Quantcast
Channel: ब्लॉग 4 वार्ता
Viewing all 62 articles
Browse latest View live

उठो जागो,शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्माका नमस्कार.........हद हैमान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है, लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है, हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों, सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है, स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का, आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है, कौन अपना है पराया हमे क्या मालुम, प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है, भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से, जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है. आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर ...

बोल पाकिस्‍तान तेरे साथ क्‍या सलूक किया जाए : कविता की हालिया संदर्भ में पुर्नप्रस्‍तुति (अविनाश वाचस्‍पति) - कारगिल युद्ध के समय जुलाई 1999 यानी लगभग 10 वर्ष पूर्व यह कविता लिखी गई थी और समाचार पत्रों में छाई रही थी। उस समय ब्‍लॉग का जमाना भी नहीं था। पाकिस्‍तान ... मौत की नमाज़ पढ रहा है कोई - मौत की नमाज़ पढ रहा है कोई कीकर के बीज बो रहा है कोई ये तो वक्त की गर्दिशें हैं बाकी वरना सु्कूँ की नीद कब सो रहा है कोई आईनों को फ़ाँसी दे रहा है कोई सब्ज़बाग... बंधुआ मजदूर नहीं है देश की सेना ! - दिल्ली में देश की बेटी के साथ गैंगरेप की घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है। सच कहूं तो दिल्ली अभी भी इस घटना से उबर नहीं पाई है। भारी ठंड और 2 डिग्री के ... 

उठो जागो - जो टूट चुका है समझौता, तुम उसकी लाश क्यों ढोते हो? धोखा तुम्हारे साथ हुआ है क्यों शराफत का लबादा ओढ़े रहते हो? बन्दूक,गोली, बम, हथगोले देकर चलाने की इजा...  शहीदों के प्रति बैरुखी क्यों दिखाती हैं सरकारें !! - हमारी सरकारें सैनिकों और शहीदों को क्यों नहीं गंभीरता से लेती है क्या इसलिए कि शहीद और सैनिक वोटबैंक नहीं है ! सरकारें संजीदा हो या नहीं हो लेकिन सरकार के...शहीद के मन की - कैसे तुझे बताऊँ माँ हूँ मैं कितना खुश किस्मत जब तक जिया कर्तव्य से पीछे न हटा सर्दी से कम्पित न हुआ गर्मी से मुंह ना मोड़ा अंत तक हार नहीं मानी की सर... 

शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े - * * * * *शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े * *करके मेरी पुकार अनसुनी * *बैठ जाते है अलाव तापने * *कभी दुबके रजाई में * *मोज़े मफलर शॉल लपेटे * *खदबदाती राबड़ी ... एक बेहूदा, मूर्खतापूर्ण आलेख! - आज बात करते हैं एक बेहूदा, मूर्खतापूर्ण आलेख की। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.... ब्लॉग और ब्लॉगर की टिप्पणी ....बापूजी जो भाव से बलात्कारी हो उसे तो सगी बहन भी भाई कहने में झिझकेगी - 

ओवैसी प्रश्न तो बहुत है , सामने होता तो जरुर पूंछता : - 'ओवैसी’ के पागलपन को आखिर हिंदुस्तान किस तरह स्वीकारे ? वह व्यक्ति जिसे जनता के बहुमत से सरकार का हिस्सा बनाया गया है उसके वक्तव्यों को १२५ करोड़ की जनता ...जन-जन का सहयोग चाहिए... - *जन-जन का सहयोग चाहिए* राजनीति हो चुकी बहुत, अब इसका हमें उपयोग चाहिये बलात्कार मिटाने में अब, जन - जन का सहयोग चाहिये, आज देश में बलात्कारी , जगह -...सड़कों पर आन्दोलन सही पर देहरी के भीतर भी झांकें - दिल्ली में हुए वीभत्स हादसे ने पूरे देश को हिला दिया । इसके बारे में अब तक बहुत कुछ कहा और लिखा गया है । अनशन ,धरने और कैंडल मार्च सब हुआ और हो रहा है । ... 

शरभराज का शरभपुर …………… - बार-नवापारा के जंगल में कांसा पठार एवं रमिहा पठार के बीच में हटवारा पठार स्थित है। इस पठार को सिंघा धुरवा कहा जाता है। मान्यता है कि जंगल में स्थित पठार प..पुलिस अंकल ... - *सख्त क़ानून ...* सख्त क़ानून से उन्हें परहेज नहीं है 'उदय' डर तो इस बात का है कि - कहीं कल खुद उनकी बारी न आ जाये फांसी पे चढ़ जाने की ? ....रावण सा भाई ... - इन दिनों दिल्ली रेप कांड के बाद पूरे देश में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर वैचारिक क्रंाति चल रही है । महिला अत्याचार के खिलाफ चल रहे इस जंग से हर कोई अपने को ...

 ओ दुनिया के रखवाले ....सुन!!!.. - जैसे ही ठंड का मौसम आया लगा खाने -खिलाने का मौसम आया गाजर का हलवा और पोहा-जलेबी तो खूब खाई और मेथी का पराठा भी भाया पर मूली कभी न भाई ! काकी की कचोरी की ... एक जश्न ऐसा भी .. - *आज मैंने देखा सड़क पर * *एक नन्हा सांवला बच्चा * *प्यारा सा,, खाने की थाली में कुछ ढूंढ़ता हुआ* *उस थाली में था भी तो ढ़ेर सारा पकवान .....* *वहीँ पास ...रोक सकोगे???... मेरे भीतर आक्रोश की उफनती लहराती फुंफकारती धधकती विकराल नदी है रोक सकोगे??? सुना है तुम... समंदर हो  ...

वक्त की टूटी घड़ी दीवार पर अब भी धड़कती है - *"वक्त की टूटी घड़ी दीवार पर अब भी धड़कती है , और रिश्ते मर गए हैं सच के सदमें से बोझिल सी रातों में सर्द से हालात सा मेरा वजूद छल चुके अहसास को ओढ़े है इक बस शर्म ही शर्म...और कोई न कर्म - मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के भ्रष्टाचार -- शर्म, शर्म, शर्म . घोटालों की राशि का लगातार बढ़ते जाना -- शर्म, शर्म, शर्म . महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में ...अब गैस कनेक्शन भी पोर्टेबल - देश में तेज़ी से बदल रही उपभोक्ता आधारित सेवाओं में सरकारी क्षेत्रों की कम्पनियों की साख़ को फिर से लौटाने के लिए जिस तरह से कई प्रयास... 


 


दीजिये इजाज़त नमस्कार........


मकर संक्राति और पतंग मैं अकेली... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार.........तिल और गुड की मिठास आप सभी के जीवन को मिठास और आनंद से भर दे और मकर संक्रांति के सूर्योदय के साथ एक नए सवेरे का शुभारम्भ हो इसी कामना के साथ आप सभी को ब्लॉग वार्ता परिवार की ओर से  मकरसंक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल की  हार्दिक शुभकामनायें.... लीजिये प्रस्तुत है लेट लतीफ़ वार्ता ......................





मकर संक्राति और पतंग - मकर संक्राति के अवसर पर पतंग की बातों के साथ गीतों का झरोखा पतंगें उडती हैं हमारे सपनों से भी उंची और इससे डोर बंधी होती है हमारी इच्‍छाओं, आकांक्षाओं ... 

महाकुम्भ के अवसर पर - अमृत मंथन यह सारा ब्रह्मांड परम ऊर्जा से भरा कुम्भ है, सूर्य ज्योति कुम्भ है, नव ग्रह इस ऊर्जा को ग्रहण करने व वितरित करने हेतु बने कुम्भ हैं और धरा जीवन ... 

 
अब धियाँ दी लोड़ी .....| - अब धियाँ दी लोड़ी .....| लोड़ी [लोहड़ी] की मेरे हमवतन , हमदर्दों को लख - लख बधाईयाँ जी ! **** **** खुशियों की रंगत कभी कम न हो कुछ हम गाते ... 

मैं अकेली - मकर संक्रांति पर हार्दिक शुभकामनाएं || आशा 

http://3.bp.blogspot.com/-vrY6VNZcm3E/UN_FwfGxgHI/AAAAAAAAAh8/rIA3BqH7-bc/s200/bharat.jpg

आखिर कब तक शहीदों की चिताओं को उपलों से जलाएंगे !! - शहीद हेमराज के परिवार को आज तीन दिन हो गये अनशन करते हुए लेकिन अफ़सोस कि बात है कि सरकार ने किसी भी तरह का कोई प्रयास नहीं किया कि उनका अनशन तुडवाया जाये ... 

कैसे उजड़ा श्रीपुर ? Sirpur ………- प्राम्भ से पढ़ें सिरपुर भ्रमण करने के बाद सामन्यत: पर्यटक के मन में यह विचार आता है कि कोसल जैसे विशाल राज्य की समृद्ध एवं वैभवशाली राजधानी श्रीपुर का पतन ...

 

सर कटा भी है सर झुका भी है....खबर है कि सीमा पर पाकिस्तान फ्लैग वार्ता करने को तैयार है... तैयार है मतलब? जिसने पड़ोसी और श..

.हमें शान्ति चाहिए...,(कुँवर जी) - *हम कहते है हमें शान्ति चाहिए,* *वो बोले* *हमने इतना बेआबरू तुमको किया,* *कभी छाती की छलनी* *अभी सर *धर लिया, *तुम अब भी शान्त हो* *अब इस से ज्यादा शान्त... 

 महाकुंभ : चलो हम भी पाप धो आएं ! - इस बार पता नहीं क्या बात है महाकुंभ को लेकर जितनी चर्चा उत्तर प्रदेश में हो रही है, उससे कई गुना ज्यादा बात इसकी दिल्ली में भी हो रही है। नेताओं के पास ज...  



 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

सब्र के बाँध में हिचकियों के पहरे... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार.....सब्र के बाँध में हिचकियों के पहरे थे हर चेहरे के पीछे जाने कितने चेहरे थे सब कहते हैं सब्र का फल मीठा होता है इसकी मिठास से तो कभी रू-ब-रू न हुई फ़कत मजबूत होते गये हर बार मेरे इरादे और एक बाँध बन गया सब्र का जिसके नीचे बहती रही दर्द की नदी चुपके - चुपके .... हारना कभी हालातों से सीखा ही नहीं हौसले की उँगली उम्‍मीद की किरण फिर वही पग‍डंडियाँ जिन पर सरपट दौड़ती जिंदगी कभी संकल्‍पों के धागे कभी विकल्‍पों के सोपान चढ़ना और उतरना पाना और खोना हर हाल में मुस्‍काना ... कभी अपने ही मेरे बनाते दीवार मुझे नजरबंद करने के लिए किस तरह जिंदा रहेगी देखे तो उफ्फ !!!वो क़ायम रखता मेरे जीने की वज़ह !!! ...लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .............

अपने हिस्से का प्यार.. - * * *चांद तारों की महफिल लगने से* *आसमान में सूरज लहराने तक* *बादल के आखिरी टुकड़े से* *बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक* *घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में...कभी आह लब पे मचल गई...!!! - *कभी अश्क आँख से ढल गए* *ये तुम्हारे ग़म के चिराग़ हैं* *कभी बुझ गये कभी जल गए* *कभी आह लब पे मचल गई .....* * अपनी पसंद की एक निहायत खुबसूरत, दिलकश ..मुक्त गगन सा गीत गा सके - मुक्त गगन सा गीत गा सके ‘सावधान’ का बोर्ड लगाये हर कोई बैठा है घर में, मिलना फिर कैसे सम्भव हो लौट गया वह तो बाहर से ! या फिर चौकीदार है बुद्धि ...  

वनौषधियाँ ………… - वनौषधि से हमारा तात्पर्य है कि हमारे आस-पास उगने वाले पौधों के वह पत्र,पुष्प ,फ़ल,वल्कल एवं जड़ जिसके उचित सेवन से हम शारिरीक व्याधियों को दूर करते हैं। इस... अवांछित टहनियाँ ... - कुछ ताज़ी हवा के लिए खिड़की खोली तो ठंडी हवा के साथ तेज कर्कश सी आवाजें भी आईं, ठण्ड के थपेड़े झेलते हुए झाँक कर देखा तो घर के सामने वाले पेड़ की छट...रात कइसे बीतिस - एक झन जोगी बाबा ह घुमत फिरत एक शहर में पहुंचगे। रात होगे रहय अऊ जलकला के दिन रहय शहर के खरपाट ह चारो मुड़ा ले बंद होगे रहय। जोगी बाबा ल जाड़ लागीस। जाड़ में ह... 

आह्वान !तोड़ दो सपनो की दीवारे, मत रोको सृजन के चरण को , फैला दो विश्व के वितान पर, मत टोको वर्जन के वरण को ! जाने कितनी आयेंगी मग में बाधाएँ, कहीं तो इन बाधाओं का अंत होगा ही . कौन सका है रोक राह प्रगति की , प्रात रश्मियों के स्वागत का यत्न होगा ही ! प्रलय के विलय से न हो भीत, तृण- तृण को सृजन से जुड़ने दो नीड़ से निकले नभचर को अभय अम्बर में उड़ने दो, जला कर ज्योति पुंजों को , हटा दो तम के आवरण को , तोड़ दो सपनो की दीवारे, मत रोको सृजन के चरण को! ? ....सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ - सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ और अपने मन के शमशान में कील दूँ तुम्हें तुम्हारी यादों को तुम्हारे वजूद को अपनी मोहब्बत के सिद्ध किये मन्त्रों से सुना है -------....तुम और हम ! - *तुमसे जितनी बार मिला हूँ,* *नए रूप से यार, हिला हूँ !(१)* * * *भरे सरोवर मुरझाया-सा ,* *छोटे नद औ नार खिला हूँ !(२)* ** ** *बीच समंदर डूबा-उतरा ,* ...


मड़गाँव स्टेशन से पणजी मीरमार बीच तक, Margao To Panji Miramar Beach - गोवा यात्रा- हम मड़गाँव स्टेशन से बाहर निकलकर, ऊपरगामी पैदल पुल के ठीक सामने सीधी वाली सड़क नुमा गली से आगे तीन सौ मीटर आने वाले चौक तक चलने लगे, वहाँ से ह...  .ताऊ चिल्लाया, भूख लग रही है, बेलन टूटा - * * *1* *ताऊ चिल्लाया* *भूख लग रही है* *बेलन टूटा* * * *2* * महंगे भाव* *प्याज रोटी चटनी* *शाही दावत* * * * * *3* *अलसभोर* *कमसिन कविता* *रूबरू खुदा* * * ...ऐसी खुशी नहीं चाहता --* * *ऐसी खुशी नहीं चाहता* *जो किसी का दिल दुखाने से मिले,* *हंसी ऐसी नहीं चाहता जो किसी को रुलाने से मिले* *उस दौलत का क्या करना जो अपनों से कर दे दूर... 

मौत तू न कविता है, न ही महबूबा - मौत को लेकर तमाम सारे साहित्यकारों ने, कवियों ने, दार्शनिकों ने अनेक तरह की शायराना बातें कही हैं। कोई मौत को कविता बताकर उसका गुणगान करता है... इंसानी संवेदना से गायब होते जानवर - 85वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म की दौड में भारतीय परिप्रेक्ष्य में बनी आंग ली निर्देशित "लाइफ ऑफ पाई" 11 नामांकन के साथ दूसरे स्थान पर है भा..एक गीत -फिर नया दिनमान आया - चित्र -गूगल से साभार एक गीत -फिर नया दिनमान आया पर्वतों का माथ छूकर टहनियों का हाथ छूकर फिर नया दिनमान आया | नया संवत्सर हमारे घर नया मेहमान आया | ... 

आगत-विगत - • इतिहास की पढ़ाई का हिस्सा है, इतिहास-लेख (Historiography)। जिसने इतिहास की पाठ्‌यपुस्तकीय पढ़ाई न की हो या की हो और यह पाठ्‌यक्रम में न रहा हो, तो भी इति..."ठीक है" नहीं "ठीक कर देंगें" - जिस तरह से पीएम मनमोहन सिंह ने पाक सेना द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ किये गए बर्बर कृत्य की निंदा की गयी और सम्बन्धॊ को नए ...पाकिस्तान में पल-पल बदलते समीकरण में सुप्रीम कोर्ट और फौज की भूमिका - *हरेश कुमार* * * * * * * अंग्रेजों के शासन से आजादी मिलने के बाद से ही पाकिस्तान एक अस्थिर देश रहा है। अब इसे असफल राष्ट्र की संज्ञा दी जाए, तो कोई ... 

टिपियाते थे डेश बोर्ड की मदद से। - हिंदी फॉण्ट ठीक से काम न करने की वजह से *टिपियाते थे डेश बोर्ड की मदद से*। कुछ संकलन पढियेगा हुजुर (1) क्या करिएगा .....आज भारतीय संस्कृति "रूढ़िवादिता..क्‍या करें क्‍या न करें 17 और 18 जनवरी 2013 को ?? (लग्‍न राशिफल )......17 और 18 जनवरी का शुभ समय दिन में 10 बजे से 12 तक अशुभ समय शाम 7 बजे से 10 बजे तक , तथा महत्‍वपूर्ण समय दिन के 1 बजे से 3 बजे दोपहर तक होगा , शुभ समय अधिकांश लोगों के लिए शुभ , अशुभ समय अधिकांश लोगों के लिए अशुभ होता है , जबकि महत्‍वपूर्ण समय किसी के लिए अच्‍छा तो किसी के लिए बुरा हो सकता है ......खिड़की खोलो अपने घर की - *एक जरा सी दुनिया घर की* *लेकिन चीजें दुनिया भर की* *फिर वो ही बारिश का मौसम* *खस्ता हालत फिर छप्पर की* *रोज़ सवेरे लिख लेता है* *चेहरे पर दुनिया बाहर की*...


  

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

झटका कीजिए न हलाल क्‍यों ... ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

$
0
0
नमस्‍कार, बढ़ते बजट घाटे का रोना रोती केंद्र सरकार ने आखिरकार विष का प्याला पी लिया, डीजल के दामों को बाजार के हवाले कर दिया। डीजल अब हर महीने 50 पैसे महंगा हो जाएगा। सरकार ने इसकी इजाजत दे दी है। महंगा डीजल इस देश के अधमरे किसान को और मार देगा, जबकि महंगी डीजल गाड़ियां दौड़ाने वालों की जेब से कुछ नोट और निकल जाएंगे। हालांकि, रसोई गैस और मिट्टी के तेल पर सरकार ने रहम किया। रियायत वाली रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 9 कर दी है। दरअसल तेल की धार को अब सरकार ने तेल कंपनियों के हवाले कर दिया है। देखना है आगे आगे और क्‍या क्‍या होता है ?
चलते हैं आज की वार्ता पर .......

अनोखी समरूपता ! - *हिन्द-पाक को लाख अलग दिखलाने की कोशिश कर भी लो,* *फिर भी ये देखिये कि कितनी समरूपता है बीच दोनों के। * *गर फ़र्क ढूंढना **भी **चाहो तो तुम्हें बस इतना...केवल हिन्दू बचेंगे और प्रेम से रहेंगे- गुरु-- "चेला, हिन्दू-मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते।" चेला-- "क्यों गुरुदेव?" गुरु-- "दोनों में बड़ा अन्तर है।" चेला-- "क्या अन्तर है?" गुरु-- "उनकी भाषा अलग ह..." दुनिया में रहना है तो, काम करो प्यारे "..." चिंतन नहीं "...!!?? - * " काम " करने वाले सभी मित्रों को मेरा हार्दिक नमस्कार !!* * जब सरकार हमारी " जनहित " के कार्य कर-कर थक गयी ......तब उसे चिंतन करने ...पाकिस्तान ने वादा किया है की वो तमीज से रहेगा - पाक ने बारूदी सुरंगें बिछा रखी हैं ! भारत ने जब सबूत सौपें तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया ! 16 दिनों में 20 बार नियंत्रण रेखा पर युद्ध-विराम का उल्लंघन ...पाक की नीति - भारतीय सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किये जाने की पाकिस्तानी सेना की बर्बर हरकत के बाद जिस तरह से देश में पाकिस्तान के ख़...


यादों का अंकुश - मन की गलियों में भटकते कई बातें याद आती है तो कभी ऐसा कुछ घटित होता है की उसके बहाने कोई पुरानी बात याद आ जाती है तो कभी किसी पुरानी बात के बहाने कोई का...बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी..... - बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी. बात यह इश्क की भली ठहरी. हो मुहब्बत में यह पता सबको. कशमकश उम्र भर बनी ठहरी. शुक्रिया ज़िन्दगी! कदम दर कदम, तू मेरे साथ ही चली, ठहर...गीत: आओ! आँख मिचौली खेलें... संजीव 'सलिल' -चित्र पर कविता रचें: गीत: आओ! आँख मिचौली खेलें... संजीव 'सलिल' * जीवन की आपाधापी में, बहुत थक गए, ऊब गए हम। भूल हँसी, मस्ती, खुशियों को, व्यर्थ फ़िक्र में ड...तेल का खेल - *तेल कीमत बढने से महंगाई बढेगी। महंगाई बढने से आम आदमी का तेल निकलेगा और आम आदमी जब तेल देने लगेगा तो महंगाई खुद कम हो जाएगी :- राहुल गांधी*


उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ -लेने से ज़न्म पहले ही मरती हैं बेटियाँ, सब बोझ भेद भाव का ढ़ोती हैं बेटियाँ. फ़िरते हैं गुनहगार खुले आम सड़क पर, उनका गुनाह उम्र भर ढ़ोती हैं बेटियाँ. ...शब्द सहम के सो जाते हैं सन्नाटे में - *"शब्द सहम के सो जाते हैं सन्नाटे में , पदचाप सुनायी देती हैं कातिल सी कुछ अंगारे जो सूरज से छलके थे कुछ कहते थे और अगरबत्ती कुछ सहमी सी जलती थी मेरे आँगन मे...अहिरन और '' नींद का समय.'' -अहिरन नदी का रूपान्तरण अकेला या इकहरा नहीं है। बल्कि, वहाँ सेंवधरा में जहां नदी के पानी से बिजली बनाई जाने वाली है, वहाँ गाँव का भी रूपान्तरण हो रहा है...फिजां कह रही है .... -* ****फिजां कह रही है, देख ! कैसे वक्त* *करवट ले रहा है* *ब्रह्मवेत्ता , छद्म - वेत्ता की राह में ,* *ज्ञानी कर वसूल रहा है-* *सन्यासी धर...

ओह ! मेरे किसी जन्म के बिछड़े प्रियतम - मैं राख का अंतिम श्वास बन जाती .......जो तुम होते मैं मुखाग्नि का अंतिम कर्म बन जाती .......जो तुम होते मैं कच्चे घड़े संग चेनाब पार कर जाती .......जो तुम...हर क्षण मन से झरतीं क्षणिकाएं.... - (कुछ बिखरे जज्बातों को समेत कर रख दिया है, बस .......)स्नेह की मृगतृष्णा मिटती नहीं... रिश्तों का मायाजाल कभी सुलझता नहीं. तो मत रखो कोई रिश्ता मुझसे मत बुल...सेनापति वीरु हाथी और डाकू नाटा गीदड़ (बाल कहानी) -मीठे पानी के विशालकाय झरने के किनारे बसा तथा बड़े-बड़े फलदार वृक्षों और अत्यंत सुंदर, रंग-बिरंगे, सुगंधित फूलों के प्यारे-प्यारे पौधों से भरपूर एक हरा-भर...

फेसबुक ने कर डाला ब्लॉगर्स का ब्रेन ड्रेन --- -आजकल एक पुराना हिंदी फ़िल्मी गाना बहुत याद आता है -- *मैं ढूंढता हूँ जिनको , रातों को ख्यालों में * *वो मुझको मिल सके ना , सुबह के उजालों में। * कुछ यही ...नई प्रतिभाओं के लिए सुनहरा अवसर .......... - नवोदित कवियों / कवयित्रियों को उनकी काव्य-प्रतिभा की चमक दिखाने का एक बड़ा अवसर देने के लिए एक शानदार *ऑडियो एल्बम काव्य-कुम्भ * का निर्माण तीव्र गत...ये कटहल है - ये कटहल है इसकी जड़, छाल और पत्ते दवा के तौर पर प्रयोग किये जाते हैं जबकि फल कच्चे पक्के दोनों तरह खाएं जाते हैं। कच्चे कटहल की सब्जी बडे शौक स...खुराक को संतुलित रखने के लिए - खुराक को संतुलित रखने के लिए Colour your plate right विविध रूपा बहुरंगी बनाइए अपनी खुराख को .फल और तरकारियाँ तमाम किस्म के रंजक (Pigments)ही नहीं लिए ह...



अब लेते हैं विदा .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ......

सीना जोर दादागिरी और चलना उम्र भर...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार.....* * *जाओ चले जाओ* *अपने सारे ख्वाब भी ले जाओ* *वो झूठे वादे भी ले जाओ ......* *वो झूठी कस्मे भी ले जाओ* *वो तुम्हारा रूठना भी ले जाओ* *पर मेरा मनाना मुझे दे जाओ ........* *वो प्यारे ख़त जला दो अभी इसी वक्त* *पर मेरी यादें , मेरी बाते मुझे लौटा दो* *बस चले जाओ दे दो आजादी .......* *इस झूठे प्रेम से इस छल से * *बस इतना बताते जाओ * *की, मेरा कसूरक्या था.....* *बीना कसूर जा रहे हो* *तो एक सजा भी लेते जाओ .......* *मेरी दुआएँ* *फिर लौट कर आने की.....* *रिश्तों को यूँ ही नहीं बिखरने दूंगी* *आज तुम्हारी जिद है तो जाओ .....* *एक संकल्प मेरा भी है .....* *तुम्हें फिर ले आउंगी ....* लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

मैं तो कब से खड़ी इस पार - १९५८ की फिल्म “मधुमती”. मूल गीत गाया था लता मंगेशकर ने. दिलीप कुमार और वैजयन्ती माला अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे बिमल रॉय. गीत लिखा था शंकर शैलेन्द्र ने....तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी... - (दृश्य - एक सजा संवरा से कमरा है. हर चीज करीने से. एक टेबल और दो चेयर. टेबल पर अभी पीकर रखे गये चाय के कप के निशान हैं.) जीवन- तुम हंसती क्यों रहती हो?  .आँखें - आँखें होंठ चुप रहें सवाल पूछती हैं आँखें देखें कैसे बेहिसाब बोलती हैं आँखें मौन ठहरा है दोनों के बीच में मगर खामोशियों को फिर भी तोड़ती हैं आँखें..

साला मैं तो साहब बन गया .... - फिलहाल तो आज की ताजा खबर यही है कि राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर कहा गया है कि अगर 2014 में प्रधानमंत्री बनना है तो अभी से मेहनत करो।  .अपनी अपनी किस्मत - अपनी अपनी किस्मत जब तक बदन में था छुपा ,पानी वो पाक था, बाहर जो निकला पेट से ,पेशाब बन गया बंधा हुआ था जब तलक,सौदा था लाख का, मुट्ठी खुली ...ये तो था परदे के सामने का सच …………… - दिशाहीन सडकें , दिशाहीन राहें और चलना उम्रभर का । एक सी दिनचर्या ………वो ही खाना , पीना और सोना …………कुछ नही हो करने को ………ऐसे मे माध्यम बना सोशल मीडिया । चल...

 आखिर इलेक्ट्रानिक वाले अलग हो ही गये ... - यह तो होना ही था । आखिर ग्लैमर से भरे इलेक्ट्रानिक मीडिया कब तक प्रिंट मीडिया के दबदबे पर चुप रहती । इलेक्ट्रानिक मीडिया इस बात पर लंबे समय से नाराज थे कि आज... डिश टीवी की सीनाजोर दादागिरी - आज मेरा यह भ्रम दूर हो गया कि मैंने अपने लिए, अपनी सुविधा के लिए डिश टीवी का कनेक्शन लिया हुआ है। डिश टीवीवालों ने आज मुझे जता दिया कि वे मेरे लिए नहीं,...गोवा के यूथ हॉस्टल कैम्प में रॉक/चट्टान आरोहण Rock climbing in Goa at YHAI Camp - गोवा यात्रा- रात का खाना खाने के उपरांत, वहाँ पर कैम्प फ़ायर करने की प्रथा बनायी हुई थी। वहाँ एक बात बहुत अच्छी लगी कि कैम्प फ़ायर के नाम पर लकड़ियाँ जलाने ... 

 अब तुम बड़े हो गए हो - अब कल से राहुल भैया जी 'एडल्ट डाइपर' पहनेंगे ... आज सब मिल कर समझाये है ... " अब तुम बड़े हो गए हो !!! " .माँ ने कहा सत्ता जहर की तरह है, और भारत के लोग मेरी जान है:- राहुल गांधी - जयपुर में चल रहे कौंग्रेस के "चिंतन शिविर" में कांग्रेस के "युवा" नेता और ताजा-ताजा बने कॉग्रेस के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने अपने भाषण में .....अभी वक्त लगेगा, दिमाग की खिड़कियाँ खुलने में - हाल ही में कुछ दरिंदो द्वारा दामिनी की नृशंस हत्या ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया है। और टी वी , पत्रिकाओं, फेसबुक और हमारे ब्लॉगजगत में भी समाज में ...  

एक लम्बा सा मौन - (फेसबुक से लिया गया चित्र) * * कब और कैसे, एक लम्बा सा मौन पसर चुका है हम दोनों के बीच ये मौन ....विद्यालय 2संसार में शायद तीन जगह सब बराबर हैं 1 मंदिर भगवान के समक्ष जहां किसी के सामने सिर नहीं झुकाना चाहिए 2 खेल का मैदान जहां सब अपनी क्षमता, और योग्यता के आधार पर होते हैं 3 विद्यालय जहाँ ज्ञान और गुरू सुपात्र शिष्य की प्रतीक्षा में बाहें फैलाये रहते ..क्या खुदा भगवान आदम???खो रहा पहचान आदम, हो रहा शैतान आदम, चोर मन ले फिर रहा है, कोयले की खान आदम, नारि पे ताकत दिखाए, जंतु से हैवान आदम, मौत आनी है समय पे, जान कर अंजान आदम, सोंचता है सोंच नीची, बो रहा अपमान आदम, मौज में सारे कुकर्मी, क्या खुदा भगवान आदम??? ...

मुक्तसर न हुई उल्फत.... - * ***** * अफसाने न रहे तुम्हें सुनाने के लिए * * बेगाने ही रहे दर्द मेरे ज़माने के.....रातें - रातें काली सी स्याह रातें हर तरफ कांटे ही कांटे. पथरीली सी ये धरती रेतीली हैं चक्रवातें. बुझता हुआ सा दीपक उखडी हुई हैं साँसें. व्याकुल सा है ये तन-मन बोझ...सामत सरना डीपाडीह की ओर यायावर - बिलासपुर टेसन यात्राएं चलते रहती हैं जीवन के साथ। जीवन भी एक यात्रा कहा जाता है। मैने देखा कि यात्राओं का कोई कारण होता है। कोई निमित्त होता है...  

न शहादत भी ये शर्मिन्‍दा हो !!!सारे हल इन दिनों तिलमिलाहट की भाषा में बात करते हैं आखिर हमारा वज़ूद क्‍या है हम कब तक कैंद रहेंगे इस सियासत़ की गंदी बस्‍ती में हमें भी आजा़दी चाहिये सच दम घुटता है जब मातृभूमि की सुरक्षा में किसी वीर का सीना छलनी होता है जी चाहता है मैं गोली बन जाऊँ.."तुम्हारी मूक अभिव्यक्ति की मुखर पहचान हूँ मैं" - सुनो प्रश्न किया तुमने देह के बाहर मुझे खोजने का और खुद को सही सिद्ध करने का कि देह से इतर तुम्हें कभी देख नहीं पाया जान नहीं पाया एक ईमानदार स्वीकारोक्ति ... झरने को अभिशप्त - ये हरसिंगार के फूल जब -जब झरते हैं नारंगी और सफ़ेद दोनों रंग इनके मुझपे नशा बन चढ़ते हैं नारंगी .. तुम्हारी याद दिलाता है आग सा ..दहकता तुम और तुम्हारा ...

बस्तर-बाला,,, - बस्तर-बाला" केश तुम्हारे घुंघराले , ज्यों केशकाल की घाटी देह तुम्हारी ऐसे महके ,ज्यों बस्तर की माटी. इन्द्रावती की कल-कल जैसी,चाल....जय जवान , जय किसान - कल की बारिश और ओले गिरने से कई स्थानों पर 70 फीसदी फसलों का नुकसान हुआ है! खेतों में खड़ी सरसों , मटर और आलू बर्बाद हो गए हैं ! किसानों का दुःख-दर्द पूछने ....यदि चाहें तो क्या नहीं हो सकता? - तिरसठ साल की उम्र हो गई हमारी पता नहीं कब, किस दिन सिधार जाएँगे? पर दिल में प्रबल कामना है कि सिधारने से पहले देश के लोगों को, खासकर युवा वर्ग को सुधार जाएँग... 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग…… ब्लॉग4वार्ता ...संगीता स्वरूप

$
0
0
आज की वार्ता में  संगीता स्वरूप  का नमस्कार .....
कांग्रेस का चिंतन खत्म हो गया। मिशन 2014 के लिए रणनीति साफ हो गई। नया एजेंडा बन गया। नया नेतृत्व भी मिल गया। चिंतन के आखिरी दिन रविवार को राहुल गांधी ने बतौर कांग्रेस उपाध्यक्ष पहला भाषण दिया। उन्होंने कांग्रेस के अतीत, वर्तमान और भविष्य की बातें की। परिवार के बलिदान को भी याद किया।राहुल ने कहा ------
हर दिन हम पाखंड देखते हैं। भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं तो महिलाओं के प्रति अनादर की भावना रखने वाले महिला सशक्तीकरण पर भाषण देते हैं। आज स्थिति क्या है? आम आदमी राजनीति से बाहर कर दिया गया है।
कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें नियम और कानून नहीं चलते। नए नियम बनते हैं, पर मानता कोई नहीं।....
इसी के साथ चलते हैं हम आज की वार्ता पर ---

..... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (5) शहादत कोई भाषा नहीं
कि तेरे मेरे की बात हो
पर बात हो गई है  ....
हादसे शमशान से हो गए हैं
उधर से गुजरना ज़रूरी तो नहीं .... जब अपनी बारी होगी तो देखेंगे - क्यूँ ?
                         रश्मि प्रभा

आंखे तो गीलीं थीं / सूखे मन मौसम थे

दुनिया भर के गम थे
और  अकेले   हम  थे
आंखे  तो  गीलीं  थीं
सूखे मन   मौसम थे

रिश्ते ..

रिश्ते मिलते हों बेशक
स्वत: ही
पर रिश्ते बनते नहीं
बनाने पड़ते हैं।
करने पड़ते हैं खड़े
मान और भरोसे का
ईंट, गारा लगा कर

किताबों की दुनिया –78

शायरी और समंदर में एक गहरा रिश्ता है इनमें जितना डूबेंगे उतना आनंद आएगा। उथली शायरी और उथले  समंदर में कोई ख़ास बात नज़र नहीं आती लेकिन जरा गहरी डुबकी लगायें, आपको किसी और ही दुनिया में चले जाने का अहसास होगा। गहराई में आपको वो रंग नज़र आयेंगे जो सतह पर नहीं दिखाई देते

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग ।
सारे पैदल घेर के, दें आतंकी टैग -
फिर से नई विसात बिछाये ।
देश-भक्त कहलाता जाए  ।।

देखूं न चंद रोज़ उसे ये , सिलसिला तो दूँ

वो शाम ढल गई है जो उसका सिला तो दूँ
बैठूं करीब उसके उसे ख़ुद से मिला तो दूँ

सामत सरना एवं टांगीनाथ ……… ललित शर्मा

अम्बिकापुर से 73 किलोमीटर शंकरगढ से आगे जाने परडीपाडीहका सामत सरना टीला आता है। हमारी गाड़ी गेट पर रुकती है। राहुल और पंकज मुझसे पहले प्रवेश करते हैं और मै थोड़ी देर पश्चात रास्ते में लगी हुई  मूर्तियों को देखते हुए आगे बढता हूँ। यहीं पर मेरी मुलाकात सामत सरना मंदिर समुह के चौकीदार जगदीश से होती  है।

असामाजिक कविता

कविता मिलती नहीं कविखाने में
कमबख्त शराब भी नकली है शराबखाने में
ये मुर्गों की लड़ाई, क्यों मेरे पीछे है भाई
शब्दों को भी जोड़ता-तोड़ता है कसाई

कलम....

न कुछ सोच कर
न कुछ समझ कर
कुलबुलाती कलम तो बस
यूं ही चलती है
कागज की राहों पर

पॉर्न वीडियो के खिलाफ सख्‍त कानून बनाने की जरूरत है

आप मथुरा या राजस्‍थान अथवा ऐसी जगहों पर जहां पर गली-गली में मंदिरों में भगवान बसते हैं, में ऐसा कुकर्म करके क्‍या संदेश समाज को देना चाह रहे हैं। जबकि ऐसे कुकर्म समाज में कहीं पर भी स्‍वीकार्य नहीं हैं। चोरी छिपे पॉर्न वीडियो बनाना और उन्‍हें साइटों पर अपलोड करके धन अर्जित करना समाज के लिए तो घातक है ही,

नहीं है मेरी कविता का कैनवस इतना विशाल

नहीं है मेरी कविता का
कैनवस इतना विशाल
जिसमें सारे जहान का
दर्शन शास्त्र समा लूँ
कैसे सम्भोग से समाधि तक

परिवर्तन

रघु का पिता केसरीमल एक भूतपूर्व म्युनिसिपल चेयरमैन  के बंगले की साफ़-सफाई के काम में नियुक्त था. उसने देखा/समझा कि समाज में लोगों के आगे बढ़ने के पीछे शिक्षा ही एक बड़ा कारक है. इसलिए उसने रघु को स्कूल भेजा और बाद में कॉलेज में बी.ए. तक पढ़ाया, हालांकि रघु पढ़ाई में औसत से भी कमजोर रहा,

गंगा को मैली कर के

मन मैला और
तन को धोने
चले कुंभ के
मेले में
जहाँ पापों को
मिटाने गए थे

किस्मत टूटी नाव चढ़ी है

मन में चलती बुन उधेड़ है
रामरती  का पति अधेड़ है
घर में दो दो समवयस्क हैं कहने को बेटे
मर्द सुनाता दिले शेर के किस्से लेटे लेटे

मधुशाला .... भाग 16 / हरिवंश राय बच्चन

मेरी हाला में सबने पाई अपनी-अपनी हाला,
मेरे प्याले में सबने पाया अपना-अपना प्याला,
मेरे साकी में सबने अपना प्यारा साकी देखा,
जिसकी जैसी रुचि थी उसने वैसी देखी मधुशाला।।१३१।

पंथ निहारे रखना

छोड़ दो ताने बाने
भूल के राग पुराने
प्रेम सुधा की सरिता
आ जाओ बरसाने

प्यार और चाँद...


मेरे बालों में मेरे उँगलियाँ घुमाते हुए...
तुम ने ठीक कहा था उस दिन---
प्यार चाँद सा होता है !
और मैं मान गयी थी सहजता से...!
उसके मायने नहीं समझ पाई थी उस दिन...

आज रात इतनी खट्टी क्यूँ पकाई है .

इक लकड़ी की बुक़ची 
और अंदरूनी हरे सिल्क का बिछावन 
कुछ ख़ुशबुएँ टटके बेला की 
कुछ बासी बातों का चूरा

ऐसा क्यों होता है

हर बार ऐसा क्यों होता है
अँधेरी सुकून भरी रात में
नरम बिछौने पर
नींद आने के बस
कुछ पल पहले

बस यूँ ही ..............

जय - जयपुर में ....... 
गहन चिन्तन था ।
थोडा मंथन था ।
थोडा क्रंदन था ।
एक का नन्दन था ।
जिसका वंदन था ।
उसके खानदान का ।
सामूहिक अभिनन्दन था ।

वाह रे वाह !

फिर  से सत्ता हथियाने के .जो देख रहे हैं  ख्वाब,
लादेन उनके "जी" हुए, हाफिज सईद हुए "सहाब"।

अर्जुन प्रसाद की कहानी – जुड़वां

जुड़वॉ सोलापुर के तुकाराम शिंदे के दो पुत्र थे और एक पुत्री। उनके पुत्रों का नाम था राजीव और संजीव। उनकी इकलौती बेटी का नाम सुप्रिया था। बाबू तुकाराम के दोनों बेटे एक ही साथ पैदा होने से जुड़वाँ थे जबकि उनकी बेटी अकेली ही पैदा हुई थी। सुप्रिया तुकाराम की बड़ी संतान थी।

एक अत्याधुनिक राम-कथा !

भगवान राम आज कुछ प्रसन्न-मुद्रा में दिखाई दे रहे थे.सीता जी ने उनकी इस प्रसन्नता का कारण पूछा ,'प्रभु ! आज आपकी मुख-मुद्रा अलग सन्देश दे रही है,क्या बात है ?' राम बोले ,'देवि,आज नारद मुनि मिले थे और कह रहे थे कि हम लोग जबसे धरती-लोक से

सत्ता दुल्हन दूर, वरे दूल्हा जब गंजा-

  पंजा की पडवानियाँ, गायन वादन नृत्य ।
संचारित संवाद हों, अभिनय करते भृत्य ।
अभिनय करते भृत्य, कटे जब मुर्ग-मुसल्लम ।
चले यहाँ  बारात, कटारी चाक़ू बल्लम ।

"चिन्तन-मन्थन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
गीदड़ ने रँग लिया बदन को,
ख़ानदान का ही वन्दन है।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?

वो किसका नाम था

कुछ गीत  लिखने की कोशिश में
जो भी शब्द हमसे लिखा  गया
वो किसका नाम   था
जो बार बार  यूं लिखा  गया

आज के लिए बस इतना ही .... फिर मिलते हैं .... नमस्कार

गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में ... ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

$
0
0
नमस्‍कार ,  रोहिणी स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की विशेष अदालत ने हरियाणा के बहुचचिंत शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री एवं इंडियन नैशनल लोकदल (इनैलो) सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला एवं उनके पुत्र अजय चौटाला तथा आई.ए.एस. के 2 अधिकारियों प्राथमिक शिक्षा के तत्कालीन निदेशक संजीव कुमार एवं चौटाला के साथ विशेष सेवा पर तैनात पूर्व अधिकारी विद्याधर तथा चौटाला के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार व विधायक शेर सिंह बड़शामी सहित 10 को आज 10-10 साल की जेल की सजा सुनाई। आज की इस खबर के साथ चलते हैं आज की वार्ता में ....


प्रेमकथा जारी है ...... - *हम किनारे लग भी सकते थे * * * ** राम जन्म पाठक* आधुनिक प्रेमकथा का पूर्वार्ध अब मध्य भाग ......... लेकिन, जब इतिहास लिखा जाएगा तो इतिहासकार लिखे...गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में, गुलाबी गाल वालों की, कुछ गुलाबी - गुलाबी सी गप्पें इस प्रकार हैं .... -गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में, गुलाबी गाल वालों की, कुछ गुलाबी - गुलाबी सी गप्पें इस प्रकार हैं ............. साथियों, जब चुनाव होते हैं तो हमारा कार्यक...पधार रहे है ......... - *खबरदार होशियार सियारों के सरदार ऐय्यारों के ऐय्यार करने बंटाधार पधार रहे है ....... * *बहरूपिये हज़ार रंगे सियार लूटने को बेकरार फिर एक बार पधार...ओस से भीगी एक रात - : *ओस से भीगी एक रात* : अभी उसने बोरी के नीचे से सर निकाला ही था कि कोहरे भरी अँधेरी घनेरी रात में चल रही हवाओं की सरसराहट ने फिर दुबकने पर मजबूर कर द...तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा...खुशदीप - दूध के कलेक्शन सेंटर में एक मोटा और एक छोटा चूहा धमा-चौकड़ी मचा रहे थे...इसी उछल-कूद के दौरान दोनों ताजा दूध के एक टब में जा गिरे...दोनों बाहर निकलने की को...

विक्डलीक का वैमी टाइटन फैबलेट – गैलैक्सी नोट २ का सस्ता देसी संस्करण, स्टायलस सहित @ ₹१३,०००- मुम्बई की विक्डलीक नामक हैंडसैट निर्माता कम्पनी ने वैमी टाइटन नाम से एक ५.५ इंची फैबलेट निकाला है। यह सम्भवतः पहला भारतीय फैबलेट है जिसमें स्टायलस शामिल है...ठहराव बिलकुल अच्छा नहीं - कोई पाँच बरस पहले ब्लागिरी शुरु हुई थी। पहले ब्लाग तीसरा खंबा आरंभ हुआ और लगभग एक माह बाद अनवरत। धीरे धीरे गति बढ़ी और हर तीन दिन में कम से कम दो पोस्टें ल..." दिल..है कि मानता....नहीं..." राहुल जी को P.M. ...!!??? - * दिल की बात मानने वाले सभी मित्रों को मेरा हार्दिक नमस्कार !!* * जयपुर के " चिंतन-शिविर " में कांग्रेस के भावी प्रधानमंत्री पद...जरय पेट के अंठुली - बचपन में मुझे मेरी दादी एक छत्तीसगढ़ी कहानी सुनाया करती थीं जिसका आरम्भ होता था "कहिनी कहय कंठुली, जरय पेट के अंठुली" से। इसके की कहानी क्या थी मुझे याद नही...

गणतंत्र दिवस - * * हुए स्वतंत्र सन सैतालिस में सन पचास में गणतंत्र बना स्वतंत्र देश में पालनार्थ संविधान लागू हुआ | वह दिन था छ्ब्बीस जनवरी इस दिन को याद किया जाता है...अच्छी शुरुआत का आशावाद - जब आप अपनी कमजोरियाँ और कमियाँ सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हैं, वह भी तब, जब आप किसी पद पर आने के बाद पहली बार ऐसा कर रहे हों, तब कुछ बातें अपने आप ह...बस्तर फतह के लिए भाजपाई तिकड़म शुरू ! - मसीही समाज पर दर्जन भर हमले ! राÓयपाल को ज्ञापन ! वैसे तो हिन्दुत्व का मुद्दा गरम कर चुनाव जीतने का भाजपा का पुराना शगल है । चुनाव जीतने के बलए वह कभी राम का...काश ! हम जी रहे होते.... - काश ! हम जी रहे होते सबके आंशू, पी रहे होते गूंजती, देखते गर, हवाओं में चीखें कुछ रिश्ते पिरो रहे होते बात होती रही , सदियों से, संस्कारों की बिखरते रिश...

नए ज़माने की परियां ............ -जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है पर पुरानी बातों से सबक लेना भी जरूरी है तभी तो जिंदगी की कहानी आगे बढ़ेगी.कहानी से याद आया हम सबने बचपने में एक परी ...देखो न मुझे ... - एक छोटी-सी कोठरी का अँधेरा देखो कैसे बाहर निकल आया है जैसे ही कोई जलता दीया इस बुझे दीये के बेहद करीब आया है ... एक गहरे-काले घोल की-सी रात दहककर पिघलने लग...उसके बाद ?- मैं .... और मैं वार्तालाप,प्रलाप प्रश्न,प्रश्नोत्तर,निरुत्तर .... सत्य-असत्य पाप-पुण्य स्वाभिमान,अभिमान सुकर्म,कुकर्म .... सबकी दिशाएं मैं के बिंदु ...सदी के महानायक - तुम थे उस सदी के महानायक तुमने जानी थी आज़ादी की सही कीमत मुफ्त में या भीक में मिली चीज़ की कोई महत्ता नही होती तुम्हें पता था । इसी लिये तो तुम चाहते थे ...

मेरी प्रकाशित कवितायेँ (English)- मेरी दो अंग्रेज़ी की कवितायेँ Inklinks नाम की पुस्तक में प्रकाशित हुई हैं. डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम. गुलज़ार साहब, इरशाद कामिल, इब्राहीम अश्क, नीदा फाज़...तुकबंदियां मेरे मन की- 1 - *[image: angry-man-03]* *बिसात इश्क की आज फिर.......................मैंने बिछा दी भाइयों ने उसके रोली चन्दन के साथ अर्थी मेरी सजा दी* ******************...देशव्यापी महिला हेल्पलाइन १८१ - संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार की इस मंशा को सभी राज्यों से अवगत करा दिया है कि दूर संचार विभाग द्वारा सभी राज्यों...ख्वाबों में तुम थे... - * **सजाई पलक थी करीने से हमने* *छलक गए हंजू बताऊँ मैं कैसे -* * **इरादों में तुम थे ख्वाबों में तुम थे* *टुर गए दिल से बताऊँ मैं कैस...

वेलसर गाँव का हर्रा टोला - भोजन के वक्त विष्णु सिंह से शंकर गढ के समीप अन्य पुरातात्विक स्थानों के विषय में जानकारी ली तो उन्होने शंकरगढ के समीप ही स्थित हर्रा टोला बेलसर का जिक्र कि...गोवा ट्रेकिंग, मीरामार बीच Goa trekking, Miramar beach -गोवा यात्रा- यह तो हमें पहले से पता था कि आज हमारा ग्रुप चार-पाँच किमी की ट्रेकिंग करने दोना-पोला बीच तक जाने वाला है। जिसमें सबको अपने बैग साथ ले जाने है,..ई बी व्हाईट : प्राकृतिक इतिहास - *अमेरिकी लेखक ई. बी. व्हाईट (1899 -- 1985) ने कहा है, "एक बार आप मकड़ों को देखना शुरू कर दें तो आपके पास कुछ और करने के लिए समय नहीं रह जाता". यहाँ प्रस्तु...तो फिर विन्ध्यप्रदेश क्यों नहीं! - तो क्या यह तय मान लिया जाए कि सरकार नजरों में वहीं मांगे जायज हैं, जिनको लेकर जनता सड़कों पर उतरे, आगजनी, नाकाबंदी कर कुछ लाशें बिछें, रेलगाड़ियां जलें सा...

आज के लिए बस इतना ही .. मिलती हूं एक ब्रेक के बाद .....


नाबालिग??? अफ़सोस...!---ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....मत करो दामि‍नी तुम कि‍सी इंसाफ का इंतजार नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय , उम्र कच्‍ची थी उसकी इसलि‍ए जुर्म बड़ा नहीं. क्‍या हुआ जो उसने कि‍या तुम्‍हारे दामन को तार-तार सरि‍या को तुम्‍हारे अंग के पार. बेचारा नादान है, बच्‍चा है, स्‍कूल सर्टिफिकेट ने कहा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने माना छूट गया वह दुर्दांत है तो क्‍या है तो कमउम्र..मासूम और नाबालि‍ग को सजा इस देश का कानून नहीं देता देश के नाबालिगों मेहनत मजदूरी मत करना मगर कर सकते हो बलात्‍कार है तुम्‍हें सरकारी छूट.... मत करो दामि‍नीतुम कि‍सी इंसाफ का इंतजारनहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय... लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

तुझे मेरे गीत बुलाते हैं - १९५१ की फिल्म “रानी रूपमती” मूल गीत गाया था मुकेश ने. भारत भूषण, नलिनी अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे एस. एन. त्रिपाठी. गीत लिखा था भरत व्यास ने. .... फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ... - *पेश है उन लोगों का दर्द जो ये सब भोग चुके हैं* ----------------------------------------- *फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ है यही इक सिलसिला...आपन गीत हम लिखब... - अब अपनी बात हम खुद लिखेंगे जैसे चाहेंगे वैसे जियेंगे न जी पायेंगे अगर मर्जी के मुताबिक, न सही तो उस न जी पाने की वजह ही लिखेंगे, हम खुद लिखेंगे ...

बौद्ध मठ एवं तिब्बती औषधालय Manpat - सुबह जल्दी हो गयी, सूर्योदय हो रहा था। सूर्योदय का यही नजारा देखने हम जल्दी उठे थे। ठंड ऐसी थी कि रुम से बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा था। पंकज पहले ही उठ...पुस्तकालय ऐसे भी.. - यदि विदेशी धरती पर उतरते ही मूलभूत जानकारियों के लिए कोई आपसे कहे कि पुस्तकालय चले जाइए तो आप क्या सोचेंगे? यही न कि पुस्तकालय तो किताबें और पत्र पत्रिकाए...उमेश मण्डावी की कविता - इस बार प्रस्तुत है युवा व्यंग्यकार *उमेश कुमार मण्डावी* की व्यंग्य-कविता "चुनाव"। कोंडागाँव (बस्तर-छत्तीसगढ़) में 23 मई 1975 को जन्मे उमेश मण्डावी यांत्रि...

सरकारी अस्पतालों मे ही हो "क्रीमी लेयर" का भी इलाज - *मंत्री महोदय की यह सदेच्छा पूरी होती तो नहीं लगती, पर फिर भी यदि ऎसी कोइ नीति बन जाती है या कुछ लोग स्वप्रेरणा से ही सरकारी अस्पताल को अपनाते हैं ... पदम् सम्मान : जूते घिसने से नहीं बेचने से मिलता है ! - आज बात पदम् सम्मानों की ! लोग इस सम्मान के लिए सालों साल जूते घिसते रहते हैं, फिर भी निराश होना पड़ता है। वैसे अंदर की बात कुछ और है, उन्हें पता नहीं है ...भ्रष्ट कहा तो सुलग गई - चलिये, नंदी महोदय ने आरक्षण का एक और पहलू सामने रख दिया। उनके बयान के बाद भ्रष्टाचार की वर्गवार स्थिति पर वर्तमान में भले ही एक अलग प्रकार का...

हमन है इश्क़ मस्ताना - (नया ज्ञानोदय काग़ज़ल महाविशेषांक इस लोकप्रिय विधा के इतिहास की झलक दिखाने में कामयाब रहा है. यहां प्रस्तुत है इस विशेषांक में प्रकाशित कबीर की रचना) हमन...कविता उसके पार खडी है लुप्तप्राय सी - *"प्यार के माने* ***हमारे और ...तेरे और हैं* ***इसलिए प्यार मेरे यार मैं लिखता नहीं* ***स्नेह यदि स्वीकार हो सत्कार कर लेना* ***स्नेह के उस पार देह की दहलीज ...सुनो………। - सुनो तुम ज़लालत की ज़िन्दगी जीने और मरने के लिये ही पैदा होती हो सुनो तुम जागीर हो हमारी कैसे तुम्हारे भले का हम सोच सकते हैं सुनो तुम इंसान नहीं हो जान लो ...

कविता कॆ रस प्रॆमी बॊलॊ, श्रृँगार लिखूं या अंगार लिखूं !! - हर नौजवान कॆ हाथों मॆं, बस बॆकारी का हाला ! हर सीनॆं मॆं असंतोष की, धधक रही है ज्वाला !! नारी कॆ माथॆ की बिंदिया, ना जानॆं कब रॊ दॆ ! वॊ बूढी मैया अपना बॆटा...संविधान हाय हाय - साहब गणतंत्र दिवस की सुअवसर पर कई गणमान्य गणो के सुविचार जानने का सुअवर सोशल मीडिया ने जबरन प्रदान कर दिया। कोई केजरीवाल की फ़ुटवा चपकाये संसद सांसद संविध...अफ़सोस ! - *यूं इस तरह न आज * *मुहँ चिढाता हमको, * *'रिपु ' कोई हाफिज * *"साहब" सरीखा होता। * *टूटकर यूं न बिखरते, * *अपने वादों पे * *तनिक कायम रहना * *जो हमने भी... 

शब्द जाल - अंतःकरण से शब्द निकले चुने बुने और फैलाए दिए नए आयाम उन्हें और जाल बुनता गया थम न सका प्रवाह एक जखीरा बनता गया सम्यक दृष्टि से देखा नया रूप नजर आया...खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू - *खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू*** *श्यामनारायण मिश्र*** कोई दिन हो गया कलेऊ कोई दिन ब्यालू बूढ़ी चाची कहती बेटे सबके राम दयालू सोच-सोचकर हुआ अजीरन मन है... Dr Satyajit Sahu - रायपुरा हॉस्पिटल परिवार ने डॉ ताराचंद मेघजानी जी के विशेष आतिथ्य में ग्रामीण मरीजों के बीच गणतन्त्र दिवस मनाया JCI रायपुर राइस सिटी ने इस वर्ष गण...

मत बांधो मुझको परिभाषा के बंधन मेंमत बांधो मुझको परिभाषा के बंधन में, मुझको तो बस नारी बन कर जीने दो. बचपन कब बीता तितली सा, हर कदमों पर बैठा पहरा था. प्रतिपल यह याद दिलाया था, वह घर मेरा कब अपना था. सभी उमंगें मन की मन में दबी रहीं, कह न पायी मुझको मर्ज़ी से जीने दो. गृहलक्ष्मी का थोथा नाम दिया....तेरे आने से* * *तेरे आने से रोशन मेरा जहाँ हो गया* *तेरे प्यार से महकता आशियाँ हो गया .....* *तेरी आदाएं कोमल तितली सी है* *तेरे आने से मेरा जीवन गुलिस्ताँ हो गया....* * * *रंग इतने लाई है तू जीवन में मेरे* *की अब हर शमाँ रंगीन हो गया ....* *सादगी तेरे व्यवहार की ऐसी मनमोहक है* *की मै तो तुझमे ही खो गया .....नाबालिग - *जिसकी दरिंदगी देख के दुनिया का दिल दहल गया । पत्थर से पत्थर दिल तक एकबारगी पिघल गया । जिसके लम्बे हाथों ने पकड़ा था बड़ी मशक्कत के साथ उसे मुँह पर सरेआम... 

धरोहरों को नष्ट करते नादान - प्रारंभ से पढे रामगढ से लौटते हुए कॉलेज के दिनों से ही प्रकृति का सामिप्य एवं सानिध्य पाने, प्राचीन धरोहरों को देखने और उसकी निर्माण तकनीक को समझने की ...पहरा....  - बावली है... आजकल उसे चंदामामा, बिल्ली मौसी, चिड़िया रानी, परियों के सपने नहीं आते उनकी जगह सियार, भेड़िये,सांप धुंए के उड़ते हुए बवंडरों ने ले ली है ...क्या मैं जीवित रहूँगी - रात होने को है मैं सड़क पर अकेली खड़ी हूँ बहुत से कारवाले गुजर गए है बिना रुके मैंने भी कोशिश नहीं की किसी को रोकने की सारी भरी बसें चली गयी बिना मुझ...

कार्टून कुछ बोलता है - पड़ोसी मेहरबान तो ....


http://4.bp.blogspot.com/-2NxZOSVjBKg/UQcSDTyi1bI/AAAAAAAADmk/MmvZpojzrEk/s1600/29.1.2013.jpg 

अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार........


अपनी तो जय राम जी की.... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....भारत को उभरती हुई महाशक्ति भले बताया जाता हो, लेकिन भारतीय गांवों में पहुंचते ही ये दावे हवा हो जाते हैं। तमाम गावों में आज भी लोग मध्ययुगीन तौर-तरीकों से जीवन काटते हैं। देहरादून और उत्तरकाशी जनपद की सीमा पर बसी भंखवाड़ पंचायत भी इससे अलग नहीं है। यहां के लोगों को भी आजादी के 65 वर्ष एक अदद पुल नहीं दिला सके। नदी के दोनों किनारों से बंधी 50 मीटर लंबी लोहे के तार के सहारे दर्जनों लोग हर रोज मौत से होड़ लगाते हैं। इस तार से हाथ छूटने या तार के टूटने के साथ ही जीवन की डोर कभी भी टूट सकती है। इस खास खबर के बाद आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर कुछ चुनी हुई लिंक्स के साथ....

दलील उम्र की पेश की - *दलील उम्र की पेश की ** * थी घटना ह्रदय विदारक सहानुभूति थी देश की आई जब कानून की बात दलील 'उम्र' की पेश की वितरक प्रमाण पत्र के कई हैं बना है बड़ा....मासूमयित के मापदंडदिल्ली में हूए वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म के एक आरोपी को नाबालिग मान लिया गया है। जिसका सीधा सा अर्थ है कि हिंदुस्तान के कानून को इस कुकृत्य में सबसे ज्यादा बर्बरता दिखाने वाले अमानुष के चेहरे पर मासूमयित नजर आ रही है।...बापू !*(1)* बापू ! राजघाट पर आज लगे जमघट में मुझे तलाश है उन तीन बंदरों की जो हुआ करते थे कभी तुम्हारे हमराही पर आज जो छुपे बैठे हैं फर्जी प्रवचनों और मुखौटों के ढेर में कहीं।...

बहल जायेगा दिल बहलते-बहलते .बिना तेरे दिन हैं जुदाई के खलते, कटे रात तन्हा टहलते - टहलते, समय ने चली चाल ऐसी की प्राणी, बदलता गया है बदलते - बदलते, गिरे जो नज़र से फिसल के जरा भी, उमर जाए फिर तो निकलते-निकलते, किया शक हमेशा मेरी दिल्लगी पे,...कि मैं इक बादल आवारा - १९६१ की फिल्म “छाया” मूल गीत गाया था तलत महमूद  ने. सुनील दत्त और आशा पारेख अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे हृषिकेश मुखर्जी. गीत लिखा था राजेन्द्र कृष्ण ने....सब काला हो गया है.. - कुछ नहीं है, कुछ भी तो नहीं है... बस अँधेरा है, छितरा हुआ, यहाँ, वहाँ.. हर जगह... काले कपडे में लिपटी है ये ज़िन्दगी या फिर कोई काला पर्दा गिर गया है ... 

 अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता - इस देश की सरकार के चलते अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पूरी तरह छीनी जा चुकी है ! शिंदे अगर 100 करोड़ हिन्दुओं को आतंकवादी कह दें तो हिन्दुओं की आत्मा को ठेस ...रावण-कंसऔर दक्ष बनो,ताकि हरी को आना पड़े आपके पास "...!! रोना-धोना छोड़ो ..!! - * प्रिय मित्रो,सादर नमस्कार ! ** हमारे... मृत्यु के निकट - *आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ,* *दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ।* * एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान,* *जो खोते हैं व्यर्थ ही, वह मनु...भ्रष्टाचार की प्रोफाइल तो यही कहती है - *जगदीश्‍वर चतुर्वेदी*भ्रष्टाचारियों का सामाजिक प्रोफाइल होता है। याद करें 2जी स्पेक्ट्रम में शामिल तमिलनाडु के नेताओं को, मायावतीशासन में हुए भ्रष्टाचार ...  

बहाली के आदेश का स्वागत किया शिक्षा कर्मियों ने - रायपुर, 29 जनवरी 2013/ मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने प्रदेश के पंचायत संवर्ग के शिक्षकों (शिक्षा कर्मियों) के व्यापक हित में आज देर रात यहां एक बड़ा और महत्... ऐसे आजादी को अपनी तो जय राम जी की - श्रीगंगानगर- एक बेटी को बेटा कहने पर एतराज है। कहती है, बेटी को बेटी ही मानो ताकि बेटी का महत्व बेटी के ही रूप में हो बेटे के रूप में नहीं। वह इस बात को...........???.प्रश्नों की बौछारलगी है और मैं - इनके बीच खड़ी खोज रहीं हूँउनके जवाब ... ' जो होता हैक्यों होता है'? शायद ईश्वर की मर्ज़ी.. 'क्या ईश्वर इतने निष्ठुरहैं '? नहीं जो होता है, अच्छे के लिएहोता है... शायद यह भीउसी अच्छे होनेकी पहली कड़ी है... 

ये दूरियां - ये दूरियां मै बिस्तर के इस कोने में , तुम सोई उस कोने में कैसे हमको नींद आएगी , दूर दूर यूं... बेचैन हूँ ………जाने क्यों ? - कोई भी आकलन करने की खुद को कटहरे में खडा करने की या दूसरे पर दोषारोपण करने की किसी भी स्थिति से मुक्त करने की कोई जद्दोजहद नहीं कर सकती विश्राम की भी अवस्थ...मुझे दवा देगा- - *हमकदम !* *फ़सानों ने दी है इतनी सोहरत,* *कि चाहता हूँ कुछ बाँट दूँ तुमको......* * * *मुझे दवा देगा-* ***** *दर्द मेरा , मुझे दवा देगा* *... 

Colva beach to Cansaulim beach & Night stay कोलवा बीच से कानसोलिम तक ट्रेकिंग व रात्रि विश्राम - गोवा यात्रा-11 हमें बताया गया था कि गोवा के समुन्द्र तटों पर नहाते समय कई लोग अपनी जान ऐवे ही आलतू-फ़ालतू में पानी में डूब कर गवाँ बैठते है।  ... अंबानी जी, एक तरफ आपका पैसा है दूसरी तरफ देश है - मुकेश अंबानी के नाम अरविंद केजरीवाल का खुला पत्र दिनांक : 22.01.2013 *श्री मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड मेकर्स चैंबर्स – IV, नरीमन पॉइंट, मुम्बई .. धरोहरों को नष्ट करते नादान - प्रारंभ से पढे रामगढ से लौटते हुए कॉलेज के दिनों से ही प्रकृति का सामिप्य एवं सानिध्य पाने, प्राचीन धरोहरों को देखने और उसकी निर्माण तकनीक को समझने की ... 

 कार्टून :- इस फ़ि‍ल्‍म को बैन कर दो .. -

. 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

हाय ! सोशल मिडिया तूने बड़ा दुःख दीन्हा...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....जब दि‍ल चाहता है बस तुम्‍हारे लि‍ए सोचना काश कि उस वक्‍त रूबरू तुम होते मैं करती तुमसे मौसम की बातें सि‍यासत और दुनि‍यादारी की तमाम बातें बि‍ना रूके....घंटों लड़ती-झगड़ती जो न हुआ न होगा कभी उन बातों के लि‍ए भी मगर एक बार भी जि‍क्र न आता जुंबा पर मेरे पर शायद समझ जाते तुम.....कि‍ जानां प्‍यार है तुम्‍हीं से...  प्रस्तुत है आज की वार्ता पर इन लिंक्स के साथ.......
उसने कहा था ..... - *उसने कहा था ..... उसने कहा ......अभिव्यक्ति । उन्होंने कहा .....अभी वक्त नहीं । उसने कहा ........धर्मनिरपेक्षता । उन्होंने कहा .......धर्म पर देश टिका ।...यादें !!! सुहाने लम्हों की .... - *रोज़ कहता हूँ ,भूल जाऊं उन्हें पर रोज़ यह बात ,भूल जाता हूँ ||* ---अज्ञात *जब-जब बीते लम्हात मुझको याद आयेंगे सब कुछ भूल उन की यादों में खो जायेंगे * *...मौसम और वो ! - *उसका मिजाज मौसम-सा , * *हमको हर बार दगा देता है !* * * *मिलने को बुलाता है मुझको * *गलत हर बार पता देता है ।* * * *कहने को कुछ नहीं होता,* *जल्द एतबार जता ...

हाय ! सोशल मिडिया तूने बड़ा दुःख दीन्हा - बरसात के बाद उग आये कुकुरमुत्तों से हम आज के दौर के कवि कहलाते हैं एक लाइक और एक टिपण्णी पर फूले नहीं समाते हैं एक पत्रिका में छपने पर एक सम्मान पाने ...पुल क्या टूटे रिश्ते ही टूट गए......... - श्रीगंगानगर-मोहन! इससे पहले कि मोहन जवाब देता उसकी लड़की बोली, “आ जाओ चाचा जी ।“ “पापा हैं क्या” आने वाले ने पूछा। “क्यों पापा नहीं होंगे तो अंदर नहीं आएगा...कुछ बात तो है ..... - दो कच्चे धागों को जोड़ कर आपस में दिया जाता है जब वट तो हो जाते हैं मजबूत , हल्के से तनाव से नहीं जाते वे टूट , वैसे ही तुम और मैं साल दर साल वक़... 

सरगुजा का सतमहला - प्रारंभ से पढ़े लखनपुर फ़ोन लगाने पर पता चला कि अमित सिंह देव को अम्बिकापुर आना है। इसलिए हम अम्बिकापुर के रायपुर आने वाले चौक पर ही रुक गए। उनके साथ कलेक्... Trekking Caranzol to National Highway camp करनजोल से राष्ट्रीय राजमार्ग कैम्प तक ट्रेकिंग - गोवा यात्रा-17 करनजोल कैम्प में रात को कैम्प फ़ायर किया गया था, यहाँ कैम्प फ़ायर स्थल पर चारों और गोल घेरे में बैठने के लिये पत्थर रखे हुए थे।  ...मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान के क्षेत्रीय केन्द्र का शुभारंभ - रायपुर, 04 फरवरी 2013/ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में शत-प्रतिशत बालक-बालिकाओं को शिक्षित करने के हरसंभव प्रयास किए जा... 

भ्रम और सत्य के बीच स्थित तुम - भ्रम और सत्य के बीच स्थित तुम कभी भ्रम बन टिमटिमाते हो कभी सत्य बन अटल बन जाते हो मोहन! अठखेलियों के लिये इन पहेलियों को सुलझाने के लिये और अपनी दिव्यता ... श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४५वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: ग्यारहवाँ अध्याय (विश्वरूपदर्शन-योग-११.१८-२५) तुम अविनाशी ... ऋतुराज वसंत की गलियन में ......... - यह कविता लगभग पच्चीस-तीस साल पहले, अपनी बेटियों को जगाने के लिए लिखी थी, हर साल वसंत- ऋतु में ज़रूर मन में घूमने लगती है....... ऋतुराज वसंत की गलियन में को... 

अनचाहा कोई एक ख़याल...... - कितना सोचते हो तुम ? आखिर कितनी मोहब्बतें मुक्कमल मकाम पाती हैं आजकल ? क्यूँ उसका ख़याल अब तक संजो रखा है तुमने? कुछ तो कहो....यूँ घुटते न रहो....बदनसीबी, - *मुझे जिन्दगी ने रुलाया बहुत है, मेरे दोस्त ने आजमाया बहुत है! कोई आ के देखे मेरे घर की रौनक, मेरा घर गमो से सजाया बहुत है! हटा लो ये आँचल मुझे भूल जाओ..सड़क - सड़क को कम न समझो बड़ा महत्त्व रखती है सब का भार वहन करती है बड़ा संघर्ष करती है कोई आये कोई जाए वह कहीं नहीं जाती गिला शिकवा नहीं करती हर आने जाने... 

आहुति' - चौथा ख़त...........Valentine Special... मुझे आज भी वो तुम्हारी आँखे याद है जो सबसे छुपते छुपते मुझे देखती थी. मैंने किसी से सुना था ,शायद कंही पढ़ा भी था,...कोई ख्वाब नहीं है - कोई ख्वाब नहीं है। रात में सोने के बाद जब भी उठता हूं। तो याद नहीं आता कि मैंने कोई ख्वाब देखा है। बच्चों पर निगाह डालता हूं तो सोते हुए भी उनकी पलकों के ... मेरा ज़िंदगी - मेरी ज़िंदगी; दो पन्नों कि डायरी, एक ही पन्ने को मिटाता और कुछ नया लिखता हूँ, दुसरे पन्ने को मैं कभी नहीं भरता, दो पल की ज़िंदगी, एक ही पल को बार बार जिया ... 

माँ का साया ...धूप तब भी नहीं चुभी की साया था तेरी घनी छाँव का मेरे आसमान पर ओर धूप तेरे जाने के बाद भी नहीं चुभी की तेरी यादों की धुंध बादलों की घनी छाँव बन के डटी रही सूरज के आगे जानता हूं समय की बेलगाम रफ़्तार ने सांसों के प्रवाह से तुझे मुक्त कर दिया पर मेरे वजूद में शामिल तेरा अंश मेरे रहते आसान तो न होगा उसे मुक्त करना ...लम्हा भर रोशनीआँखों पर कस कर हालात की काली पट्टी बाँध जिन्दगी ने घुप अँधेरे में अनजानी अनचीन्ही राहों पर जब अनायास ही धकेल दिया था तब मन बहुत घबराया था ! व्याकुल विह्वल होकर सहारे के लिए मैंने कितनी बार पुकारा था, लेकिन मेरी हर पुकार अनुत्तरित ही रह जाती थी !.. .शारदे माँ श्वेत वसने वंदना स्वीकार कर .... - शरदे माँ श्वेत वसने वंदना स्वीकार कर .... हो रहे पद्भ्रांत सारे ...विश्व का उद्धार कर ..... इस बसंत में विश्व शांति के लिए की है प्रार्थना .... आज आप को भी... 

 कविता गढ़ डालूंगी ...यूँ ही कुछ भी छेड़िए मत नहीं तो मैं भी यूँ ही दुहराते-तिहराते हुए दो-चार-दस कविता गढ़ डालूंगी और अपने तहखाने में तहियाये खटास/भड़ास को भी आपके ही सिर मढ़ डालूंगीये शौक़ भी ... !!!.मायने बदल जाते हैं हर बार, हर शब्‍द के जिन्‍दगी में कई बार कहते सुना आराम हराम हो गया :) सच पहेलियाँ बूझने की उम्र नहीं रही पर फिर भी लोगों को जाने क्‍यूँ पहेलियाँ बुझाने में ज्‍यादा आनन्‍द आता है ....बना रहे साथ.......पापा * (पापा के आज 61 वें जन्मदिवस पर कुछ--)* एक साया हरपल चला है साथ मेरे एक हाथ हमेशा बढ़ा है आगे मेरे सुनाए जिंदगी ने यूं तो कितने ही तीखे ही नगमे एक सुर के साथ बीत गए.....

कार्टून :- रे महि‍ला सुरक्षा अध्‍यादेश आ गया 

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

स्‍वागत वसंत .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

$
0
0
आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , बॉलीवुड फिल्मों के चर्चित अभिनेता कादर खान की सेहत बिल्कुल ठीक है। उनका कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उनके निधन की अफवाह फैलाए जाने से वह और उनका परिवार बहुत परेशान हैं। 77 वर्षीय अभिनेता ने गप्पबाजी के सौदागरों से अपील की है कि वे अफवाह फैलाना बंद करें। हास्य अभिनेता कादर खान ने कहा कि अफवाह से मेरा परिवार बहुत परेशान और चिंतित है। इन सब ने मेरे परिवार को हिलाकर रख दिया है। जिस किसी ने भी ऐसी अफवाह फैलाई हो, कृपया यह सब बंद करें। उन्होंने कहा कि एक दिन तो सब को जाना है और मैं आप सबकी दुआएं लेकर जाऊंगा। अभी मैं पूरी तरह ठीक हूं। ईश्‍वर से उनके अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की कामना करती हूं , अब देखते हैं ब्‍लॉग जगत की कुछ महत्‍वपूर्ण पोस्‍ट ........

स्वागत बसन्त... - *१* *स्वागत तेरा* *आँगन आँगन में* *मेरे बसन्त ...* *२* *पीली सरसों * *और लाल पलाश* *केशरिया मैं...* *३* *प्रीत उमगे* *उर में साजन के * *मैं शरमाउँ...* *४* *ब...उत्सव के परिणाम अपने नज़रिए से दें- कृपया उत्सव के परिणाम अपने नज़रिए से दें .......... शुभकामनायें बहुत मिलीं सुझाव भी चाहिए अपनी पसंद को जाहिर कीजिये एक वोट टिप्पणी से अधिक कारगर होगी ...एक दिन पुस्तक मेले के नाम …………2013 - दिल गुलशन गुलशन हो गया जब दोस्तों का साथ मिल गया किताबों से नाता जुड गया यूँ मन का कँवल खिल गया कल पुस्तक मेले के सफ़र में सबसे पहले अन्दर कदम रखते ही आन...पुस्तकें और पाठक - संवाद स्थापित करना प्राणी की अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है. अगर हम यह कल्पना करें कि जब संवाद स्थापित करने के साधन नहीं थे तो जीवन कैसा रहा होगा ? स...

बीमारी - सुयश जॉगिंग करते हुए लगातार ऋचा के बारे में सोच रहा था. पिछले कुछ दिनों से वो बीमार सी दिख रही थी. हमेशा खिले-खिले चेहरे वाली तेज-तर्रार लड़की अचानक से निश...आठवा ख़त .......Valentine special.......... - कभी उगते सूरज को तुम्हारे साथ देखना चाहती हूँ...... तो कभी ढलती शाम को तुम संग गुजारना चाहती हूँ...... कभी रात का लम्बा सफ़र.......तुम्हारी गोद में सर रख कर...विदेशी शब्दों की बाढ़ - हमारे साहित्य के प्रत्येक युग में विदेशी शब्दों की एक बाढ़ सी हमारे यहाँ आई है। हमारा अपना युग भी इस का अपवाद नहीं है। और यह एक ऐसी चीज है जिस का जल्दी ...आज एक छोटा सा गीत- मिथ्याबोध ! -*कभी हमसे भी कोई बेरहमी न होती, * *ऐ अहबाब अगर तुम बहमी न होती। * * * *ये प्रेम कहानी अश्रु -पिपासा न होती,* *दिल में उलझी कोई दिलासा न होती, * *...


ग़ज़ल सम्राट स्व ॰ जगजीत सिंह साहब की जयंती पर विशेष - *जगमोहन सिंह (**जगजीत सिंह - *८ फ़रवरी १९४१ - १० अक्टूबर, २०११) का नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं। उनका संगीत अंत्यंत मधुर है, और उनकी आवाज़...फिल्‍म समीक्षा : एबीसीडी - [image: ABCD anybody can dance movie review]-अजय ब्रह्मात्मज एक डांसर क्या करता है? वह दर्शकों को अपनी अदाओं से इम्प्रेस करता है या अपनी भंगिमाओं से कुछ एक्...अनिरुद्ध उमट की नौ कविताएं - आज कई महीने बाद अपने उचाट सूनेपन में मेरे क़दम अब तक स्‍थगित रखे गए फेसबुक की ओर बढ़ गए और वहां वो मिला, जिसकी मुझे कुछ सुकून दिया। वहां अपने स्‍टेटस में ...मन - 1. स्वार्थी मन तोड़ देता सम्बन्ध जानबूझकर ........ 2. व्याकुल मन निस्तब्ध निशा आत्मविस्मृति के क्षण ...... 3. युगों की भटकन मन क... "बांछैं" शब्द का अर्थ पूछियेगा तो अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं . अर्थ तो हमको भी नहीं मालूम हमारे मित्र मनीष शर्मा भी नहीं जानते कि बाछैं शरीर के किस भाग में पाई जातीं हैं. पर इस बात से सहमत नज़र आते हैं कि बाछैं खिलती अवश्य हैं. यानी कि जब वो नहीं जानते तो किसी और के जानने का सवाल ही नहीं खड़ा होता .

कारोबार की तरह धर्म की भी होती है मार्केटिंग -श्रीगंगानगर-जमाना मार्केटिंग का है। किसी भी कारोबार की मार्केटिंग के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब तो रिश्तों की भी मार्केटिंग होने लगी है...वो फलां...निरुद्देश्य - सुरेन्द्रनाथ झा गुडगाँव में ३०० गज के एक प्लाट में बंगला बनाकर रह रहे हैं. वे देश के एक नामी कपड़ा उद्योग के स्पेशल डाइरेक्टर के पद से करीब दस साल पहले रि...-'Lower drinking age leads to binge drinking later - सेहतनामा (1) नियमित दोनों समय पर भोजन (दोपहर और रात का )और सुबह का नास्ता करें .जो लोग कभी दोपहर का भोजन नहीं करते कभी रात का वह अपने लिए सिरदर्द ...देश की पुकार है, बचाओ बेटियां -*हरेश कुमार* देश की पुकार है ये बचाओ बेटियां। गर्भ से लेकर, हर जगह, क्यों मारी जाती हैं बेटियां। हैं, बेटियां पुकारती। क्यों हो रहा ये अत्याचार। ...

Goa- Last trekking point at Tambdisurla ancient Temple, गोवा ट्रेकिंग समापन स्थल एक प्राचीन महादेव मन्दिर। - गोवा यात्रा-20 नदी किनारे वाले बारा भूमि मन्दिर से यह ताम्बडी सुरला नाम का शिव मन्दिर लगभग चार किमी दूरी पर है। एक घन्टे में हमने यह दूरी आसानी से तय कर ली ...निठल्लाई माने सदा सप्ताहांत -सप्ताहांत याने संडे का दूनिया को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। शनिवार से ही सप्ताहांत मनाने की तैयारी शुरु हो जाती हैं। पश्चिमी देश चाहे नाच-गा कर मस्ती...वीआईपी सुरक्षा और जनता ?- देश में जिस तरह से सामान्य प्रशासनिक कार्यों में मूर्छा की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है वह कहीं न कहीं से देश के लिए...जवाब रखे थे - - शायद अब सांप बनने लगे हैं फूल, वरना हमने जेब में गुलाब रखे थे - कमाल है पढ़े जाने लगे हैं धर्म-ग्रन्थ वरना जेलों में तो कसाब रखे थे - मशगुल थ...

अब दीजिए इजाजत .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ......

"चाँदनी ओढ़े बूढ़ा चाँद"...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....कहाँ हो तुम ...ये सड़कें, घर, फूल-पत्ते, अड़ोसी-पड़ोसी सभी तो उदास हैं तेरे चले जाने के बाद लगा की इस शहर में लौटने की वजह खत्म हो गई बीती उम्र की पक्की डोर ... झटके में टूट गई पर ऐसा हो न सका कुछ ही दिनों में शहर की हर बात याद आने लगी यादों का सैलाब हर वो मुकाम दिखाने लगा जहाँ की खुली हवा में तूने सांस लेना सिखाया ऊँगली पकड़ के चलना सिखाया लौटने को मजबूर हो गया उन रास्तों पर हालांकि जहाँ तुम नहीं हो उस शहर आना आसान नहीं पर न आऊं तो जी पाना भी तो मुमकिन नहीं क्या करूं ... अजीब सी प्यास सताती है अब हर वक़्त बंजारा मन कहीं टिक नहीं पाता ....लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

सुरों की सांस में घुली रहेगी मिठास - *संगीत के ज़रिए बहुत कुछ बदला जा सकता है- लकी अली * बतौर संगीतकार मेरे सफ़र की शुरुआत साल 1996 में मेरी पहली एलबम ‘सुनो’ से हुई। ...निहाल-ए-सब्ज़ झूमे हैं गुलिस्ताँ में ,शराबी से .... - *अगवानी * * * * ** *शहर के ऊपर नीले साफ़ आसमान का शामियाना , मन में बिना पंख उड़ने की चाह , फ़िज़ा में घुले रफ़ाक़त के किस्से और हवा में उड़ती  ...छीजती ज़िन्दगी और मेरा संग्राम - मौन हो जाती है मेरी कलम मौन हो जाती हैं मेरी संवेदनायें मौन हो जाती है मेरी सोच मौन हो जाती हैं मेरी भावनायें अब तुम तक आते - आते जानते हो क्यों तुमने कोई ...

अपने हिस्से का आकाश ... - रात बहुत गहरी है फलक पर सिमटे तारे हैं एक बूढा सा चाँद भी अपनी बची खुची चाँदनी, ओढ़े खडा है. आस्माँ ने मुझे दिया है न्योता, सितारों जड़ी ...  मगर यूं नहीं - -*- रिश्ते बहुत गहरे होने होते हैं उकता जाने के लिए पढ़ता हूँ हर बार बस उड़ती निगाह से … कि कहीं बासी न पड़ जाए प्यास की तासीर सारी उम्र साथ रहने की ...तुम यहीं कहीं हो पास मेरे - *यादों की स्याही से लिखा था* *जो खत तुमने* *हर शब्द चूमा है* *अधरों ने* *तुम्हें याद कर* *कि जैसे उभर आई हो* *तस्वीर तुम्हारी* * **इन शब्दों में* *तुम दूर...

 अफजल कि फांसी और राजनीति का गहरा संबंध है !! - अफजल गुरु को फांसी होनी हि थी और वो हो गयी लेकिन इसको लेकर जो राजनैतिक दांव आजमाए गये उसके बाद भी सरकार के मंत्री और कांग्रेस के नेता जो कह रहे है कि अफजल... अफजल ने जो बोया, वो उसे मिला - भारतीय संसद पर हमले के मुख्य मास्टरमाइंड अफजल गुरू को 12 साल बाद फांसी दी गई। एक ओर आठ साल पहले इस सजा पर अदालत की मुहर लगा दिए जाने के बाद भी इस काम के ... बड़ा सवाल : क्या मूर्ख हैं रेलमंत्री ? - *इ*सका जवाब सिर्फ यही है हां हमारे रेलमंत्री मूर्ख हैं, मैं कहूं कि बिल्कुल 24 कैरेट के मूर्ख हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा।  ... 

तोड़ डालो उम्र का कवच: दक्षिण भारत राष्ट्रमत में ‘अपनी नज़र से’ - 11 फरवरी 2013 को दक्षिण भारत राष्ट्रमत के नियमित स्तंभ ‘ब्लॉग बाइट’ में अपनी नज़र से उम्र The post तोड़ डालो उम्र का कवच: दक्षिण भारत राष्ट्रमत में ‘अपनी ...दुनिया में कोई मनुष्य भगवान कैसे हो सकता है-- एक सवाल ! - रविवार का दिन था। सुहानी धूप खिली थी। सोच ही रहे थे कि कई दिनों बाद खिली धूप का आनंद कैसे लिया जाये कि तभी साले साहब का फोन आया कि एक कार्यक्रम में जा ...मुफलिसी के इस दौर मे, मगज भी सटक गए। - शायद बहुत समय नहीं गुजरा जब अपने इस देश में कुछ हलकों में ये आवाजें उठी थी कि सिंध को अपने राष्ट्र-गान से अलग किया जाए। मेरा यह मानना है कि कुछ स्थान, वस...

तेरी ऐसी की तैसी ताऊ की….. नागपत्नि - ब्लागिंग के ठंडेपन से निराश हताश ताऊ तपस्या करने जंगल की और चला जा रहा था. रास्ते में ठंड और बर्फ़ीली हवाओं की वजह से परेशान था. पर ब्लागर की यात्रा जा..डायल किया गया नंबर जवाब नहीं दे रहा .. - आपा-धापी के संसार में अपने अस्तित्व को तलाशती माही बहुत निराश थी! बेहद कर्मशील और उद्द्यमी होने के बावजूद अपना कोई स्थान नहीं बना पा रही थी वो। चौका-बर्त... .एक कुंभीपाक भी है इस महाकुंभ में - अपन तो संत रैदास के चेले हैं-जब मनचंगा तो कठौती में गंगा। सो कुंभ स्नान करने नहीं गए। करोड़ों-करोड़ लोग लोग जो मोक्ष की लालसा लिए हुए गए उनमें से पैंतीस-... 

रंग बासंती …… - महुआ महके टेसू दहके, बौराए आमों के बौर, पीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर. सुमनों के अधरों पर फ़ाग, भ्रमरों के भी डेरे हैं, कलियों के मनभाए हैं.. मेरा अधिकार..... - *हे सृष्टिकर्ता !* *तुम दाता हो* *जो तुमने है दिया मुझको * *वो मेरा है* *कोई कैसे छीन सकता है मुझसे* *जो मेरा है..........* *कर दे वो मुझको बेघर ,बेशक * *...पुस्तकें और पाठक - संवाद स्थापित करना प्राणी की अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है. अगर हम यह कल्पना करें कि जब संवाद स्थापित करने के साधन नहीं थे तो जीवन कैसा रहा होगा ? 


 

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

आओ घर में दुबक कर वेलेन्टाइन डे मनाएँ...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....जब भी मुझे लगता है तुम्हे कि तुम्हे पानाहै ......तभी मेरे हाथो कि लकीरों से तुम खो से जाते हो .......चाहे कुछ मुझे यकीन है...........गर तुम मेरे तो हाथों को थाम लो..........तो हाथों की लकीरों का क्या करना.......... मैं नही जानती कि कल क्या होगा..........पर मैं जरुर जानती हूँ कि मेरे आज सिर्फ तुम्हारे साथ है.......कहते कुछ तो जरुर होना होता है....... नही तो यूँ ही किसी से मुलाकात नही होती................मुझे भी यकीन है आज नही तो कल तुम भी मुझ पर यकीन कर लोगे..............और मेरे साथ होगे......क्यों कि कोई रिश्ता हालत या वक़्त का मोहताज नही होता........................!!!पढ़िए ..बारवां ख़त ....आइए अब  चलते हैं आज की वार्ता की ओर ...

आओ घर में दुबक कर वेलेन्टाइन डे मनाएँ - *//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//* माई डियर वेलेन्टाइन, फिर वो मनहूस दिन आ गया है जिस दिन लाख एहतियात बरतने, लुकने-छुपने के बावजूद पिछले आठ बरस से बिलानागा हम ...वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित अवसर - बन्धु! यह क्या? वेलण्टाइन डे में चौबीस घण्टे भी नहीं बचे हैं और तुम बिस्तर में ही हो? ऐसा कैसे चलेगा? ऐसे तो भारतीय संस्कृति की रक्षा का ठेका हमारे हाथ ...उनने देखा कि हम सलोनी भाभी को गुलाब दे रहें हैं. बस दहकने लगीं गुलाब सी ....

बुखार के अँधेरे दर्रे में मोमबत्ती जलाये मिलती है बचपन की दोस्त - उपकार -कुमार अम्बुज मुसकराकर मिलता है एक अजनबी हवा चलती है उमस की छाती चीरती हुई एक रुपये में जूते चमका जाता है एक छोटा सा बच्चा रिक्शेवाला चढ़ाई पर भी..खुबसूरती ... - ज्यों ही हमने, उनसे....बिछड़ने का ढोंग रचा उनके दिल में छिपी चाहत, नजर आने लगे ? ... बच्चा-बच्चा वाकिफ है, उनके दलाली के हुनर से अब 'खुदा' ही जाने,...तोहमत न दे, दीपक जला ! - कर दुआ यही खुदा से,हो सबका भला, तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला। *तिमिर=darkness * घटता समक्ष जो, उससे न अंविज्ञ बन, *तोहमत=cursing * मूकता तज..

ओढ़ते तरुवर नूतन गात - ओढ़ते तरुवर नूतन गात उड़ा मकरंद, बहा आनंद गाया प्रकृति ने नव छंद पड़ी ढोलक पर प्यारी थाप हर कहीं रंगों वाली छाप मधुर सी बहने लगी बयार मद...  - दिल अब मेरा कैसे घबराने लगा है साया मेरा मुझसे दूर जाने लगा है सुनाई दे रही हैं हर तरफ़ सिसकियाँ हर श्रृंगार से अब ख़ौफ़ आने लगा है लगी काँपने दामिनी की .. संबंधों का दर्द - जब जाने पहचाने अपने ही संबंधों का दर्द सालता है तो मन अनजाने, अनचाहे रिश्ते पालता है फिर स्वतंत्र हो जाने की अभिलाषा लिए नया उपार्जित करने का पागलपन ...इतना न पुकार ... - इतना न पुकार , मुझे ओ! पुकारती हुई पुकार ... मुझ अनाधार को देकर इक अनहोता-सा अनुराग-भार अनबोले हिया में क्यों ? मचाया है हाही हाहाकार अनमना ये मन है विचित्....

रंगीलो राजस्थान : सफ़र माउंट आबू से जोधपुर का.. - राजस्थान के अपने यात्रा वृत्तांत में आपको मैं उदयपुर, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, राणकपुर और माउंट आबू की सैर करा चुका हूँ। पर माउंट आबू के बारे में लिखने के ..Sukhi Top-Gangnani-Bhatwari to Lata Ganga Bridge सुक्खी टॉप से गंगनानी, भटवारी होते हुए लाटा गंगा पुल तक - गोमुख से केदारनाथ पद यात्रा-3 रात को अंधेरा होते-होते हम लोग झाला गाँव पहुँचे थे। यह गाँव गंगौत्री जाते समय हर्षिल से कई किमी पहले पड़ता है। यहाँ पर एक पुल... काम कैसे होगा? - आगे बढ़ता और सब सही होने का संकेत देता ज्ञानदत्तजी ने एक फेसबुक लिंक लगाया, एनीडू नामक एप्स का, साथ में आशान्वित उद्गार भी थे कि अब संभवतः कार्य हो जाया ....

:) :) :).......... 

.

 दीजिये इजाज़त नमस्कार........

न इर्द-गिर्द तांकिये, अपने गिरेवाँ में झाँकिये !...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार.......झांकी फ़ेसबुकिस्तान की  ये एक ऐसा आभासी मेला है जिसमें सतत् रेले चलते हैं। जहाँ मेले के सारे रंग दिख जाएगें। जहाँ इंटरनेट कनेक्ट हो जाए, इसे वहीं लगा हुआ पाएगें। इस मेले का नहीं कोई ठौर ठिकाना, कोई अपना है पराया है और बेगाना। यह मेला सोशल मीडिया मेला या आभासी मेला कहलाता है। 24X7 कल्लाक चलता है रुकता नहीं कभी, सबका मन बहलाता है।। कब दिन होता और कब रात होती, पता ही नहीं चलता। इसे मैं फ़ेसबुकवा मेला कहता हूँ, जो रात 2 बजे भी जमता। यहाँ मेलार्थी खा पीकर विचरण करते मिल जाएगें। कुछ तो ऐसे फ़ेसबुकिए हैं कि जिनकी बत्ती सदा हरी रहती है। बासंती सम्मिलन मुद्रा में सदा हरियाए रहते हैं। जहाँ देखी कबूतरी लाईन लगाए रहते हैं। चल छैंया छैंया छैया ये हिन्दी फ़ेसबुक है भगिनी-भैया…इस मेले की सैर के बाद आइये चलते हैं एक और मेले में हमारा अपना ब्लॉग जगत ये भी किसी मेले से कम नहीं . लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता ... 

कभी अपने आप नूं पढ्या ही नहीं... - दिमाग के कमरे में किताबों का एक ढेर है। बायोडाटा में न जाने कितनी डिग्रियां दर्ज हैं। जिंदगी कहां दर्ज है याद नहीं। कभी-कभी किन्हीं लम्हों में जिंदगी हमे...ख्वाब - *सुनो !* *आज दावत दी है मैंने* *ख़्वाबों को * *तुम्हारी आखों में * *आने के लिए * *आज मत करना इन्तजार * *मेरे आने का * *बस पलकें मूँदना * *और ...कोहिनूर ... - उन्नें,....बम फोड़े, धमाके किये, जानें ले लीं ............................. अब अपनी बारी है ? ... सुनते हैं, आसमाँ में, कहीं ...घर है 'खुदा' का कि......

लड़की... - सुना था मैंने वो जो बहती है न! नदी होती है लेकिन जाना मैंने वो जो बहती है न! जिंदगी होती है... सुना था मैंने वो जो कठोर होता है पत्थर होता है लेकिन जाना.....मेरा प्रेम स्वार्थी है … - मैने तो सीखा ही नही मैने तो जाना ही नहीं क्या होता है प्रेम मैने तो पहचाना ही नहीं क्योंकि मेरा प्रेम तुम्हारा होना माँगता है तुमसे मिलन माँगता है ...बेईमानों को गले लगाओं ईमानदारों को दूर भगाओं - शशिमोहन के बाद सौमित्र प्रताडि़त घपलेबाजों के दबाव में हुुआ चौबे का तबादला छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सुराज की कलई खुलने लगी है । चौतरफा भ्रष्टाचार ...  

मैं आप की पोस्ट नही पढ़ पाया ??? - *मैंने अपनी आँख का आप्रेशन करवाया था * *डाक्टर साहब ने दस दिन का रेस्ट बताया था * *मेरी आँखों पे काला चश्मा लगवाया था* *मुझे लैपटॉप से दूर रहने को जताया था... इन्टरनेट के मैनर्स तो सीख लो जी - सुनिए ना........ कहना हम सब चाहते हैं पर क्या इसमें मामला मुश्किल तब पड़ जाता है कि क्या बोला जाए और कैसे . अब जरा ध्यान दिया जाए कि इस दुनिया में हर कोई ....अनिश्चितता का सिद्धान्त - कोई आपसे पूछे कि आप किसी विशेष समय कहाँ पर थे, स्मृति पर जोर अवश्य डालना पड़ेगा पर आप बता अवश्य देंगे। आप यदि स्वयं याद नहीं रखना चाहते तो मोबाइल का जीपी... 

न इर्द-गिर्द तांकिये, अपने गिरेवाँ में झाँकिये ! - * ** ** ** ** ** ** ** ** ** **पुष्प-हार क्या मिलेगा, पदत्राण खाओगे, * *जैसा बोओगे, फसल वैसी ही तो पाओगे। * * **जानता हूँ कि कहना,लिखना व्यर्थ है सब, * *...  व्यंग्य नरक में डिस्काऊंट ऑफ़र का कविता रुप - *सुप्रभात मित्रों... सुबह-सुबह माथा खराब हो उससे पहले चलिये कुछ हॉस्य हो जाये... :)* * **सेल की दुकान देखते देखते* *एक आदमी * *नरक के दरवाजे आ गया* *यमराज ....यकीन..... - प्रेम, प्यार, प्रीति, मुहब्बत, प्रणय, चाह, ...... किसी भी नाम से पुकारूँ तुम्हें, या..फिर खामोश रहूँ... बरसों- बरस. मुझे यकीन है.. ज़िन्दगी.. !!... 

भीगा मन - * * *चंद लफ्ज काफी है जज्बात बयां करने को * *ग़र कोई जज्बाती मिल जाए तो....* * * * * *मुस्कुराऊँ तो किस नज़ारे को देखकर * *आँखों में तुमने आंसू भर दिए है....  my dreams 'n' expressions - *आज मेरा ये ब्लॉग एक साल का हो गया.....* *घुटनों घुटनों सरकते आज अपने पैरों पर चल रहा है...डगमगाते क़दमों से ही सही:-) * ब्लॉग की पहली पोस्ट की पहली पंक्तिया...यक़ीन के रास्‍ते में !!!! दबी जुबान का सच सुनकर तुम्‍हें यक़ीन होता है क्‍या ??? फिर आखिर उस सच के मायने बदल ही गये न ! शक़ का घेरा कसा पर यह कसाव किस पर हुआ कैसे ह‍ुआ हर बात बेमानी हुई सच आज भी अपनी जगह अटल है पर दबी जुबान का सच शक़ के घेरे में ही रहता है यक़ीन के रास्‍ते में ...

धमाकेविहीन जिंदगी का सूनापन मिटा - वाह! बहुत दिनों बाद कुछ खालीपन दूर हुआ; कुछ अच्छा-अच्छा सा महसूस हुआ। बहुत दिन हो गये थे और कोई धमाकेदार खबर सामने नहीं आई थी, ऐसा लगने लगा था ...गृह मंत्री ने दी गाली - सुशिल कुमार शिंदे जी ने हिन्दु-आतंकवाद कहकर गाली दी पहले फिर परिस्थितियां विरोधी देखकर एक औपचारिक 'माफ़ी' भी मांग ली १ क्या समझा जाए? शिंदे खुद को बेवक़ूफ़..हमारे पास पहले से सूचना थी और इंतजार कर रहे थे - हमारे पास पहले से सूचना थी.... हम इंतजार कर रहे थे कि कब बम ब्लास्ट हों.... और कब हम निंदा करें.... सरकार में हैं तो आखिर कुछ न कुछ करना तो पड़ता ही है।...  

सच ठिठकी निगाहों का - सफर के दौरान खिड़की से सिर टिकाये ठिठकी सी निगाहें लगता है कि देख रही हैं फुटपाथ और झाड़ियाँ पर निगाहें होती हैं स्थिर चलता रहता है ...यह दिन भला-भला लगता है - यह कविता मैंने अपनी उस सखी के लिए लिखी है, जो उम्र के चौथे दशक के आखिरी पड़ाव में कार चलाना सीख रही है, आज उसके विवाह की छब्बीसवीं सालगिरह है....रक्षक सरहद का - माँ ने सिखाया गुर स्वावलंबी होने का पिता ने बलवान बनाया 'निडर बनो ' यह पाठ सिखाया बड़े लाड़ से पाला पोसा व्यक्तित्व विशिष्ट निखर कर आया बचपन से ही सुनी....


 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

वह बजट कभी तो आएगा...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार.... 
मेहंदीप्रतिक है प्रेम का
प्रेम की सौगात है .....
चढ़ गया मेरी हथेलियों पर भी
पिया तेरा प्यार है .....
मेहंदी का रंग , रंग नहीं
तेरे प्यार का अहसास है .....
ये रंग उतरे न जीवन से मेरे
पिया तुझसे अब यही आस है ....
चढ़ गया मेरे ह्रदय पर भी
मेहंदी से हथेलियों पर जो लिखा तेरा नाम है ....
खुशबू मेहंदी की अब महके हरदम
इसकी महक से महकता अब मेरा घर संसार है ....
मेहंदी प्रतिक है प्रेम का
प्रेम की सौगात है .....
चढ़ गया मेरी हथेलियों पर भी
पिया तेरा प्यार है ......* * ..
.
जीवन भर चढ़ा रहे ये मेंहदी का रंग... शुभकामनाएँ... ..लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता ...

 चुनावी पापुलिज्म की आम बजट से विदाई - * * एक जमाना था केन्द्रीय बजट के आने के पहले आमलोगों में उत्सुकता होती थी ,आम आदमी मन लगाकर रेडियो –टीवी पर सुनता-देखता था कि केन्द्र सरकार का ... वह बजट कभी तो आएगा - *वह बजट कभी तो आएगा* *वह बजट कभी तो आएगा जब रक्षा पर कम और शिक्षा पर ज्यादा खर्च किया जाएगा । पूंजीपतियों को मिलेगा ..विद्वान् जन से एक सवाल ? - काफी दिनों से एक सवाल मन में चक्कर लगा रहा था? सोच आज आपके आपसे पुछ ही लिया जाये ? भारत देश एक धार्मिक सहिष्णुता वाला देश है इसमें हर धर्म के लोग रहते ...

छोड़िये यह इधर उधर का गिला हुजूर - खाने की बात है वही जायका हो जाये पान की तमीज थूकना शहर का हो जाये। जुकाम है संगीन उनकी नाक आबदार है पोंछ कर मिलाना हाथ कहर सा हो जाये। आती है नफासत मूली...  कितना भटक गया इंसान :-( - धर्म के प्रवक्ताओं को वैज्ञानिकों से बहुत कुछ सीखना चाहिए जो कंधे से कंधा मिलाकर दुनियां और मानवता की बढ़ोत्तरी में दिन रात सहयोग की भावना से जुटे रहते हैं...फुर्सत से ... - हमें राख समझ के वो घड़ी-घड़ी छेड़ रहे थे 'उदय' जला जो हाँथ तो गलतफहमियाँ दूर हुईं उनकी ? ... बहुत तडफेंगे वो, अब इस मुलाक़ात के बाद क्यों ? ...

रंगीलो राजस्थान : मेहरानगढ़ के महलों की दुनिया (The Palaces of Mehrangarh) - मेहरानगढ़ के किले (Mehrangarh Fort) और उसके दौलतखाने (Daulatkhana) को देखने के बाद आइए आपको लिए चलते हैं उसके महलों की सैर पर। तो शुरुआत करते हैं मेहरानगढ़.....Omkareshwar Jyotirlinga Temple ओम्कारेश्वर/ओंकारेश्वर/ओमकारेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक मन्दिर - भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग बताये जाते है। आज मैं आपको उन्हीं में से एक ओम्कारेश्वर मन्दिर के दर्शन कराने जा रहा हूँ। यह यात्रा मैंने सन 2007 के दिसम्बर .....कलकत्ते का राजभवन - *इसको देखने के लिए आम जनता को अनुमति नहीं होने के कारण देश की यह भव्य इमारत उतनी मशहूर नहीं हो सकी है जितनी प्रसिद्धि दिल्ली के राज भवन को प्राप्त है।... 

एहसास - * ** **तेरे एहसास को मैं भर लूँ बाहों में सनम * *फिज़ा में फैली है आज खुशबू तेरे प्यार की ..!! * *  ..देख धुआँ धुआँ अक्स मेरा - देख धुआँ धुआँ अक्स मेरा आज आईने ने दिखा दिया जो मुझमे से निकल गया वो सब सच दिखा दिया अब बचा है क्या मुझमे गर तू पता लगा सके तो मुझे भी आ बता जाना ना पंख...इक प्रेत बैठा है ... - इक प्रेत बैठा है इस सजायाफ्ता सीने में जैसे कोई नायाब अंगूठी फंसी हो किसी नामुनासिब नगीने में ... बड़ी बेतकल्लुफी से वह मुझे ही कहता है कि बड़ा मजा है फ़स्ल... 

सबको सुपर किड्स की चाह - उसकी उम्र कोई आठ साल सुबह सवेरे उठ स्कूल जाता है। स्कूल से लौट कर आने तक उसके म्यूजिक टीचर घर आ जाते हैं। उसके बाद उसे ट्यूशन क्लास जाना होता है। तब तक स्व..पिता, - मेरे पिता स्व०श्री - भानु प्रताप सिंह जी भदौरिया, *पिता * * **सरसी छंद * *(१६,११, कुल २७मात्राए,पदांत में दीर्घ लघु )** * * *चलते-चलते कभी न थकते...बनाता ही क्यूँ है . - *बनाता ही क्यूँ है .* *** वो अंधेरों के चिराग बुझाता ही क्यों है ख़ुदा , खुद किस्मत बनता ही क्यों है -. करते हैं पाबोसी ,सिजदा ..

 कठोरता छोड़ो और विनम्रता सीखो। - एक साधु बहुत बूढ़े हो गए थे। उनके जीवन का आखिरी क्षण आ पहुँचा। आखिरी क्षणों में उन्होंने अपने शिष्यों और चेलों को अपने पास बुलाया। जब सब शिष्य उनके पास आ ... .मकसद - गुनगुनाने का कुछ मकसद तो हो अपनेपन का कहीं ख्याल तो हो सरल होता तभी जीवन का सफर जब सोच का कोई कारण तो हो | प्रीत की है रीत यही सुहावनी ऋतु हो ...अहसास - अहसास मेरे बालों में रह रह के, महकता बादल. मेरे होंठों पे,बसने को, मचलता बादल. मेरे बाजुओं में आकर के, पिघलता बादल. मेरी पाजेब से मिलकर के, फिसलता बादल....   

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

सिंवई को भूलकर नूडल्स को दिल दे बैठे...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....सुप्रभात... सूरज की सिन्दूरी आभा और पलाश के खूबसूरत फूलों के साथ प्रस्तुत है, आज की वार्ता...  *जब पड़ा था * *पहला कदम तुम्हारा * *मेरे आँगन में ,* *तब -* *वो फूल ही तो थे * *पलाश के ,* *जो बिखरे थे * *मेरे आँचल में ......!!!!!* *पलाश के फूल .....* * *


प्रतीक्षा आपकी…..चैत्र माह की बसंत ॠतु जीवन में एक विशेष समय है, जिसका अनुभव लेना है तो संवेदना से परिपूर्ण होना होगा। पूर्णमासी में नभ के क्षितिज पर रात के प्रथम प्रहर में सम्‍पूर्ण चन्‍द्रमा निकल आया है।..तेरा भी शुकराना....तमाम रि‍श्‍ते-नाते बेशकीमती हैं तुम्‍हारे लि‍ए सि‍वा एक मेरे * * * फरेब से बारि‍श के मुरझाते हैं नन्‍हें तरू पर आ ही जाता है उन्‍हें भी धरती के सीने से जीवन शक्‍ति लेना * * * * कि एक ठोकर देती है आगे संभलकर चलने का हौसला * * * नए सब़क और पहली ठोकर के लि‍ए जिंदगी के साथ तेरा भी शुकराना..तेरी आदत ...तेरी चीज़ें सब आपस में बाँट रहे थे किसी ने साड़ी उठाई किसी ने सूट किसी ने बुँदे, किसी ने चूड़ी किसी ने रूमाल, किसी ने चेन तेरी छोटी छोटी चीज़ों का भण्डार मानो खत्म ही नहीं होना चाहता था तुमसे बेहतर कौन जानता है ये चीज़ों की चाह से ज़्यादा तुझे अपने पास रखने की होड़ थी माँ तू चुपचाप दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी फिर धीरे से पास आकार कान में बोली तू कुछ नहीं लेगा ...

....बोझअपने दर्द, अपनी तकलीफें छिपाने की तुम्हारी हर कोशिश नाकाम हो जाती है - जब सोते हुए - तुम्हारे धूप से झुलसे माथे की सिलवटों के बीच छिपी श्वेत गहरायी लकीरें पढ़ती हूँ ...जाने कैसे अपाहिज़ हो गया ?????उसे पोलियो हो गया ! हर बार दिये मैने उसे विश्‍वास की उंगलियों से दो बूँद जिंदगी की तरह संस्‍कार समय-समय पर फिर भी जाने कैसे ?? अपाहिज़ हो गया उसका मस्तिष्‍क !!!!!!! ...अहसास - अहसासों की दुनिया लगती सब से भिन्न जीवन का है हिस्सा अभिन्न मन में भरती कई रंग जब भी मनोभाव टकराते जोर का शोर होता अधिकाधिक कम्पन होता अस्तित्व समूचा हिलता..

मुझे चाहिए अपनी मौत ...उस पर हक़ है मेरा - *"*मेरी हथेली पर पता नहीं किसने कुछ रेखाएं खींच दी थीं मेरे जन्म से शुरू हो कर मेरी उम्र बताती जीवन रेखा जिन्दगी के तमाम पर्वतों को लांघ कर मृत्यु तक जाती ... सुनवाई चल रही है ... - अर्थ है तब तो अनर्थ है जिसपर व्याख्याओं की परतें हैं और उन परतों की कितनी ही व्याख्याएं हैं ... कहीं शून्य डिग्री पर उबलता-खौलता पानी है तो कहीं बर्फ की जिद..रुखसत होती जिंदगी - ** * ** ** ** ** ** ** ** ** ** ** **रुखसत होती जिंदगी* *रात की मानिन्द* *और गहराती जा रही ....* *मौत के साये * *छू लेने को आमद * *बिल्कुल वैसे * *ज्यूँ एक... 

 अलग अलग कीबोर्ड - मेरी प्रतीक्षा को निराशा मिली। यद्यपि मैं लगभग डेढ़ वर्ष पहले से ही आईफ़ोन में हिन्दी कीबोर्ड का उपयोग कर रहा हूँ पर विण्डो व एण्ड्रायड फ़ोनों में हिन्दी ...बुजुर्गों, महिलाओं के लिए एक बढ़िया मोबाईल हैंडसेट - तेजी से बदलते सामाजिक ढाँचे और एकल परिवार के प्रचलन के बीच किसी भी समस्या के निदान के लिए अब तकनीक का मुंह ताका जाना सामान्य बात हो चली है... लालसा ... - सच ! गर तेरी खामोशियों को पढ़ना, हमने सीखा नहीं होता तो शायद, तेरी चाहतों से अब तलक,..हम अंजान ही रहते ? ... आज, जिसे देखो वही जल्दी में है तनिक जल... 

विचारों की मनमानी.... - सुना है, लिखने वाले रोज नियम से २- ४ घंटे बैठते हैं। लिखना शुरू करते हैं तो लिखते ही चले जाते हैं। मैं आजतक नहीं समझ पाई कि उनके विचारों पर उनका इतना ...रंग, - * *रंग धीरे-धीरे शांत रहकर अपना प्रभाव छोड़ते है, वे नही, चीखते / चिल्लाते ज़रा भी रंगों को बिखरा हुआ देखकर हमे, लगता जरूर है ऐसा! कि इनके बीच मचा हुआ है ..सिंवई को भूलकर नूडल्स को दिल दे बैठे हम - गाँव की चिंता सबको है आखिर भारत गाँवों का देश है पर क्या सचमुच गाँव तो जिन्दा हैं पर गाँव की संस्कृति मर रही है गाँव शहर जा रहा है और शहर का बाजार गाँव... 

मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मैं - मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मैं कौन सुनेगा और समझेगा क्यों उदास हूँ मैं ना जाने कौन सी बर्फ़ जमी है जो ना पिघली है ना रिसी है कोई धधकता अलाव जला लो ..तुम आज भी जीवित हो वैसी ही ....हृदय में मेरे ....!! - निष्प्राण .....निस्तेज .... यूँ ज़मीन पर क्यों पड़ी हो ....??? तुम पत्थर सी क्यों हुईं ....? बोलो न माँ ... पत्थर बनी ...ईश्वर स्वरूप ...... अब तुम ही ...दिमाग है आपके पास? तो सोचो! सोचो... - अभी तो कुछ लिखा ही नहीं है इस लड़के ने ...कहता है फिर कभी लिखेगा ... जाने कब लिखेगा और क्या लिखेगा भगवान ही जाने ! ... :-) मैं तो सोच रही हूँ ये जब लिखेगा -...

गुलगुल खरगोश और नशे के सौदागर - गुलगुल खरगोश, चुटपुटवन का जाना-माना व्यापारी था। वन की रौनक फुटफुटबाजार में उसकी मेवों की बड़ी सी दुकान थी। उसकी दुकान के मेवे अपनी गुणवत्ता और ताजगी के...  श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४६वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: ग्यारहवाँ अध्याय (विश्वरूपदर्शन-योग-११.२६-३४) सब धृतराष्ट्र पुत्र व राजा भी...कुण्डलियाभारत की सरकार में , शकुनी जैसे लोग, आम आदमी के लिए , नित्य परोसें रोग नित्य परोसें रोग , नहीं मिलता छुटकारा, ढूँढे कौन उपायअंत्योदय अधारित विकास: शिवराज सिंह चौहान आलेख महेश, नई दिल्लीभाजपा की राष्ट्रीय परिषद के दूसरे दिन अंत्योदय और सुशासन के नाम रहा। अंत्योदय आधारित योजनाओं का उदाहरण दिया गया जो पूरे देश में लागू किया जाना चाहिये। ...

कार्टून :- धंधा ये भी ठीक है -

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

"सिरपुर : सैलानी की नजर से" का विमोचन... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार....कल यानि ७ मार्च २०१३ को नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित तिब्बती धर्मगुरू और तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख श्री दलाई लामा ने प्रख्यात ब्लॉगर ललित शर्मा जी की पुस्तक "सिरपुर : सैलानी की नजर से" का विमोचन सिरपुर में किया. बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं...इस रोचक यात्रा वृत्तान्त और जानकारियों से भरी पुस्तक द्वारा सिरपुर को जानना और समझना  बहुत आसान होगा ।


.....दीजिये इजाज़त नमस्कार.......


ॐ नम : शिवाय.... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार......फागुन की ऋतु घर आई .....!! - प्रकृति गाये मधुवंती .... और बहार राग ... हरसूँ ऐसा छिटका .... फाग के अनुराग का पराग ... हृदय छंद हुए स्वछंद .... मंद मंद महुआ की गंध ...... तोड़ती मन तटबंध ...आप सभी को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनायें... लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता ...

 

शंकर की तीसरी आँख और शिवलिंग ....नेत्र, नयन या आँखें, हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। इसका सीधा संपर्क न सिर्फ शरीर से अपितु, मन एवं आत्मा से भी है।.....महाशिवरात्रि*ॐ नम: सिवाय* इस समय रा‍त के साढ़े ग्‍यारह बजे हैं। बाहर मन्‍द हवा चल रही है। हरे वृक्षों का धीमे-धीमे हिलना अद्भुत दृश्‍य प्रतीत हो रहा है।...महाशिव रात्रिॐ नम : शिवाय महाशिव रात्रि में शिवजी की पूजा न केवल भारत में वरन पूरा विश्व में होती है , जहाँ हिन्दू है। शिव जी के बारे में भिन्न भिन्न बिचार पढने को मिलता है। कोई कहते है देवादि देव महादेव है। यही हैं सब देवतावों में श्रेष्ट ।..

गोवर्धन यादव का आलेख - आ गयी महाशिवरात्रि-पधारो शंकरजी - महाशिवरात्रि का अर्थ वह रात्रि है जिसका शिवतत्व के साथ घनिष्ट सम्बन्ध है. भगवान शिव कि अतिप्रिय रात्रि को “शिवरात्रि” कहा गया है. शिवार्चन और जागरण ... महाशिवरात्रि - महाशिवरात्रि उस पावन पर्व का नाम है जब भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती से पाणिग्रहण संस्कार करा था ! हिंदू मान्यता बताती है कि त्रिमूर्ति में ब्रह्मा श्रृष..महाशिवरात्रि के अवसर पर शुभकामनाओं सहित - शम्भो शंकर हे महादेव शूलपाणि, हे गंगाधर, हे महादेव, औघड़ दाता हे त्रिपुरारी, शंकर शम्भो, हे जगनायक, जग के त्राता ! हे शिव, भोले, मृत्युंजय हे, तु... 

 तुम वही होना जो हो! - कार्येषु मन्त्री करणेषु दास: भोज्येषु भट्टं शयनेषु काम:। धर्मानुकूल रक्षक: देवं च पति: षाड्गुण्यवतीह दुर्लभ:॥ (मानकाचार्य और शुद्धतावादियों से क्षमा सहित)...देख लेना अदृष्यप्रायः रेखा को - यह मेरे लिए अनायास, अनपेक्षित, अतिरिक्त प्राप्ति थी। बिलकुल किसी ‘विस्मय उपहार’ (सरप्राइज गिफ्ट) की तरह। इसका माध्यम बने श्री मनोज फड़नीस। ...तू सिर्फ इंसान है.. - *पैदाइश के फौरन बाद* *मैं खुद ब खुद हिस्सा हो गई* *कुल आबादी के* *आधे कहलाने वाले* *एक संघर्षशील 'समुदाय' का,* *कानों से गुज़रती* *हर एक महीन से महीन आवाज...

अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर एक जरूरी मांग ... अपनी सरकार से - पिछले माह ट्रेन से आ रही थी , रिजर्वेशन नहीं होने और भीड के अधिक होने के कारण महिला बॉगी में चढ गयी , यहां हर वर्ग का प्रतिनिधित्‍व करने वाली महिलाएं .. हाइकु (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर) - (१) स्त्री का सम्मान पुरुषत्व की शान कब जानोगे? (२) नारी दिवस तब बने सार्थक रोज़ दो मान. (३) न होती जो माँ कहाँ होता अस्तित्व, .. Ahsaas - **** मर्द कभी नहीं रोते***** मैं बचपन से सुनता आ रहा हूँ, मर्द कभी नहीं रोते, और मैं भी कभी नहीं रोया, मर्द हूँ ना.. जब बहिन के पति का स्वर्गवास हुआ, ... 

 ब्लॉगिंग ने बनाया विश्वविख्यात - कुछ लोग ऐसे होते हैं जो छोटे-छोटे कार्यों को ढिंढोरा पीटकर करते हैं और कुछ लोग बड़े से बड़ा कार्य चुपके से कर जाते हैं और जबतक उस कार्य के प्रतिफल का भान ... रोक लेते हो जो तुम मुझे ... - रोक लेते हो जो तुम मुझे विहगों के स्वर पर सहसा अधरों से फूट पड़ते हैं बेसुध रागों में निर्झर गान पल झपते ही नव छंदों से आह्लादित हो जाता है आसमान मन मसोस कर..अंतरात्मा... संध्या शर्मा - (1) तू... चली गई अच्छा ही हुआ रहती तो दिल धडकता अन्याय के विरोध में कभी तो भड़कता (2) अब सबकी सुनती हूँ दबा सकती हूँ आवाज़ मन की तू होती तो ... 

बांग्लादेश की हिंसा हमारे लिए भी समस्या खड़ी कर सकती है !! - बांग्लादेश में चल रहे आंतरिक संकट पर भारत सरकार का रवैया हैरान कर देने वाला है ! भारत सरकार इसको बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानकर चल रही है ! ..रेगिस्तान में आधी रात के बाद - आज की सुबह सोचा है अच्छी विस्की होनी चाहिए। क्योंकि मेरे लिए अच्छे जीवन का मतलब अच्छी विस्की ही होता है। मैं करता हूँ न सब-कुछ। मानी जो इस दुनिया में ....villages of mountains ,कैसे हैं पहाड के गांववाण गांव में एक दिन बिताने का कारण था । हमने अपनी रूपकुंड यात्रा तीन दिन में सोची थी पर एक दिन कम यानि की दो दिन में ही पूरी कर ली थी । मै ये तो नही कहूंगा कि ये कोई आसान ट्रैक था पर मै कर गया और कुंवर सिंह ने भी इसमें काफी बढिया साथ दिया ।...

" वह काला तिल .........."नई नई मुलाकात थी , मुलाकात क्या बस बात थी , उनका कहना ,लिखते तो अच्छा हो , मैंने कहा तुमने पढ़ा शायद , कमबख्त लिखा खुद संवर गया , बात चल निकली तनिक और खिंच गई.. एक कदम आगे चलो न ......*एक कदम आगे चलो न ...........* *ये अनुरोध था या आदेश समझ ही नही पायी ,बस इन शब्दों को ही गुनती रह गयी और मुदित हो उठी :)* *दरअसल ये और किसी ने नहीं अपितु हमारे बड़े बेटे "अनिमेष...इससे बड़ी सज़ा नहींअर्थ हो या अर्थ का अनर्थ हो सार्थक हो या लिखना ही व्यर्थ हो कुछ लोगों से कुछ भी कहो पर अपनी ही मस्ती में मस्त हो ज़बरिया कर के टैग फेसबुक की दीवारों पर चाहते हैं दो शब्द खुद के विचारों पर टैग की टांग पकड़कर कब तक चढ़ेंगे ऊपर पता नहीं पूछिए हम,.......

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

फेसबुकिया ब्लॉगिंग उफ़ क्या ज़माना आ गया है ?- ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार........अपना कह दूँ तो तुझको अच्छा नहीं लगता, गैर कह के बुलाऊं तो कलेज़ा मुँह को आता है. हरजाई कह दूँ तो खुद को अच्छा नहीं लगता, बावफ़ा और बेवफ़ा ऐसी बातों पर खुद ही यकीन नहीं. अब ले दे कर ज़ालिम और निर्मोही बचता है, कैसे पुकारूँ तुझे कैसे सुनेगा तू दुश्मन ! झूठ बोलती है सारी दुनिया कि दिल की आवाज़ दिल तक पहुँचती है !झूठी दुनिया .....लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता ...

साहस की रस्‍सी पर !!!!मन अक्‍सर प्रश्‍नबैंक हो जाता है, जाने कितने सवाल ??? एक का जवाब दिया तो दूसरा हाजिर कभी किसी सवाल का जवाब भय से ग्रसित होने के कारण दिया नहीं तो बस भय ने दबा दिया सारे साहस को कई बार पसीने छूट जाते इस भय की वजह से !!! ..मौत सबकी समय के निशाने में हैगैरियत आज जालिम ज़माने में है, मौत सबकी समय के निशाने में है, हर दरिंदा यहाँ अब यही सोचता, सुख मज़ा नारियों को सताने में है, सुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर, ..उफ़ क्या ज़माना आ गया है ? - लोग सदमे में हैं । देश निराश के भयानक दौर से गुज़र रहा है । सारी आशाएं समाप्त होती दिख रही हैं । देश का बेड़ा गर्क हुआ ही समझो । लोग उम्मीद की दृष्टि से उसे...

ओस में नहायी औरतें - ओस में भीगी औरत औरत नही होती होती है तो उस वक्त सिर्फ़ एक नवांगना तरुणाई मे अलसाई कोई धवल धवल चाँदनी की किरण अपने प्रकाश से प्रकाशित करती सृष्टि के स्पंदन..अर्द्धांगिनी शब्द कितना उपयुक्त - हिंदी का एक बहुप्रचलित शब्द मुझे पसंद नहीं आता. हालांकि अधिकाँश लोग मेरी सोच से इत्तफाक नहीं रखेंगे .वैसे भी नहीं रखते ,इसलिए चिंता की बात नहीं...:) लेकिन... .कर भरोसा अपने पर - कर भरोसा अपने पर रहता है क्यूं बुझा बुझा क्यूं आज की चिंता करता है आज का दौर है कठिन पर कल सुधरेगा दिल कहता है | तेरी उदासी दुखित करती मन उद्वेलित करती...

 महाकुम्भ के समापन पर - महाकुम्भ के समापन पर कल-कल छल-छल बहती गंगा यमुना जिसमें आ कर मिलती, यही त्रिवेणी है प्रयाग की छुपी है जिसमें सरस्वती ! इस अति पावन तीर्थराज मे...पाकिस्तान! कौन सा पाकिस्तान?...खुशदीप - पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क़ है...ये भी सोलह आने सच है कि मर्ज़ी से कभी पड़ोसी बदले नहीं जा सकते...फिर पाकिस्तान जैसे मर्ज़ की दवा क्या है...जवाब जानना चाहते ... फेसबुकिया ब्लॉगिंग और ब्लॉग पर फेसबुकिंग -- यही है ज़माने की चाल ! - अब जब हमारे सभी ब्लॉगर मित्र बन्धु फेसबुक की ओर कूच कर चुके हैं, तो न चाहते हुए भी हम भी कुछ कुछ फेसबुकिया हो गए हैं। हालाँकि जो मज़ा यहाँ है , वह वहां कह... 

दरगाह दीवान भी भारत सरकार से तो अच्छे हैं !! - पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती कि दरगाह पर जियारत करने को लेकर की गयी यात्रा खासी विवादास्पद रही और पाकिस्तान नें भारत के साथ जिस ..मुझे सब मालूम है - मुझे सब मालूम है। इतना कह कर चुप हो जाती है। मैं कुछ लिखने, कुछ सुनने या ऐसे ही किसी किताब को पढ़ते हुये पूरा दिन घर के ऊपरी माले में बिता देता हूँ। ये...कांग्रेस का दोहरा चरित्र देखिये -- - हमारे देश के दो वीर सैनिको के सर धोखे से काट लिए गए उनमें से एक की विधवा ने कई दिनों तक भूख हड़ताल की पर राहुल गाँधी न तो उससे मिलने गया और ना ही कभी उनकी ... 

बम शंकर बोलो हरी हरी... - ले सब्रो कानाअत साथ मियां, सब छोड़ यह बातें लोभ भरी. जो लोभ करे उस लोभी की, नहीं खेती होती जान हरी. संतोख तवक्कुल हिरनों ने, जब हिर्स की खेती आन चारी. ...पाँच क्षणिकाएँ - *(१) ज्वलंत प्रश्न* जब फलदार वृक्ष ही बन जाएं नरभक्षी, चूसने लगें रक्त, तब क्या करे पथिक, किधर ढूँढे छाँव, शीतलता, कहाँ करे विश्राम, कैसे जुटाये भोजन ...पुरूष दिवस की हार्दिक बधाई ताऊ... - सभी तो नही पर कुछ पढी लिखी और आत्म निर्भर महिलाओं के लिये तो अमूमन नित्य ही महिला दिवस रहता है. उस वर्ग विशेष में पुरूष दिवस मनाने की मांग जोर शोर से ... 

The Power of Habit: by Charles Duhigg --Introduction - The Power of Habit: by Charles Duhigg an *Introduction* * * * Introduction* It is often said that we are creatures of habit, in that many of our daily ... Pencil Drawing of Ice Cream Cone - Keywords : Pencil Drawing of Ice Cream Cone, Line Art, Sketch, Drawings, Sketches, Pictures, Images, Photos, Pics By Monika Jain 'पंछी'... ...जिसने सिर काटा उसे सिर पर बैठाया ! - कुछ व्यक्तिगत कारणों से मेरा और मेरे मन का आपस में संपर्क ही कटा रहा, लिहाजा ना मैं ब्लाग लिख पाया और ना ही आपके ब्लागों तक पहुंच पाया।  ...

कार्टून :- बस 1 तोप की सलामी

. 

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

हिटलर भी गूगल रीडर के बन्द होने से नाराज है.. ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

$
0
0
संध्या शर्मा का नमस्कार... मेरी ही आँखें मेरे ही अक्स को घूरती हैं अनजान की तरह वो कुछ शब्द जो यकीं दिलाते मुझे मेरे होने का क्यों नहीं बोलती कितना मुश्किल है इनकी ख़ामोशी तोडना...तुम कहते हो आसान है सब. सच कहूँ.... कुछ भी अजीब नहीं लगता, आदत सी हो गई है ,कर भी क्या सकती हूँ ,फिर भी कोशिश में हूँ,अपनी ही आँखों में, अपनी पहचान...ढूंढ़ने की...सच बहुत मुश्किल है आज की इस बनावटी मुखौटों से भरी दुनिया में खुद को भी पहचानना, आज इंसान इंसानियत भूलकर अपने इंसान होने की पहचान भी खोता जा रहा है... लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता ...

जीवन झांकता है... - नवम्बर की सर्दी कुछ ख़ास नहीं और यहाँ कोलकाता में तो बिलकुल भी नहीं... सुबह के ९ बज रहे हैं, यूँ ही भटकने निकल पड़ा हूँ, बाकी के साथी आगे निकल चुके हैं...कुछ बातों की कल्पना भी मुश्किल होती है !!! - बचपन मे एक कहानी पढी थी। एक किसान के घर एक नेवला था जो बिल्कुल घर के सदस्य की तरह था। किसान दम्पति भी उसे अपने बेटे की तरह रखते थे। ..इंतज़ार - काटे न कटें रतियाँ ,वे अबहूँ न आए | बाट निहारूं द्वार खडी,विचलित मन हो जाय || भूली सारे राग रंग ,कोई रंग न भाय | पिया का रंग ऐसा चढा ,उस में रंगती जाय|| ...

सुनो कन्हाई तुम्हारी प्रीत ना हमें रास आयी - सुनो कन्हाई तुम्हारी प्रीत ना हमें रास आयी इकतरफ़ा प्रेम धुन की जो मुरली तुमने बजायी उसी धुन ने हममें भी ये बात जगायी जो तुम चाहो मोहना किसी एक का सर्वस...क्या आप अपनी औलाद से प्यार करतें हैं ??? - *ये कैसा बचकाना और बेहूदा सवाल है .....?* *यकीनन ,हर माँ-बाप अपनी औलाद को प्यार करते हैं .....* *बस,ये ही जानने के लिए आपको यहाँ खींच कर ..अब मन छायो बसंत .......!!!!!! - किसलय अनुभूति देती ..... सागर सी ... सुनील तरंग ... सुशील उमंग ..!!!! रंग भर भर ... झर-झर निर्झर बहें....! निसर्ग झूम झूम गाए... सुमंगल स्वस्तिवाचन ....! रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ - ...

हमारा चेहरा - सोचता हूँ बिना पंख उड़ जाऊं और उस को कोसूं जिसने पंख नहीं दिए .... सोचता हूँ प्रारब्ध से मिली सम्रधता से टेढा चलूँ इतराऊँ पैरों तले , दबते, कीड़े मकोडों... हकीकत : दिल्ली से भीख मांगते रहे नीतीश ! - *बि*हार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली आए तो थे अधिकार मांगने लेकिन भीख मांगकर चले गए। उनके पूरे भाषण में एक बार भी ऐसा नहीं लगा जैसे वो अपने अधिकार की...कमीने क़ानून बनाने वाले-- - प्राईमरी हेल्थ सेंटर (PHC), शाहजहांपुर में दो साल की बच्ची , जिसने ठीक से चलना और बोलना भी नहीं सीखा था , के साथ वार्ड बॉय ने दो बार बलात्कार किया ! ..

डायरी का एक और सीला पन्ना.... - सफ़र में होंगे कांटें भी इस बात से बेखबर न थे मगर खबर न थी के चुभेंगे इस कदर कि तय न हो सकेंगी ये लम्बी दूरियां कभी..... (या कौन जाने ,कोई चुनता रहा हो का... .सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार, - *होती अच्छी आय,* कृषि से बढ़िया जगत में , नहिं कोई व्यवसाय ! नहीं किसी की चाकरी , होती अच्छी आय !! होती अच्छी आय, सीख वैज्ञानिक नुस्खा !  ... कुण्डलिया - रहता हो जो गाँव में, मध्यवर्ग इंसान। "हाई-फाई" क्यों उसे, पूछें अपना मान॥ पूछें अपना मान, उसे जो प्रॉफिटवाला, "भाई रेडीमेड", खरीदें पॉकिटवाला। निकला काफी दू..

कि मोहोब्बत भी एक कफ़स है - लिख रहा हूँ मगर उस बीते हुये मौसम से बेखबर एक रूह सीने पर आ बैठी है। कहती है पीठ के तकिये को नीचे करो। इस पर सर रखो और सो जाओ. दुनिया खाली है।....तुम्हारे लिये - तुम्हारे लिये एक बार फिर कल तुमने इतनी दूर से ही मेरे मन मेरी आत्मा को मेरे भीतर कहीं दूर तक छुआ. तुम्हारे शब्द कानों के रास्ते मेरे शरीर में अब तक घुल रहे..पर मिट्टी नहीं है ... - आओ ! आकाश में उड़ती हुई आँधियों ! बादलों जोर से गरजो ! बिजलियों थोड़ा और कड़को ! मैं ललकारती हूँ तुम्हें जितना बन पड़े तुम उतना भड़को ! अब मेरी मजबूती को ... 

पुस्तकें और पाठक .. 2 - पुस्तक की महता का कोई पैमाना शायद आज तक निश्चित नहीं हो पाया है कि वह कितनी महत्वपूर्ण है, लेकिन एक संकेत देता चलूँ कि आज जिन रचनाकारों के सामने हम नतमस्तक..हिटलर भी गूगल रीडर के बन्द होने से नाराज है - गूगल द्वारा अपनी लोकप्रिय फीड रीडर सेवा गूगल रीडर बन्द करने के निर्णय से प्रयोक्ताओं में काफी निराशा तथा नाराजगी है। इस फैसले से दुःखी लोगों की सूची में ... वाह वाह ताऊ क्या लात है? में श्री दिगंबर नासवा - होली के रंग में रंगे हुये रामप्यारे और मिस रामप्यारी दोनों ने आज इतनी भांग डकार ली कि दोनों बेसुध पडे हुये हैं. "चैन से होली मनाना है तो ताऊ की भंग पी ... 

रंगीलो राजस्थान : राठौड़ राजाओं का समाधि स्थल जसवंत थड़ा (Jaswant Thada) - मेहरानगढ़ किले से निकलने के बाद हमारा अगला पड़ाव था जसवंत थड़ा (Jaswant Thada) यानि राजा जसवंत सिंह का समाधि स्थल। पर इससे पहले कि हम किले से बाहर निकलते...Golden Temple स्वर्ण मन्दिर परिसर - अमृतसर-अमरनाथ-श्रीनगर-वैष्णों देवी यात्रा-01 इस यात्रा की रुप रेखा भी अपने कार्यालय में ही खींची गयी थी सन 2007 के जुलाई माह की बात है मैं दिल्ली में शाहद... .यहाँ पत्थर बहुत रोया वहां आंसू नहीं आतेकभी सच्ची मुहब्बत को दिवाने दिल नहीं पाते, यहाँ पत्थर बहुत रोया वहां आंसू नहीं आते, रजा मेरी जुदा ठहरी रजा उसकी जुदा ठहरी, मुझे कलियाँ नहीं जँचती उसे कांटे नहीं भाते, डरा सहमा रहेगा उम्रभर ये दिल मेरा यूँ ही, तेरी फितरत से वाकिफ जबतलक हम हो नहीं जाते,...

इन्तजार रात की चौखट पर- भोर होने तक ... - रात की चौखट पर, शाम के रस्ते ही, सन्नाटे को चीर, उदासी पहुँच जाया करती है जाने क्यों, रात के घर में उजेला नहीं हुआ करता, स्वागत में बत्तियाँ बुझ जाया करती... अक्सर मैं -- आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ ...Map your circles of creativity - *Most valuable management skill was no longer "operations" or "marketing" but "creativity--- Harvard business review * * ** *In 2010, IBM ran a survey of 1,...


http://4.bp.blogspot.com/-2r6rnruy49Q/UUUcXFJHlxI/AAAAAAAADvU/T8IpLo9S1vY/s400/17.3.2013.jpg 

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

Viewing all 62 articles
Browse latest View live