देवी मंदिर के बगल में होने के कारण और ऐसी पहाडी पर होने के कारण जो कि मंडी शहर का बढिया नजारा प्रस्तुत करती हैं ....

हम दुबेजी बोल रहे हैं ! - "हैलो सर ! हम मेरु कैब से दुबेजी बोल रहे हैं" जिस सम्मान और गर्व के साथ दुबेजी ने अपना नाम लिया मन किया कहूँ - "दुबे जी प्रणाम !" नाटे कद के काली-सफ़ेद.दगाबाज तोरी बतियाँ कह दूंगी..हाय राम कह दूंगी ! - ताऊ डाट इन की यह शुरूआती पोस्ट्स (अक्टूबर-2008) में थी जो राष्ट्रीय समाचार पत्र हमारा मैट्रो में 20 मई 2013 को प्रकाशित हुई है. जिसकी सूचना ...पानी का निशान मिटता नहीं - सुनो..... पानी का निशान मिटता नहीं कभी कहा था तुमने पानी पर मेरा नाम लिखते हुए पानी में भीगे वे शब्द आज भी गीले हैं पानी गीला नहीं होता पर मेरी आँखों ....

कार्टून :- उफ़्फ, यहां तो खुजाना भी ज़ुर्म हो गया !!!

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

मन पखेरु उड़ चला फ़िर... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

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संध्या शर्माका नमस्कार... जनता पर फिर महंगाई की मार, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े. डॉलर की तुलना में रुपये की गिरावट आम जनता पर महंगी पड़ी। कमजोर रुपये की वजह से ही शुक्रवार को तेल कंपनियों को तीन महीने बाद पेट्रोल की कीमत में 75 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि करने का फैसला करना पड़ा। साथ ही डीजल की कीमत भी 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी गई है। यह मूल्य वृद्धि शुक्रवार आधी रात से लागू हो गई है। वहीं गैर सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर 45 रुपये सस्ता हो गया है।इस खास खबर के बाद आइये अब चलते हैं आज की ब्लॉग वार्ता पर... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........

मन पखेरु उड़ चला फ़िर : परिचर्चा से लौट कर - कार्यक्रम - परिचर्चा : मन पखेरु उड़ चला फ़िर स्थान - कान्स्टिट्युशन क्लब डिप्टी स्पीकर हॉल नई दिल्ली दिनांक-18 मई 2013, समय - 5 बजे सांय काव्य संग्रह का पुन..ये राग वि‍रहा कि मत लगाना... - उदासी की नवीं किस्‍त * * * * बसाकर आंखों में भूल गए सांवरे....न रखो नि‍शानी....मुझको काजल सा मि‍टा दो......जब याद कोई बेइंतहा आए और कि‍सी शै सुकूं न मि‍ले..अँगारा को जगाना है ... - निरे पत्थर नहीं हो तुम अतगत अचल , निष्ठुर , कठोर आँखें मूंदे रहो , युग बीतता रहे किसी सिद्धि की प्रतीक्षा में या किसी पुक्कस पुजारी की दया-दृष्टि तुम पर ...

क्या ऐसे ख़त्म होगा नक्सलवाद...क्या ऐसे ख़त्म होगा नक्सलवाद...] *- गौरव शर्मा "भारतीय"* * **प्रदेश में हुए नक्सली हमले के बाद एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप, ...दीवानगी .. - कल तक उनकी फेसबुकिया तस्वीरों ने खूब चौंकाया है हमें सच ! आज मालुम पडा, बेटा उनका नौंबी पास हो गया है ? ... प्रायः सभी कुदाल - छोटी दुनिया हो गयी, जैसे हो इक टोल। दूरी आपस की घटी, पर रिश्ते बेमोल।। क्रांति हुई विज्ञान की, बढ़ा खूब संचार। आतुर सब एकल बने, टूट रहा परिवार।। हाथ मिलाते... 

विश्व जियेगा - विश्व जियेगा और गर्भरण जीते बिटिया, प्रथम युद्ध यह और जीतना होगा उसको, संततियों का मोह, नहीं यदि गर्भधारिणी, सह ले सृष्टि बिछोह, कौन ढूढ़ेगा किसको..रात गुलज़ार के संग काट आयी, बाबुषा - *कुछ लोग बड़े सलीके से जिन्दगी की नब्ज को थामते हैं। सहेजते हैं घर के कोने, तरतीब से सजाते हैं ख्वाब पलकों पर. सब कितना दुरुस्त होता है उनकी जिन्दगी में ...क्या आँच पहुंची वहाँ तक ? - वो एक कतरा जो भिगो कर भेजा था अश्कों के समंदर में उस तक कभी पहुँचा ही नहीं या शायद उसने कभी पढ़ा ही नहीं फिर भी मुझे इंतज़ार रहा जवाब का जो उसने कभी दिया ...

मृत्यु और जीवन ! - *(1)मृत्यु घिन आती है ऐसे समाज से जहाँ हक की लड़ाई जमीन और जंगल के बहाने जान लेने पर उतारू है। जिस जमीन पर गिरता है पानी वहां बहाया जाता है रक्त। ...ओ मेरे !..........2 - कुछ आईने बार बार टूटा करते हैं कितना जोड़ने की कोशिश करो .............शायद रह जाता है कोई बाल बीच में दरार बनकर .............और ठेसों का क्या है वो तो फूलो...दूर-पास का लगाव-अलगाव - कोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है। बछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।। दूर का पानी पास की आग नहीं बुझा सकता है।मुँह मोड़ लेने पर पर्वत भी...

ऐ दुनियादारी ! - *अपना भी न सके ढंग से,हुई भी न तू हमारी, * *अलगा भी न सके खुद से,तुझे ऐ दुनियादारी।* * **छोड़ देते जो अगर साथ तेरा, तो अच्छा होता,* *न सीने में बेच...ऎसा लगता है कि कोई नगरवधु मांग में सिंदूर भरकर प्रवचन कर रही हो. - हो गया खात्मा नक्सलवाद का.भूल गये नक्सलवाद के ज़ख्म.सूख गये आंसू इंसानियत की कथित आंखो के,इंसानी खून की सडांध,लाश के चीथडे,मांस के लोथडे..सच तो यह है कि सिद्धांत सभी स्थिर हैं सारे - " चीखती चिड़िया और चील की शान्ति में से क्या चुनोगे ? सच बताना महक फूलों की अच्छी थी तो तोड़ा क्यों उन्हें ? चहक चिड़िया की अच्छी थी तो पिंजडा क्यों बना ?.. 

यादें बचपन की...  - बीती यादें उमड़ -घुमड़ के आ रही रही हैं मेरे मन में कैसे-कैसे वो दिन हैं बीते क्या-क्या छूटा बचपन में रोज सबेरे सूरज आता स्वर्ण रश्मि साथ लिए..बादल तु जल्दी आना रे (भाग २) - काले काले बादल बताओ तुम कहाँ है तुम्हारा देश? कहाँ से तुम आये ,जा रहे हो कहाँ जहां होगा नया नया परिवेश। दूर देश से आये हो तुम थक कर .."आत्म""हत्या !!!! - कूद पड़ी वो नीचे चौथे माले से (और ऊपर जाना शायद वश में न रहा होगा...) लहुलुहान पड़ी काया से लिपट कर रो पड़ा हत्यारा पिता जानता था उसकी महत्त्वाकांक्षाओं ने ही ...

क्रिकेट यानि सेक्स और सट्टेबाजी ! - भारतीय क्रिकेट बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। अब क्रिकेट के साथ ही क्रिकेटर्स की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। हालत ये है कि भारतीय टीम के कप्तान महेन्द...अब क्या होगा छत्तीसगढ़ कांग्रेस का ? - ** *क्या चरणदास महंत को मिलेगी चुनावी अभियान की कमान* *-संजय द्विवेदी* माओवादी आतंकवाद के निशाने पर आई छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तीन दिग्गज नेताओं महेंद्..छत्‍तीसगढ़ी महागाथा : तुँहर जाए ले गिंयॉं - छत्‍तीसगढ़ी गद्य लेखन में तेजी के साथ ही छत्‍तीसगढ़ी में अब लगातार उपन्‍यास लिखे जा रहे हैं। ज्ञात छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यासों की संख्‍या अब तीस को छू चुकी है।...


 


दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

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